सुतशेखर रास (Sutshekhar Raas) क्या है? = सुतशेखर रस (Sutshekhar Raas) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से अम्लता और पित्त संबंधी कई अन्य रोगों को ठीक करने के लिए ली जाती है। आयुर्वेद में अम्लता को अम्लपित्त या पित्त निर्माण कहा जाता है।
यह रस दो प्रकार का होता है-
1. स्वर्णयुक्त
2. स्वर्ण रहित
दोनों रसों में कोई बड़ा अंतर नहीं है। सोने से युक्त सुतशेखर का रस भी हृदय और मस्तिष्क को बल देता है, अन्य सभी गुण समान होते हैं।
पित्त के रोगों के साथ-साथ मूत्र मार्ग, वात रोग, पेट से संबंधित कई समस्याओं में यह औषधि लाभकारी है। और इस आर्टिकल में सुतशेखर रस के सभी फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
सुतशेखर रस के घटक
1.छोटी इलायची
2.नागकेसर
3.शुद्ध धतूरे के बीज
4.रौप्य भस्म
5.सोंठ
6.काली मिर्च
7.शुद्ध टंकण
8.ताम्र भस्म
9.दालचीनी
10.तेजपात
11.शुद्ध पारद
12.शुद्ध गंधक
13.शंख भस्म
14.बेलगिरी
15.कचूर
16.भांगरे का रस
17.पीपल
How to make सुत्शेखर रस
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारे और गंधक की कज्जली बना लें। वहीं भांगड़ा जूस और भस्म को छोड़कर बाकी सभी दवाओं का पाउडर बना लें। इसके बाद कज्जली, भस्म और चूर्ण को मिलाकर 21 दिन तक भांगड़ा रस की 21 स्प्रिट बना लें। जब यह गोली बनने में सक्षम हो जाए तो इसकी गोलियां बनाकर सुखा लें।
सुतशेखर रस के लाभ = अम्लता के लिए
आयुर्वेद के अनुसार जब पेट में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है तो ये समस्याएं आने लगती हैं। इससे पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, सीने में जलन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस दवा में पित्त के शामक गुण हैं। इस स्थिति में इस रस का सेवन करने से पित्त शान्त होता है और रोगी को आराम मिलता है।
Also Read : Cervical Pain : लक्षण, कारण और उपाय जानें
भ्रम या चक्कर आना
व्यक्ति के शरीर में रक्त का प्रवाह बहुत धीरे या तेजी से (उच्च या निम्न रक्तचाप) होने लगता है या लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहने, कमजोरी, खून की कमी आदि के कारण व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं। ऐसे में इस जूस के सेवन से लाभ मिलता है।
पेशाब में
यह रोग महिलाओं में तब होता है जब उनके गर्भाशय को जगह से हटा दिया जाता है। मूत्राशय में पथरी भी इस रोग का कारण है। इसमें रोगी को पेशाब करने की तीव्र इच्छा होती है, लेकिन पेशाब बाहर नहीं निकल पाता। होता भी है तो बूँद बूँदें और वो भी बड़े दर्द के साथ होता है।
ऐसे में इस जूस का सेवन करना बहुत ही उचित होता है।
रक्त पित्त के लिए
रक्तस्राव को आयुर्वेद में रक्त पित्त कहा जाता है। इस रोग में नाक, गुदा, मूत्र मार्ग से रक्त निकलने लगता है। इसमें पित्त विपुल हो जाता है और रक्त को ऊपर या नीचे की ओर धकेलता है।
ज्यादा गर्म, मसालेदार खाना खाने, ज्यादा धूप में रहने, ज्यादा मेहनत करने से ये रोग हो सकते हैं। इनके अलावा भी इसके कई कारण हैं। रक्त पित्त में इस औषधि का प्रयोग करने से पित्त शमन होता है और रोगी को आराम मिलता है।
सुत्शेखर रास हर्बल आर्केड के लाभ
मुंह के छालों में
वात को शांत करो
विपुल पित्त की समाप्ति
भूख न लगने की समस्या में
पेट दर्द में
पेट की सूजन
खांसी में
मसूढ़ों की बीमारी में
सुतशेखर रस की सेवन विधि
** 1-1 गोली सुबह-शाम सेवन करनी चाहिए।
** इसे शहद या चीनी के साथ लिया जा सकता है, लेकिन इसे दादिमवालेह या आंवला मुरब्बा के साथ लेने से विशेष लाभ मिलता है।
** सुतशेखर रस का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को यह दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।
** अगर आपको इस दवा के किसी भी घटक से एलर्जी है, तो इसे लेने से बचें।
**इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें।
Also Read : Good Sleep: अच्छी नींद के लिए ये घरेलू उपाय अपनाएं
अगर आप किसी और बीमारी का इलाज करा रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दें।
सुतशेखर रस की उत्थान की उपलब्धता
बैद्यनाथ सुतशेखर रासी
झंडू सुतशेखर रासी
डाबर सुतशेखर रासी
गुहा सुतशेखर रास
उंझा सुतशेखर रासी