कई बार व्यक्ति ऐसी परिस्थति में आ जाता है जिसमें व्यक्ति को पेट की समस्या के कारण काफी बेचैनी घबराहट और एंजाइटी होने लगती है। यह स्थिति कई बार पानी पीकर कंट्रोल हो जाती है, लेकिन कई बार ये बेचैनी और घबराहट ठीक होने का नाम ही नहीं लेती है, लोग इससे काफी परेशान हो जाते हैं। काफी लोगों को डॉक्टर के पास जाना ही एक आखिरी विकल्प बचता है। डॉक्टर का इलाज काफी लंबा चलता है और वे परेशानी में आ जाते हैं। रजिया जी को भी पेट की समस्या के कारण घबराहट होती थी वो कई डॉक्टरो से अपना इलाज करवायी लेकिन उनकी समस्या में कोई आराम नहीं मिल पाया। चलिए आपको बताते हैं रज़िया जी के जीवन से जुड़ा ये किस्सा।
रज़िया जी बेंगलुरु की रहने वाली हैं और उनकी उम्र 40 साल है। उनकी जिंदगी में ऐसा कुछ ठीक नहीं चल रहा है जिसे कहा जाये कि वह बिल्कुल सेहतमंद जिंदगी जी रही हैं। उनके परिवार की बात करें तो उनकी दो बेटी हैं। एक बेटी की शादी हो गयी है और दूसरी बेटी उनके साथ रहती है। रज़िया जी अपना जीवन बहुत ही सरल तरीके से जीती हैं। रज़िया जी घर चलाने के लिए दूसरों के घर में खाना बनाने का काम करती हैं। इसी से उनके घर का खर्च निकलता है। एक समय था जब रज़िया जी का जीवन जैसे तैसे कट ही रहा था कि अचानक उन्हें समस्या हो गयी। दरअसल उन्हें कुछ भी काम करते हुए या फिर कहीं जाते हुए घबराहट होने लगती थी। घबराहट के साथ-साथ परेशानी भी होने लगी। इस समस्या से रज़िया जी को काफी समस्या होने लगी। इस समस्या के कारण उनके काम पर भी असर दिखाई देने लगा। उन्होंने डॉक्टरों से अपना इलाज कराना चाहा। लेकिन डॉक्टर की महंगी फीस देना उनके बस का नहीं था। रज़िया जी अब पहले से भी काफी परेशान हो गयीं। उन्हें अपनी समस्या का कोई निदान नहीं दिखाई दे रहा था। समय बीतता गया और समय के साथ रज़िया जी की परेशानी भी बढ़ती चली गयी।
फिर एक दिन उनके जीवन में एक ऐसा पल आया जिसके बाद से मानो उनकी जिंदगी ही बदल गयी। उनकी मुलाकात आयुर्वेद में मशहूर माननीय हकीम सुलेमान खान साहब से हुई। दरअसल टीवी देखते हुए उनकी नजर हकीम जी के बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी पर गयी। सेहत और जिंदगी मे उन्होंने देखा कि लोग हकीम जी के घरेलू नुस्खे अपना रहे हैं और स्वस्थ हो रहे हैं। रज़िया जी के मन में भी आया कि क्यों ना वे भी हकीम साहब के घरेलू नुस्खे को अपनायें। उन्होंने हकीम जी से संपर्क किया और अपनी समस्या के लिए कारगर औषधि जाननी चाही। हकीम जी ने उनकी समस्या के लिए जैतून के सिरके का इस्तेमाल करने की सलाह दी। रज़िया जी ने बिना देरी किये ATIYA HERBS से जैतून का सिरका मंगाया और जैसा कि हकीम जी ने निर्देश दिये थे उसी प्रकार अपनाना शुरू कर दिया। जैतून के सिरके के इस्तेमाल के कुछ समय बाद ही उन्हें अपनी समस्या में राहत दिखाई देने लगी। रज़िया जी की खुशी का ठिकाना नहीं था। कहां एक तरफ मंहगी फीस और लंबा इलाज था और यहां हकीम जी की यूनानी औषधियों से समस्या जड़ से खत्म हो रही थी। रज़िया जी खुद को बहुत ही खुशनसीब मान रही थीं कि उनका इलाज हकीम जी कर रहे थे। रज़िया जी अब जैतून के सिरके के साथ साथ अपने दर्द की समस्या के लिए भी हकीम जी का गोंद सियाह इस्तेमाल कर रही थीं। उन्हें गोंद सियाह से भी काफी फायदा हुआ।
रज़िया जी बताती हैं कि वे खुद तो हकीम जी के नुस्खे और यूनानी औषधि अपना रहीं है साथ ही लोगों को भी बता रही हैं कि वे हकीम जी के नुस्खे अपनायें। रज़िया जी के दामाद भी अपनी शुगर की समस्या के लिए जैतून का सिरका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें भी शुगर की समस्या में काफी आराम मिला है। अब रज़िया जी ने पहले की तरह ही अपना काम शुरू कर दिया है। वे खुश हैं और सेहतमंद होने की कगार है। वे हकीम जी को अल्लाह का नेक बंदा मानकर उन पर पूरा भरोसा करती हैं। हकीम जी के साथ ही उनकी यूनानी औषधियों पर भी उन्हें अब पूरा भरोसा हो गया है।
जैतून का सिरका क्या है?
हकीम सुलेमान का जैतून का सिरका मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक संबंधी समस्या, लिवर संबंधी समस्याएं, किडनी संबंधी समस्याएं, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या जैसे विभिन्न रोगों के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। यह सिरका खुद हकीम जी की निगरानी में तैयार किया गया है और इस सिरके के इस्तेमाल से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। यह पूरी तरह से शुद्ध और नेचुरल है।