जैन धर्म के मशहूर मुनि और राष्ट्रीय संत तरुण सागर की हालत बीमारी के चलते बेहद खराब बताई गई है. यह खुलासा उनके गुरु पुष्पदंत सागर ने किया है. आपको बताते चलें कि 20 दिन पहले उन्हें पीलिया रोग की शिकायत हुई थी जिसके बाद उन्हें दिल्ली के मशहूर अस्पताल मैक्स में भर्ती कराया गया था.
डॉक्टरों की एक बड़ी एक्सपर्ट टीम ने उनके शरीर की बाकायदा जांच की और उपचार शुरू किया. उपचार के बावजूद उनकी तबियत में कोई सुधार नही हुआ. मैक्स के चिकित्सकों ने उनकी हालत में सुधार ना होने की बात कही थी. बिगड़ती हालत के बाद तरुण सागर ने संलेखना करने का दृढ संकल्प किया है. इस खबर के बाद उनसे मिलने वालों का तांता लग गया है.
- खबर पर एक नज़र
पीलिया के बाद बिगडती हालत से परेशान जैन मुनि तरुण सागर ने अपने दिल्ली स्थित मंदिर कृष्णा नगर में संलेखना करने का निश्चय किया है. संलेखना का अर्थ समाधि से होता है. जैन धर्म में जब व्यक्ति की मौत नज़दीक समझी जाती है तब मौत आने तक उपवास किया जाने का प्रावधान है.
इस दौरान अन्न जल त्याग दिया जाता है. मैक्स के डॉक्टरों ने जब उनकी हालत गंभीर बताई तभी उन्होंने अन्न जल त्यागने का फैसला कर लिया. वे अपने अनुयायियों के साथ कल देर रात कृष्णा नगर (दिल्ली) स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल आ गए.
इस घटना को पत्र के माध्यम से तरुण सागर के गुरु ने अपने अन्य अनुयायी संतों को सूचना दी. सूचना दिल्ली और आसपास मौजूद जैन धर्म के अन्य संत कृष्णा नगर पहुँच रहे हैं. आपको बताते चलें कि तरुण सागर अपने कड़वे शब्दों के लिए जाने जाते हैं. इनके अनुयायी इन्हें एक क्रांतिकारी संत भी मानते हैं. इनकी पुस्तक कड़वे प्रवचन काफी मशहूर हुई है. मुनि तरुण सागर हरियाणा और मध्य प्रदेश विधानसभा में भाषण भी दे चुके हैं. हरियाणा विधान सभा में उनके भाषण पर विवाद भी हुआ था. मध्य प्रदेश सरकार ने इन्हें राजकीय अतिथि घोषित किया था.
जैन मुनि का असली नाम पवन कुमार जैन है. उनका जन्म (मध्यप्रदेश) के दमोह स्थित गुहजी गाँव में 26 जून, 1967 को हुआ था. इन्होने 8 मार्च, साल 1981 में घर छोड़ सन्यासी का रूप धारण कर लिया था. इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली. हालांकि संलेखना या समाधि पर देश में कानूनी प्रावधान हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2015 में इसे आत्महत्या जैसा बताते हुए भारतीय दंड संहिता 306 और 309 के तहत इसे दंडनीय बताया था. इस आदेश के खिलाफ दिगंम्बर जैन अखाड़ा सुप्रीम कोर्ट गया था जिसपर कोर्ट ने पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी.
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