तेलंगाना एक ऐसा राज्य है जिसके बारे में सभी लोग जाना चाहते है, और आज के आर्टिकल में आपको तेलंगाना की संस्कृति के साथ अन्य तथ्यों के बारे में भी बताएँगे.
भारत के राज्य आंध्रप्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना तेलंगाना जिसे दक्षिण के ‘दक्षिण’ और दक्षिण के ‘उत्तर’ रूप में स्थित माना जाता है. हैदराबाद आंध्रप्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना की भी राजधानी है. यह व्यंजन(भोजन) स्टील या मिट्टी के बर्तनों में दिया जाता है जिसे ‘कांचम’ कहते है. यदि भोजन को केले के पत्ते में दिया गया तो उसे “अरति आकु” बोला जाता है. यह के व्यंजन में डोसा, उपमा, इडली, वड़ा, पेसा रत्तू, सर्वा पिंडी, माडुगुल, चकुनलु स्किनलु, ऊरगाया आचार, बचाली कुरा, तेलंगाना साकिनालु आदि काफी लोगप्रिय है.
अगर बात करे डांस की तो तेलंगाना की संस्कृति में लोक नृत्य की भूमिका अहम होती है. यह का प्रचीन नृत्य पेरिनि ठंडावं है, जिसे हाल के दिनों में पुनर्जीवित किया गया है. यह काकातिया वंश के दौरान तेलंगाना में पैदा हुआ और समृद्ध हुआ. इसे आमतौर से पुरुषों द्वारा किया जाने वाला एक नृत्य है. इसे ‘योद्धाओं का नृत्य’ भी कहा जाता है. युद्धक्षेत्र में जाने से पहले योद्धाओं ने भगवान शिव की मूर्ति से पहले इस नृत्य को अधिनियमित किया. ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य ‘प्रेरणा’ का आह्वान करता है और सर्वोच्च नर्तक, भगवान शिव को समर्पित है.
तेलंगाना क्षेत्र में बोनालू त्यौहार में सभी महिलाएं रंगीन कपड़े पहन गांव की देवी महाकाली की पूजा-अर्चना करती है साथ ही खूब नाच-गाना किया जाता हैं. बठुकम्मा या थम्बलम कहा जाने वाला त्यौहार भी महिलाओं द्वारा धूम-धाम से मनाया जाता है. इस त्यौहार में सभी माता गुरी की पूजा-अर्चना करते हुए उनको प्रसन्न करते है.
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