भारत में बाल शिक्षा एक ऐसा शब्द है जो कि कहीं ना कहीं हमारे प्यारे देश की आज़ादी के काफी वक़्त के बाद तक दूर रहा. जिस तरह विकास की ओर मोड़़ लिया तब लोगों का नाता शिक्षा से जोड़ लिया लेकिन फिर भी भेदभाव की एक लकीर बीच में रही. लडकों की शिक्षा के लिए सभी लोगों की रजामंदी थी और वही दूसरी ओर लड़किया आज़ादी के बाद भी एक बंदिश के ज़िन्दगी जी रही थी.
भारत में बाल शिक्षा बदलते वक़्त और विकास के साथ लड़का-लड़की की बीच की रेखा को मिटा दिया हैं. आज के दौर में लड़का-लड्की एक दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलते हैं. शिक्षा हर बालक के लिए आवश्यक हैं क्यूंकि मैल्कम फ़ोर्ब्स ने कहा है-
“शिक्षा का मकसद है एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना”
जिस बच्चे को बच्चपन से ही शिक्षा से जोड़ा जाए तो वह एक नेक व सच्चा व्यक्ति बनता हैं. वही दूसरी ओर जिस बच्चे की परवरिश में पढाई का योगदान न हो उसे अपने भविष्य को सुरक्षति रखने के लिए कड़ी मेहनत लगती हैं. शिक्षा हर इंसान के लिए अनिवर्य हैं क्योंकि शिक्षा ही हमारी सारी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाती है साथ ही हमारे सारे हक़ और अधिकारों का ज्ञान देती हैं.
बच्चपन से अगर बच्चे को शिक्षा से जोड़ा जाये तो आपने साथ-साथ दूसरों को भी शिक्षित करता है. अपने घर में रहने वाले सदस्यों को, आस-पड़ोस के लोगों को या अपने दोस्तों को. माना जाता कि शिक्षा जितने लोगों के साथ बाटी जाये उतनी ही अधिक होती हैं. इसलिए ही कहा गया है कि-
“भविष्य में वो अनपढ़ नहीं होगा जो पढ़ ना पाए. अनपढ़ वो होगा जो ये नहीं जानेगा की सीखा कैसे जाता है.”
हर बालक जो बचपन से शिक्षा से जोड़ा हुआ है या शिक्षा प्राप्त कर पा रहा है उसका रहने ,खाने, बात करने व् आदर का एक अलग ही ढंग देखने को मिलेगा पर दूसरी तरफ शिक्षा से दूर रह रहे बच्चे का रहने-खाने-पहने व् बोलने तक ढंग बिल्कुल अलग रहेगा. अनपढ़ रह रहे बच्चों के लिए भारत सरकार द्वारा कई अभियान का आयोजन हुआ है. यहाँ जिन बच्चो के माता-पिता उनकी पढाई का खर्च नही उठा सकते वह बच्चे स्कूल में बिल्कुल नि:शुल्क पैसे दे अपनी पढ़ाई कर सकते और साथ ही दिन का भोजन भी दिया जायेगा. जो परिवार अपनी लडकियों को पढ़ने के लिए भेजेगा उनके पास उन्हें पर एक राशि उपहार सहित मिलेगी. बच्चो को शिक्षित करने के लिए भारत ने काफी ठोस कदम उठाए है. तभी तो अब भारत का नारा है-
जब पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया
इसे भी पढ़े: अगर आप कॉलेज नहीं जा सकते, तो शिक्षा आपके दरवाज़े पर है