नवरात्रि के आठवे दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी घर में सुख-संपत्ति लाती हैं। इस दिन मां के कई भक्त अपने कुल की मान्यताओं और इच्छानुसार कन्या पूजन भी करते हैं। पीपल भारत की इस रिपोर्ट में जानिए मां महागौरी की उपासना और कन्या पूजन की सही विधि (vidhi)…
आज नवरात्रि (Navratri) का आठवा दिन है। इस दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। कुछ लोग इस दिन अपने कुल की मान्यताओं और इच्छा के अनुसार कन्या पूजन भी करते हैं। यहां हम आपको मां महागौरी के स्वरूप, उपासना और व्रत की सही विधि (puja vidhi aur upasna vidhi), मंत्र (mantra) और मां की आरती (mata ki aarti) के बारे में बता रहे हैं…
मां महागौरी का स्वरूप
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी का रंग पूर्णत: गौर है। इनके समस्त वस्त्र और आभूषण भी श्वेत हैं। मां महागौरी की चार भुजाएं हैं। उनके ऊपर के दाहिने हाथ में त्रिशूल है जबकि नीचे का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है। ऊपर के बाएं हाथ में डमरू है जबकि नीचे का बांया हाथ वर मुद्रा में है। इनकी मुद्रा बेहद शांत है। मां महागौरी वृषभ पर सवार हैं। लेकिन ये सिंह पर भी सवार होती हैं।
कैसे मिला मां महागौरी को अपना श्वेत रूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कड़ी तपस्या की। इससे उनका रंग काला पड़ गया। लेकिन देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें स्वीकार करते हैं और उन्हें गंगा जल से धोते हैं। इससे उनका वर्ण गौर या श्वेत हो जाता है। तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया।
मां महागौरी की उपासना और कन्या पूजन
मां महागौरी की पूजा की सही विधि (puja vidhi) इस प्रकार है:
- सबसे पहले लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में मां महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें।
- मां महागौरी की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं।
- अब हाथ में फूल लेकर मां का ध्यान करें।
- इसके बाद मां को फल और फूल अर्पित करें।
- अब मां की आरती उतारें।
- अष्टमी के दिन कन्या पूजन शुभ माना जाता है। नौ कन्याओं और एक बालक को बुलाकर कन्या पूजन करें। उन्हें खाना खिलाएं और जय माता
दी के जयकारे लगाएं। - कन्याओं और बाल को भेंट दें।
- अब उनके पैर छूएं और उनका आशीर्वाद लें।
मां महागौरी की उपासना का महत्व
मां दुर्गा के आठवे रूप मां महागौरी की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। विधिपूर्वक उनकी आराधना करने से आपके व्यापार और धन में बढ़ोतरी होती है और दांपात्य जीवन में सुख शांति आती है। ऐसे लोग जो गायन, अभिनय या नृत्य में हैं उन्हें मां महागौरी की उपासना करने से विशेष समफलता मिलती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा से त्वचा संबंधी रोग से राहत मिलती है।
कैसे करें मां महागौरी का ध्यान
मां महागौरी का ध्यान करने के लिए इस मंत्र (mantra) का उच्चारण करें:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
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मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥