भारत एक सांस्कृतिक देश है यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कृतियों को निभाया जाता है. एक संस्कृति को निभाने वाले लोग दूसरी संस्कृति के लोगों का सम्मान करते हैं. साथ ही एक दुसरे से भाई चारा रखते हैं. भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक देश है. यहाँ एक से ज्यादा संस्कृति वाले लोग मिलजुल कर रहते हैं. यहाँ लोगों को संस्कृति विरासत में मिलती है. भारतीय संस्कृति के इतिहास में क्रीक भारतीय संस्कृति भी शामिल है.
क्रीक भारतीय संस्कृति को खाड़ी संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि क्रीक कभी खुद को क्रीक नहीं कहते थें. उन्हें यह नाम अंग्रेजों ने दिया है. भारत की संस्कृति ऐसी संस्कृति है. जिसकी चर्चा विदेशों में भी की जाती है. दुसरे देश में रहने वाले ऐसे कई लोग हैं तो भारतीय नहीं होपने के बावजूद भी भारतीय संस्कृति के कायल हैं. भारतीय संस्कृति का इतिहास बेहद ही पुराना है. कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं की भारत एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता सबसे पुरानी है. इस संस्कृति में पूजा-पाठ, शिष्टाचार, तहजीब इत्यादि शामिल है. भारत की रचना के वक़्त विभिन्न परंपरा के लोगों ने साथ मिलकर इसकी रचना की थी. भारतीय संस्कृति लोगों को एक साथ मिलकर रहने की सीख देती है.
जिस तरीके से भारत की अपनी संस्कृति है उसी तरह से यहाँ भारतीय राज्यों की संस्कृति भी है. इन राज्यों की संस्कृति बेहद ही पुरानी है. ये संस्कृतियां लगभग 5000 साल पुरानी है. ‘विविधता में एकता’ भारत के लिए यह कथन बिलकुल ही सटीक बैठती है. यह एक ऐसा देश है जहाँ कई अलग-अलग तरह के कई लोग रहते हैं. अलग-अलग लोगों के अपने अलग-अलग रीती-रिवाज हैं. सबके खान-पान के तरीके अलग अलग हैं. सबमें कुछ ख़ास है. भारत एक मात्र ऐसा देश है, जहाँ हर 200 किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है.
इतनी विविधता के बाद भी भारत के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं. भारतीय संस्कृति का इतिहास भी यही कहता है कि चाहे इंसान में कितनी भी विविधता हो लेकिन उसे हमेशा मिलजुल कर ही रहना चाहिए. भारत में रहने वाले लोग कई भाषाएँ बोलते हैं. रिकॉर्ड्स के मुताबिक भारत में लगभग 22 अधिकारिक भाषाएँ है और 400 स्थानीय भाषाएँ हैं. जो प्रतिदिन लोगों के बोलचाल में प्रयोग की जाती है. भारतीय संस्कृति को विश्वभर में प्राचीनतम संस्कृति के रूप में देखा जाता है.
भारतीय संस्कृति का इतिहास कहता है कि लोगों को एक साथ परिवार बन कर रहना चाहिए. अपनी ख़ुशी और दुःख के लम्हों को एक दूसरे से साझा करना चाहिए. दूसरों के भावना और विचारों का सम्मान करना चाहिए. यहाँ लोग अपनी संस्कृति को लेकर बेहद ही समर्पित रहते हैं. हमारी संस्कृति का मूल अंग है शिष्टाचार और सम्मान. यहाँ एक धर्म के लोग दुसरे धर्म के लोगों को अपने त्योहारों में बुलाते हैं और उनके साथ भाई चारा वाला व्यवहार करते हैं.
भारतीय राज्यों की संस्कृति में अलग-अलग तरह के पकवान भी शामिल हैं. जैसे बंगाल में मांसाहारी और मीठे पकवान पर जोर दिया जाता है. वैसे ही बिहार में लिट्टी-चोखा, गुजरात में ढोकला और पापड़ जैसे खाद पदार्थों का ज्यादा चलन है. राजस्थान के लोग दाल-बाटी बहुत ही रूचि के साथ खाते हैं. पंजाब में टेल हुए व्यंजन लोग ज्यादा खाना पसंद करते हैं. पंजाब के लोग दूध दही भी बहुत ही रूचि के साथ खाते हैं. इन व्यंजनों की अपनी खासियत है. इनमे ख़ास बात यह है कि हर राज्य के व्यंजन को उसी राज्य के लोग ही खाएं या पसन् करें. इन व्यंजनों को दूरसे राज्य के लोग भी बड़े ही रूचि और चाव से खाते हैं. शायद यही बात है जो क्रीक भारतीय संस्कृति और भारत की संस्कृति को दुसरे देशों से अलग बनाती है.