कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है. दुनिया में मौजूद खनिज तेल समाप्त होने की अवधि तय है. इधन समाप्त होने के बाद चीजों को कैसे संचालित किया जाएगा दुनिया के हर वैज्ञानिक इसकी खोज में लगे हैं. इसी कड़ी में भारत का पहला बायो फ्यूल विमान लांच हुआ है. बीते रविवार को इस विमान को जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उड़ाया गया. आज यह विमान जौलीग्रांट एअरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरेगा. यह विमानन क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
- खबर पर एक नज़र
आज भारत के विमानन क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन है. जौलीग्रांट हवाई अड्डे से जैविक विमान हवा से बातें करते हुए दिल्ली एअरपोर्ट पहुंचेगा. इससे पहले कल उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत सहित कई वैज्ञानिकों की मौजूदगी में इस बायो फ्यूल विमान की उड़ान जाँची गई जिस पर यह खरा साबित हुआ.
आपको बताते चलें कि अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में कई वाणिज्यिक विमान काफी पहले से जैव ईधन से उड़ान भर रहे हैं. भारत विकासशील देशों में पहला और इकलौता ऐसा देश है जो पहली बार जैव इधन से विमान उड़ाने में सक्षम रहा है.
निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी स्पाइस जेट जैव इधन के तहत टर्बोपोर्प क्यू 400 जैव ईधन वाला विमान तैयार किया है. ऐसे विमानों के आविष्कार के पीछे भारत की मंशा तेल आयात कम करने की है. बीते 10 अगस्त को जैव ईधन दिवस के मौके पर दिल्ली में पीएम मोदी ने जैव ईधन पर राष्ट्रीय नीति जारी की थी. इस नीति के तहत आने वाले 4 वर्षों में एथेनॉल का उत्पादन 3 गुना करने का लक्ष्य रखा गया है. यदि सचमुच ऐसा हो पाता है तो तेल आयात के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये बच सकते हैं.
आपको बताते चलें कि जैव ईधन से प्रदूषण को 80 फ़ीसदी तक कम किया जा सकता है. इस तेल का निर्माण जानवरों के जीवाश्म, सब्जियों के तेल, फंफूद और रिसाइकिल ग्रीस से तैयार किया जाता है. यदि देश के कुछ फ़ीसदी विमान भी बायोफ्यूल से संचालित होना शुरू हो जाएंगे तो विमानन उद्योग से पैदा होने वाले कार्बन को साल 2050 तक 80 फ़ीसदी तक कम किया जा सकेगा.
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