एस्ट्रोलॉजी कई प्रकार की होती है जैसे टैरों कार्ड, हस्थ रेखा, कुण्डली विशेषज्ञ आदि. उसी तरह से मनोविज्ञान भी एक साइंस है. आज इस लेख में हम आपको बताएंगे भारत में माइंड रीडिंग की कला का बढ़ता ज़ोर और जानकारी के बारे में. वैसे तो भारत और विश्व के दूसरे हिस्सों में भी लोगों को अपने भविष्य को जानने की उत्सुकता बनी रहती है. लेकिन ऐसी कला है जो आज बहुत ज्यादा ही चलन में है और लोग इसके बारे में सीखना और जानना चाहते हैं.
भारत में माइंड रीडिंग करने वाले बहुत से लोग है जो देश में काफी नाम कमा चुके है. हालांकि इसका एक नकारात्मक पहलू भी है जिसके चलते लोगों को झांसे में लाकर ठग भी लिया जाता है. लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि साइंस के अनुसार साइकिक रीडिंग में आंकलन कर बताने की या कहें दिमाग पढ़ने योग्य क्षमता के उपयोग से दृष्टि, ध्वनि, स्पर्श, स्वाद और वृत्ति के बुनियादी मानव इंद्रियों के प्राकृतिक विस्तार का दावा किया जाता है. श्रमसाध्यता (दृष्टि), क्लैर्सिएन्टिएन्स (भावना), क्लैरोकॉग्निजेंस (तथ्यात्मक जानकार) और क्लेयरऑडियेंस (सुनवाई) और ऐसे प्रयासों के दौरान किए गए परिणामस्वरूप बयानों को निष्कर्ष मान लिया जाता है.
भारत में माइंड रीडिंग करने वाले बहुत से लोगों के बारे में सुना या देखा होगा. लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि यह काम तांत्रिकों द्वारा भी किया जाता है. जो अपने पास आत्मा से बात करने की विद्या का दावा करते है और उन्ही से सवाल और जवाब पूछते है. इंडिया में साइकिक रीडिंग करवाने वालों कोई कमी नही है. वैसे तो ऐसे लोग दावा करते है कि वो इस काम को लोगों की भलाई और उन्हें परेशानियों से बचाने के लिए करते है. लेकिन इसका सच्चाई से कोई लेना-देना होता नही है. आदमी परेशान होता है और वह सोचता है कि इन चीज़ों से उसकी समस्या दूर हो जाएगी.
जो लोग पेशेवर रूप से इस काम को कर रहे है वह बताते है कि साइकिक रीडर बनने में उन्हें काफी समय और मेहनत लगती है. इसमें वे लोग आत्माओं से बात करते है. जिस व्यक्ति से मिलने जा रहे है या कही बैठे है तो उनके आसपास कोई न कोई आत्मा कुछ न कुछ संदेश देकर जाती रहती है, जिसे वह उस मिलने वाले इंसान को बता सके, विदेशों में ऐसे बहुत से लोग है जो इस काम के लिए प्रसिद्ध है. भारत में भी ऐसे बहुत से लोग है जो दिमाग पढ़ने की कला का इस्तेमाल कर रहे है. आपको बता दें कि इंडिया में साइकिक रीडिंग काफी समय से चलती आ रही है, जिसके कई प्रकार है.
इंडिया में साइकिक रीडिंग के प्रकार
एस्ट्रोलॉजी – यह भारत की प्रचीन सभ्यता है जिसमें इंसान की कुण्डली और सितारों, ग्रहों की गति का गणित लगाकर व्यक्ति का भविष्य बताया जाता है. इसके अलावा ग्रहों और सितरों की स्थिति देख लोगों का व्यवहार और जिंदगी में घटने वाले घटनाक्रम तक के बारे में जानकारी दे दी जाती हैं. कुण्डली देखकर भी भारत में माइंड रीडिंग की जा सकती है.
टैरों कार्ड – इंडिया में साइकिक रीडिंग के कई प्रकार उन्ही में से एक है टैरों कार्ड रीडिंग जिसमें कार्ड देखकर लोगों के भविष्य के बारे में बताया जाता है. इसमें इलग कार्ड का अलग मतलब होता है. इसमें 52 कार्ड होते हैं जिसमें कुछ मेजर और कुछ माइनर होते है. इसमें सवाल सोचा जाता है और फिर कार्ड उठाया जाता है. जिस कार्ड का जो मतलब निकलता है वह कार्ड उठाने वाले को बता दिया जाता है.
अंक ज्योतिष – इसमें व्यक्ति की जन्मतिथि आदि के साथ-साथ नाम का मूलांक आदि किया जाता है. जो लक को अच्छा करने, सही निर्णय लेने आदि में मदद करता है.
हस्थ रेखा – इंडिया में साइकिक रीडिंग की बात करें तो हाथों की रेखाओं को पढ़ना भी अपने आप में किसी कला से कम नही है, कुण्डली की ही तरह हमारे हाथ में भी अलग-अलग ग्रहों आदि के पर्वत होते है और जीवन रेखा, बुद्दि रेखा, स्वास्थ रेखा होती है. जिनको देखकर किसी के भविष्य के बारे में आंकलन किया जाता है.
वास्तु – किसी चीज़ को घर या ऑफिस में किस स्थान पर होना चाहिए. यह सब इसमें होता है, कहा जाता है चीज़ों का सही दिशा में होना बहुत से दोषों को खत्म कर देता हैं. भारत में माइंड रीडिंग की बात करें तो इसलिए बहुत से लोग वास्तु को मानते है और फॉलो करते है.
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