भारत में जितने राज्य है उनके उतने त्यौहार है. राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों के त्यौहार विश्वभर में प्रसिद्ध है वही असम के बिहू के त्यौहार की रौनक भी कुछ कम नहीं है. यह त्यौहार साल में 3 बार मनाया जाता है और इसकी ख़ास वजह फसल की कटाई है. इस आर्टिकल में तीनों बिहू त्यौहार के बारे में विस्तार से बताएँगे.
सबसे पहला माघ बिहू जो जनवरी के मध्य में मनाया जाता है. पौष संक्रांति को असम में माघ व भोगाली बिहू के नाम से भी पुकारा जाता है. इस दिन लोग सूर्योदय से पूर्व नहा-धोके तैयार हो जाते है फिर अग्नि देव की पूजा करते हैं. बांस से एक मंदिर जैसा आकार का निर्माण कर उसे जलाते है इसको आसमी भाषा में मेजी कहा जाता है. इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते है जिसमें तिल,चावल,गन्ना,नारियल आदि होते है क्योंकि इस समय फसल भरपूर रूप में उपलब्ध होती है. इस बिहू को भोगाली बिहू के नाम से भी जाना जात हैं.
- बोहाग बिहू
यह बैसाख यानि अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है. बोहाग बिहू को मानाने के लिए साथ दिन अलग-अलग रीति-रिवाज के संग मनाया जाता है. बैसाख की संक्रांति के बाद से ही यह बिहू का त्यौहार शुरू हो जाता है. इस दिन लोग कच्ची हल्दी से नहाकर नए कपड़े पहनते है साथ ही अपनी गाय को रात में भिगोई हुई दाल व कच्ची हल्दी से नहलाते है. गाय को नयी रासी से बंध उस जगह धुआ किया जाता है, जिससे उन्हें मछर न लगे साथ ही उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाता हैं.
असम के बिहू के त्यौहार में लोग इस दिन में चावल का सेवन न करके चिवड़ा-दही खाते है. कहा जाता है इस दिन बारिश की पहली बूँद धरती पर गिरती है जो सभी के लिए इस त्यौहार के महत्व को दोगुना कर देती है. इस समय जीव-जंतु, पशु-पक्षी व मानव सभी अपना एक नए जीवन का आरंभ करते है. इस बिहू को रोंगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है.
- काति बिहू
यह अक्टूबर के मध्य में व कार्तिक माह में मनाया जाता है. इस बिहू में किसी भी तरह का कोई उत्सव और ख़ुशी नहीं मनाई जाती है, इसलिए इस बिहू को कोंगाली बिहू भी कहा जाता है. इस दिन तुलसी को दीपदान किया जाता है व बांस के डंडो पर लाइट लगाकर घर के आस-पास रख रोशनी बनाए रखते है.
- बिहू के त्यौहार में विशेष पकवान-
- नारियल के लड्डू
- घिला पीठा
- मच्छी पीतिका
- तिल पीठा
- बेनगेना खार
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