पीढ़ियों से चले आ रहे प्रसिद्ध भारतीय लोक कला का विस्तार एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हुआ और आज भी देश के कई हिस्सों में यह जीवित है. सांस्कृतिक रूप से विविध और विशिष्ट होने के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के कला रूपों का विकास हुआ है. कुछ आधुनिकीकरण से तो कुछ नए रंग और सामग्री के इस्तेमाल द्वारा. प्रत्येक धार्मिक महाकाव्यों खासकर देवी-देवताओं का चित्रण अनोखे और सराहनीय हैं. पुराने समय में उन्हें प्राकृतिक रंगों, मिट्टी, कीचड़, पत्तियों और कैनवास या कपड़ा पर बनाए जाते थे. आज हम 10 भारतीय लोक कला फ़ॉर्म पर एक नज़र डालेंगे, जो अभी भी देश के चयनित हिस्सों में प्रचलित हैं.
10 भारतीय लोक कला फ़ॉर्म
- मधुबनी
10 भारतीय लोक कला फ़ॉर्म की बात करें तो मधुबनी का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है. मधुबनी मिथिला कला के नाम से भी जाना जाता है, यह नेपाल के राजा जनक (रामायण में सीता के पिता) के राज्य में उत्पन्न हुई जो कि वर्तमान में बिहार में मौजूद है. यह सबसे लोकप्रिय भारतीय लोक कला में से एक है, जो कि भगवान् में आस्था रखने वाली ज्यादातर महिलाओं द्वारा अभ्यास किया जाता है. ज्यामितीय पैटर्न के आधार पर बनने वाली इस कला का 1930 के दशक में आने वाले तेज़ भूकंप के बाद अंग्रेजों द्वारा पता लगाया गया.
- फाड़
राजस्थान में उत्पन्न फाड़ मुख्य रूप से स्क्रॉल पेंटिंग का एक धार्मिक रूप है जिसमें लोक देवताओं पबुजी या देव नारायण का चित्रण किया गया है. 30-या 15 फीट-लंबी कैनवास या कपड़े पर चित्रण किए गये तस्वीर को फाड़ कहा जाता है. सब्जियों के रंग, जीवन के एक पड़ाव का वर्णन और देवताओं के वीर कर्म इन चित्रों की विशेषता है.
- लघु चित्र
ये पेंटिंग्स अपनी लघु आकार, जटिल विवरण और तीव्र अभिव्यक्तियों के लिए प्रचलित हैं. 16वीं शताब्दी के आसपास, मुग़ल काल में उत्पन्न लघु चित्रकारी फ़ारसी शैली से काफी प्रभावित है और शाहजहां और अकबर के शासन के समय विकसित हुई थी. बाद में, यह राजपूतों द्वारा अपनाया गया और वर्तमान समय में राजस्थान में अभ्यास किया जाता है.
- वार्ली
2500 ईसा पूर्व पश्चिमी घाट से वारली जनजातियों द्वारा उत्पन्न यह भारत के सबसे पुराना कला रूपों में से एक है. यह मुख्य रूप से मंडलियों, त्रिकोण और वर्गों जैसी कई तरह की आकृतियां इस्तेमाल कर के मछली पकड़ने, शिकार, त्योहार, नृत्य और अधिक जैसे दैनिक जीवन की गतिविधियों को दर्शाती है. इस कला में इस्तेमाल होने वाला मानव आकार: एक चक्र और दो त्रिभुज इसे बाकि कलाओं से अलग करता है. इसमें सभी पेंटिंग एक लाल गेरू या अंधेरे बैकग्राउंड पर की जाती हैं, जबकि इसका आकार सफेद रंग में होता है.
- चेरीयल स्क्रॉल
इस कला की उत्पत्ति वर्तमान के तेलंगाना में हुई थी. इस कला का अभ्यास केवल नक्काशी परिवार द्वारा ही किया जाता है, जहां कई पीढ़ियों से यह रिवाज चला आ रहा है. लम्बी स्क्रॉल और कलामकारी कला की परंपरा ने चिरियाल स्क्रॉल को प्रभावित किया. वे प्राथमिक रंग और एक ज्वलंत कल्पना का उपयोग करते हैं, जो तंजौर या मैसूर चित्रों की परंपरागत कठोरता से बहुत विपरीत है.
- काली घाट पेंटिंग्स
यह हाल हीं में खोज की गई एक पेंटिंग शैली है जो 19वीं सदी में बंगाल के काली घाट से उत्पन्न हुई थी. इन चित्रों को कपड़े और पट्टों पर देवी और देवताओं को चित्रित किया जाता था लेकिन धीरे-धीरे इसने सामाजिक सुधार की दिशा में एक मोड़ ले लिया.
- पट्टचित्र
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एक कपड़े पर आधारित यह स्क्रॉल पेंटिंग जो कि एक तेज, कोणीय बोल्ड लाइनों के साथ महाकाव्यों, देवी और देवताओं का चित्रण करते हैं. इस कला की शुरुआत पुरी और कोनार्क जैसे धार्मिक केंद्रों में पांचवीं शताब्दी से शुरु हुआ था.
- गोंड
प्रकृति से संबंधित एक भावना के आधार पर, मध्य प्रदेश के गोंड जनजाति ने इन बोल्ड, जीवंत रंगीन चित्रों को बनाया, जिसमें मुख्य रूप से वनस्पतियों और जीवों का चित्रण किया गया. इस कला में इस्तेमाल रंग कोयला, गोबर, पत्ते और मिट्टी से आते हैं. आज ऐक्रेलिक पेंट्स के साथ इन शैलियों की नकल की जाती है.
- कलमकारी
कलमकारी का शाब्दिक अर्थ है ‘एक कलम के साथ चित्र’. भारत में कलामकारी दो प्रकार के हैं: पहला मछलीपट्टनम, जो आंध्र प्रदेश में मछलीपट्टनम और श्रीकालहस्ती, जो उसी राज्य के चितूर से निकलती है. आज कलामकारी कला का उपयोग साड़ी और जातीय कपड़े पर किया जाता है, और वनस्पतियों और जीवों से लेकर महाभारत या रामायण जैसे महाकाव्यों को दर्शाया गया है.
- तंजौर
दक्षिण से नीचे, तंजौर या तंजावुर पेंटिंग्स की उत्पत्ति 1600 ईसवी में तंजावुर के नायक द्वारा हुई थी. आप तंजावुर पेंटिंग की पहचान उसमें लगी सोना पन्नी के उपयोग के द्वारा कर सकते हैं, जो कि पेंटिंग को एक चमकदार और असली रूप देता है. लकड़ी के मकानों पर ये पैनल पेंटिंग्स देवताओं, देवी और संतों के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं.
आज हमने जाना 10 भारतीय लोक कला फ़ॉर्म के बारे में जिनकी जानकारी लोगों को शायद ही थी. उम्मीद है हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए फायेदेमंद रहेगी.
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