वैसे भी दुनिया में अरबपतियों की कोई कमी नही लेकिन ऐसा सुनकर चौंकना स्वाभाविक है! लेकिन यह सच है कि दुनिया की दिग्गज़ आईफ़ोन निर्माता एप्पल अकेले दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था का 38 फ़ीसदी शेयर खरीद सकती है. दुनिया भर की कम्पनियों को पीछे छोड़ते हुए इस कंपनी ने इतनी तरक्की की है जो अकेले पाकिस्तान जैसी अर्थव्यवस्था वाले 3 देशों को एक साथ खरीदने में सक्षम है. यही नही दुनिया के महज़ 16 देशों की जीडीपी ही इस कम्पनी की मौजूदा स्थति से आगे हैं बाकी के 177 देशों की अर्थव्यस्था इस कम्पनी से काफी पीछे है.
- पूरे मामले पर एक नज़र
बीते गुरुवार को एप्पल करीब एक ट्रिलियन डॉलर (68,620 अरब रुपये) की अर्थव्यवस्था वाली कंपनी बन गई. इतनी कमाई करने वाली यह दुनिया की पहली लिस्टेड कंपनी बन गई है. इस कंपनी की अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था का 38 फीसदी है. गौरतलब है कि कि भारत अभी हाल में ही 2.6 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ फ्रांस को पीछे छोड़ दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया था.
कम्पनी के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि अप्रैल-जून तिमाही के नतीजे आने के बाद कंपनी का शेयर 2.8 प्रतिशत बढ़कर 207.05 डॉलर पहुंच गया. इस तरह मंगलवार से गुरूवार तक इस कंपनी के शायरों में 9 फ़ीसदी का उछाल देखा गया.
फ़िलहाल भारत की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस है. हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि रतन टाटा की टीसीएस और मुकेश अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज बिलियन डॉलर की कंपनियां बनी हैं.
इस परफॉर्मेंस के बाद एप्पल टीसीएस से 9 गुना बड़ी कंपनी बन गई है। एप्पल की मौजूदा स्थिति फिलहाल इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था के लगभग बराबर हो चुकी है.
अमेज़न 869 अरब डॉलर के मार्केट कैप के साथ पहले नंबर पर कायम थी. एक्सपर्ट बताते हैं कि एप्पल की मार्केट कैप बढ़ने के पीछे इसके पिछले मॉडलों पर 20 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी करना है. इस तिमाही में एप्पल फोन की बिक्री करीब 1 प्रतिशत तक बढ़ी लेकिन मुनाफ़ा करीब 17 फ़ीसदी का रहा है.
आपको बताते चलें की एप्पल फोन की शुरुआत स्टीव जॉब्स ने साल 1976 में एक गैराज से की थी. उनके निधन के बाद इसका कार्यभार टॉम कुक संभाल रहे हैं.
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