दिल्ली के करोल बाग की रहने वाली उमा शर्मा 75 वर्ष की उम्र में भी बिल्कुल स्वस्थ और तंदरूस्त हैं। वे अपने छोटे से हँसते खेलते परिवार के साथ बिल्कुल खुश हैं। उनके पति का करीब दो साल पहले निधन हो गया था। परिवार में उनके साथ उनके दो बेटे और उनकी बहुँए रहती हैं। दोनों बेटे इंजीनियर हैं। बड़े बेटे की बहु अध्यापक हैं। साथ ही उमा शर्मा जी की दो बेटियाँ भी हैं। जिनकी शादी हो चुकी है।
उमा शर्मा जी एक सम्मानित गृहिणी हैं। आस पास के लोग उनकी काफी इज्जत और सम्मान करते हैं। साथ ही वह सरल और दयालु प्रवृत्ति की महिला भी हैं। यदि उनके आस पास या रिश्तेदारों में कहीं भी मदद की जरूरत पड़ती है तो वह खुद सबसे पहले आगे आती हैं। खासकर बीमारी को भगाना हो तो उनके लिए उमा शर्मा जी से बड़ा वैध कोई नहीं।
लेकिन आज से कुछ ही साल पहले उमा जी खुद कई बीमारियों से पीड़ित थीं। 75 साल की उम्र में भला कोई व्यक्ति कैसे स्वस्थ रह सकता है। कोई ना कोई बीमारी तो आकर शरीर को घेर ही लेती है। सबसे पहले शरीर में दर्द की समस्या बढ़ी। जब भी कभी अचानक से दर्द होता तो वे अंग्रेजी दवाई खा लेती और दर्द से राहत मिल जाता। लेकिन दर्द जड़ से खत्म होने क नाम नहीं ले रहा था। ये बीमारी तो जीवन के साथ-साथ चल ही रही थी कि उन्हें हार्ट की बीमारी भी हो गयी। पहली बीमारियों के चलते उमा जी परेशान तो थीं ही लेकिन इस बीमारी के आने के बाद वे ज्यादा परेशान हो गयीं।
आखिरकार हार्ट की बीमारी का उन्हें ऑपरेशन कराना पड़ा। उनके इस मुश्किल समय में परिवार वालों ने उमा जी का पूरा ख्याल रखा। सभी उनकी देख रेख बहुत ही प्यार से करते हैं जैसे किसी नवजात बच्चे की देख रेख होती हो। पर किसी ने भी हार नहीं मानी और उमा जी को धीरे धीरे स्वस्थ करने में लग गए। वो कहावत तो सत्य है कि जब मनुष्य के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो ऊपरवाला उसकी सहायता करने के लिए कोई ना कोई रास्ता निकाल ही देता है। इसी तरह से उमा जी की जिंदगी में भी एक फरिश्ता आया। जो हकीम सुलेमान खान साबित हुआ।
उमा जी अपने घर पर ही रहने लगी। एक दिन टीवी देखते हुए उन्होंने हकीम सुलेमान खान का बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी देखा। उमा जी ने देखा कि कैसे हकीम साहब घरेलु नुस्खों से लोगों की मदद कर रहे हैं। बड़े से बड़े मर्ज की दवा और उसका सेवन वे फोन पर ही बता रहे हैं। यह सब देख उमा जी हकीम साहब से बहुत ही प्रभावित हुईं। बस फिर क्या था उस दिन से ही उमा जी हकीम सुलेमान खान की फैन हो गईं।
अब उमा शर्मा जी रोजाना नियमित रूप से हकीम जी का शो सेहत और जिंदगी देखने लगीं। तभी से उमा जी को भी अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने की नई उम्मीद सी दिखने लगी। हकीम जी के शो सेहत और जिंदगी में पहली बार उन्होंने हार्ट की बीमारी के लिए घरेलु नुस्खे सुनें। साथ ही घरेलु नुस्खों में जैतून के सिरका का भी नाम सुना। उमा जी ने Atiya Herbs से जैतून का सिरका मंगवाया और पूरे नियमों के अनुसार जैसे जैसे हकीम साहब ने बताया था उसकी के अनुसार उसका उपयोग करना शुरू कर दिया।
बताए गए नुस्खों के साथ जैतून के सिरका का सेवन करने पर कुछ ही समय में उमा जी को अपने शरीर में फर्क महसूस होने लगा। शरीर में जो बीमरियों का बोझ उन्हें लग रहा था, धीरे-धीरे हल्का होने लगा। उन्हें खुद भी हार्ट ब्लॉकेज की समस्या में आराम मिलने लगा। तब से उमा शर्मा जी ने लगातार इन नुस्खों का सेवन किया। हकीम जी के इन सभी नुस्खों और दवाओं ने उनका जीवन काफी सरल बना दिया है। इन सभी के उपयोग के करीब 4 महीने बाद जब उमा जी ने चेकअप कराया तो डॉक्टर्स थोड़े हैरान से हो गये। उन्होंने बताया कि मां जी आपका कॉलेस्ट्रोल, ब्लॉकेज सब कुछ ठीक है। आप बिल्कुल पूरी तरह से स्वस्थ हैं। तब उमा जी ने डॉक्टर को इन दवाओं के बारे में बताया। साथ कई नर्सों को थायराइड़ की समस्या थी। उमा जी ने उन्हे दवाई दिलाकर सेवन की विधि बताई। आज उमा जी से करीब 10 से 12 लोग जुड़े हुए हैं जिन्हें इन दवाओं से काफी आराम मिला है। अब उमा जी के साथ-साथ उनका पूरा परिवार हकीम जी के हर्बल नुस्खे अपना रहा है। साथ ही उमा जी अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी इनके उपयोग की सलाह देतीं हैं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
जैतून का सिरका क्या है ?
सिरका हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी आरामदायक होता है लेकिन जैतून का सिरका उससे भी कहीं ज्यादा लाभकारी है। इसके उपयोग से कई सारी बीमारियों से खुद का बचाव किया जा सकता है। जैतून में विटामिन ई, फैटी एसिड, एंटी ऑक्सीडेंट्स और आयरन के अलावा और भी कई गुण भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। जैतून का सिरका ब्लड प्रेशर मरीज और हार्ट के मरीजों के लिए काफी आरामदायक होता है। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है और शरीर में ब्लॉकेज की समस्या को भी खत्म करता रहता है। जिससे हार्ट अटैक होने की संभावना काफी हद तक खत्म हो जाती है।
उमा शर्मा जी अब हकीम साहब के नुस्खों से दूसरे लोगों का जीवन संवार रही हैं। वह अपनी रिश्तेदारी में कहीं भी किसी भी बीमारी का नाम सुनतीं तो उन्हें हकीम जी के और उनकी दवाइयों के बारे में बतातीं। साथ ही खुद उनके लिए दवाईँ मगांती और उन्हें बताये गए नियम के अनुसार सेवन करने की सलाह भी देतीं हैं। उनका मानना है कि हकीम जी के ये देशी और घरेलु नुस्खे हर मरीज के पास तक जाने चाहिए। ताकि कोई भी व्यक्ति हकीम साहब के होते हुए भी बीमार ना रहें।
हकीम जी कई बड़ी बीमारियों वाले मरीजों में कम से कम 10 से 12 लोगों की मदद कर चुकी हैं और लगातार मरीजों की मदद करती जा रही हैं। हकीम साहब के नुस्खों को वह निःस्वार्थ भाव से लोगों तक पहुँचा रही हैं।