अगर हम बात करें पूरे विश्व की तो यह अपने आप में एक अनोखा मामला है. दरसल मामला यह है कि गूगल पर अनुचित व्यापार व्यवहार के चलते यह जुर्माना लगाया गया है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गूगल पर आरोप था कि उसने सर्च करने में भेदभाव और सर्च में छेड़छाड़ करके, ऑनलाइन सर्च में अपनी प्रभावकारी बाज़ार स्थिति का लाभ उठाया है.
आपको बता दें कि गूगल एलएलसी, गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और गूगल आयरलैंड लिमिटेड के खिलाफ अनुचित व्यवहार शिकायत मैट्रोमॉनी डॉट कॉम और कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसइटी ने वर्ष 2012 में दर्ज कराई गई थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि सर्च में छेड़छाड़ और भेदभाव करके गूगल फायदा उठा रही है.
जिसकी सुनवाई सीसीआई (कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया) द्वारा की गई थी और यह पाया गया था, कि भारतीय बाज़ार में ऑनलाइन सर्च में अनुचित व्यवहार के चलते, गूगल पर विश्वास विरोधी आचरण करने की वजह से 136 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. सीसीआई के ऑर्डर में यह जुर्माना भारत में विभिन्न बिजनेस सेगमेंट द्वारा वित्त वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में प्राप्त किए गए कुल राजस्व का 5 फीसद के बराबर है.
पूरी दुनिया में यह अपने आप में यह अकेला मामला है जहां गूगल पर व्यापार का अनुचित व्यवहार के लिए जुर्माना लगाया गया है. सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है कि गूगल को सर्च में पक्षपात करने का दोषी पाया गया है और ऐसा करने से इसके प्रतिस्पर्धियों के साथ ही यूजर्स को भी नुकसान हुआ है. इसके अलावा आयोग ने यह भी साफ किया है कि गूगल को जुर्माने की राशि 60 दिनों के भीतर जमा करानी होगी.
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