साँसों की डोर टूटने के साथ ही लोग अपने सबसे प्रिय को तन्हा छोड़ जाते हैं. साथ जीने साथ मरने की कसमों के साथ एक दिन ऐसा भी आता है जब दुनिया को अकेले अलविदा करना ही पड़ता है. बात हो रही है पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ़ की पत्नी कुलसुम की. कैंसर से पीड़ित 68 वर्षीय पाक की इस पूर्व राजनेत्री ने अपने मुल्क से हज़ारों मील दूर लन्दन के एक निजी अस्पताल में आखिरी साँसे ली. इसी के साथ नवाज़ निजी जिन्दगी में तन्हा हो गए हैं.
पूरे मामले पर एक नज़र
पाक में हुए हालिया आम चुनावों के दौरान अपनी पार्टी में जान फूंकने के लिए वतन लौटे नवाज़ को तब शायद इस बात का अंदाजा हो गया था कि वे आखिरी बार अपनी बीबी से मुलाक़ात कर रहे हैं. ‘आँखें खोलो कुलसुम, देखो कौन आया है, अल्ला ताला तुम्हे सेहत दे”. आखिरी मुलाक़ात के दौरान नवाज़ ने अपनी बेगम के लिए इन्ही शब्दों का इस्तेमाल किया था.
तो मौत के मुंह तक पहुँच गए थे राहुल गाँधी!!
इस बाबत एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. आपको बताते चलें कि पाक के पूर्व पीएम नवाज़ और उनकी बेटी-दामाद पनामा मामले में जेल की सलाखों के पीछे हैं. उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए जिसके चलते उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था.
कुलसुम की मौत के बाद कोर्ट ने नवाज़ को पेरोल पर रिहा कर दिया है. पाक के एक निजी समाचार चैनल जियो टीवी की खबर के मुताबिक़ उनका इलाज़ लंदन के हार्ले स्ट्रीट क्लीनिक में जून साल 2014 से ही चल रहा था. बीते मंगलवार की अलग सुबह उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. डॉक्टरों की टीम ने उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे. वह गले के कैंसर से पीड़ित थीं जिसकी पुष्टि साल 2017 में हुई. नवाज शरीफ और कुलसुम की शादी अप्रैल 1971 में हुई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ कोर्ट ने नवाज़ को 12 घंटों की पेरोल दी थी. उनकी मृतक बेगम का शव कल देर शाम पाकिस्तान आने के कयास लगाए जा रहे हैं. इस बाबत नवाज़ को उम्मीद है कि कोर्ट उनकी पेरोल की अवधि बढ़ा देगा. उनके भाई शाहबाज़ शरीफ़ कुलसुम के पार्थिव शरीर को पाक लाने के लिए लन्दन पहुँच चुके हैं.
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जमानत मिलने के बाद नवाज़ अपनी बेटी के साथ विशेष विमान से अपने गृह नगर पहुंचे. गौरतलब है कि नवाज़ के दोनों बेटे इस समय लन्दन में हैं और एक मामले में फरार घोषित किए जा चुके हैं इसलिए वे अपने अम्मी के जनाज़े में शामिल होने पाक आएंगे ऐसा लगता नही.
आपको बताते चेलें कि कुलसुम ने नवाज़ की राजनीति में बड़ा योगदान अदा किया था. रिपोर्ट की मानें तो पता चलता है कि उनके लिखे भाषण सार्वजनिक मंचों पर पढ़ते थे नवाज़. वे साल 2017 में नेशनल असेम्बली की मेम्बर चुनी गई थी लेकिन इलाज़ कराने के लिए लन्दन जाने की वजह से शपथ नही ले पाई. कल देर शाम उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया जाएगा.
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