भारत के सभी राज्यों में अपनी एक अलग विशेषता है जो हर किसी व्यक्ति का मंत्रमुग्ध कर देता है. उसी तरह भारत का दिल कहलाया जाने वाला मध्य प्रदेश जिसकी राजधानी भोपाल है. आज के आर्टिकल में आपको मध्य प्रदेश के इतिहास के बारे में बताएँगे कि आखिर किस तरह इस राज्य की स्थापना हुई.
14 अगस्त 1947 जब भारत को आज़ादी मिली थी और उसके बाद 1950 में 26 जनवरी को हमारा गणतंत्र मिला था, उसी दौरान ब्रिटिश केंद्रीय प्रावधान ने मध्य प्रदेश बनवाया था जिसकी उस समय राजधानी नागपुर थी. बाद में पुनर्निर्माण कर मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल को लेकर मध्य प्रदेश बना, जिसकी अब राजधनी भोपाल है. कुछ समय बाद यानि वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश में से कुछ हिस्सों को निकल कर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया.
भारत को आज़ाद हुए 70 वर्ष हो चुके है और हमारी स्वतंत्रता के लिए कई सेनानियों ने अपनी जान भी गवाई थी. भारत के हर राज्य से काफी लोगों ने इस लड़ाई में अपना योगदान दिया था वही मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों ने मध्य प्रदेश के इतिहास को ओर भी ख़ास बना दिया.
- चन्द्र शेखर आजाद
इनका जन्म मध्य प्रदेश में 23 जुलाई 1906 में झाबुआ जिले में हुआ था. इन्होने 14 वर्ष की आयु में बनारस के एक संस्कृत पाठशाला से अपनी पढ़ाई की. वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में अपना योगदान भी दिया था, फिर गांधीजी के असहयोग आंदोलन से वर्ष 1920-21 में जुड़े. अपनी गिरफ्तारी के बाद जब उन्हें जज के समक्ष लाया गया तब उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’ बताया साथ ही अपने पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को निवास स्थान बताया था.
- तात्या टोपे
इनका पूरा नाम रामचंद्रराव पांडुरंगराव येवलकर है. इनका जन्म सन 1814 में यवला (महाराष्ट्र) में हुआ था. इनके पिता का नाम पांडुरंग और माता का नाम रुकमाबाई था. तात्या टोपे का लालन-पालन बिठूर में हुआ और उन्हें बचपन से ही नाना साहब से स्नेह था. एक यही कारण उन्होंने जीवन-पर्यन्त नाना की सेवा की थी. कानपुर-विद्रोह के समय से उनका क्रांती में योगदान शुरू हुआ था. तांत्या काफी प्रभावशाली, साहसी, व्यक्ति थे साथ ही निर्णय लेने की क्षमता रखते थे. क्रांति के समय उन्होंने अपना पूरा योगदान रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहब को भरपूर दिया था. उन्होंने शिवराजपुर के सेनापति के रूप में फौजियों का नेतृत्व भी किया था.
- रानी अवन्ती बाई
इनका जन्म 16 अगस्त 1831 में मध्य प्रदेश में हुआ था. यह भारत के रामगढ़ की रानी थी. 1857 की क्रांति में साहस भरे अंदाज़ से लड़ने और अपनी विरोधियों की नाक में दम कर देने के लिए जानी जाती हैं. 20 मार्च 1858 अपनी मातृभूमि पर ही आज़ादी के लिए युद्ध के दौरान स्वयं को चारों ओर घिरा हुआ पाकर खुदको तलवार भोंककर अपने प्राणों का बलिदान दिया था.
मध्य प्रदेश के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के बाद अब मध्यप्रदेश की जनसंख्या के बारे में बात करें तो पिछले 5 साल आकलन यह है-
- 2013 – 74.7 मिलियन
- 2014 – 75.9 मिलियन
- 2015 – 76.4 मिलियन
- 2016 – 77.9 मिलियन
- 2017 – 78.812 मिलियन
इसे भी पढ़े: जाने दूध सा सफ़ेद पक्षी कौन-सा है?