इन दिनों नवरात्रि में गरबा (garba) की बड़ी धूम है। लोग नए नए तरीकों से गरबा के लोकप्रिय गीतों (garba songs) पर डांस कर रहे हैं। नवरात्रि के अवसर पर पीपल भारत की इस रिपोर्ट में जानिए, गरबा के बारे में कुछ दिलचस्प बातें…
नवरात्रि में गरबा की अगल ही धूम देखने को मिलती है। लेकिन अब का गरबा पहले का गरबा नहीं रहा। गुजरात से निकलकर गरबा अब ग्लोबल हो गया है। यहां जानिए, गरबा के बारे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जो आप शायद ही जानते होंगे…
सबसे पहले गरबा का इतिहास जान लीजिए
इतना तो आप जानते होंगे कि गरबा (garba) एक नृत्य है जिसका जन्म गुजरात (Gujrat) में हुआ था। नवरात्रि के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है।
मगर गरबा का अर्थ क्या है?
गरबा को गरबी, गर्भ या गर्भ दीप भी कहा जाता है। गर्भ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ‘मां के गर्भ’ से है। गर्भ दीप में जो ‘दीप’ है उसका अर्थ ‘माटी के दीए’ से है। यह नृत्य आमतौर पर एक बड़े से लैंप या मां दुर्गा की प्रतिमा के चारों ओर किया जाता है।
जानिए गरबा और डांडिया में क्या फ़र्क है
लोग अक्सर गरबा और डांडिया को एक ही समझ लेते हैं। मगर दोनों में फ़र्क है। डांडिया एक अन्य गुजराती नृत्य है जिसकी शुरुआत वृंदावन में हुई थी। दोनों में सबसे अहम फ़र्क यह है कि गरबा एक सर्क्यूलर डांस फॉर्म है जिसमें हाथ पैर की विभिन्न मुद्राओं का इस्तेमाल किया जाता है जबकि डांडिया में रंग बिरंगी डंडियों का उपयोग किया जाता है।
नवरात्रि में क्यों किया जाता है गरबा?
गरबा को एक बड़े गर्भ दीप के चारों ओर किया जाता है। यह गर्भ दीप मां के गर्भ में पल रहे शिशु को प्रतिबिंबित करता है। यह नृत्य मां दुर्गा या अम्बा की पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है।
गरबा करते हुए लोग एक दूसरे का हाथ पकड़कर गोल-गोल घूमते हैं। यह जीवन की निरंतरता को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं है। मृत्यु के बाद व्यक्ति का पुनर्जन्म होता है। पर मां दुर्गा अटल और शक्तिमान हैं। उनकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता।
गरबा में गोल गोल घूमकर डांस करने की प्रथा सूफियों से ली गई प्रतीत होती है। ईश्वर की भक्ति में लीन सूफी भक्त भी इसी तरह नृत्य किया करते थे।
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ग्लोबल हो गया है गरबा
गरबा अब गुजरात से निकलकर ग्लोबल हो गया है। अमेरिका, कनाडा, टोरंटो, सारे विश्व में गरबा की धूम है। लेकिन ग्लोबल होने के साथ-साथ इसने कई अलग-अलग रूप भी धारण कर लिए हैं। अब गरबा सिर्फ़ गरबा के साथ नहीं किया जाता। गरबा ने खुद में कई अन्य डांस फॉर्म को भी शामिल कर लिया गया है।
इन दिनों युवाओं में गरबा और डांडिया का फ्यूशन काफी पॉपुलर हो रहा है। गरबा अब सिर्फ़ मां के गर्भ का प्रतीक भर नहीं रह गया है। वह मां से गर्भ से निकलकर ग्लोबल मुद्दों की बात करने लगा है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तक। यकीन नहीं होता तो गुजरात का यह स्पेशल गरबा (Gujrat special garba) देख लीजिए।
गुजरात का स्पेशल गरबा (Gujrat special garba)
गरबा कैपिटल के नाम से मशहूर गुजरात (Gujrat) में इन दिनों गरबे का अनोखा रूप देखने को मिल रहा है। गरबा नाइट (garba night) में महिलाओं और बच्चों ने पीएम मोदी का मुखौटा पहना और गरबा के लोकप्रिय गीतों (garba ke popular songs) पर डांस किया। कुछ गुजराती लड़कियों ने अपनी पीठ पर मोदी और ट्रंप का टैटू बनवाकर वासुधैव कुटुंबकम् का संदेश दिया।
वहीं कुछ लोग गरबा के ज़रिए राष्ट्रीय मुद्दे उठा रहे हैं। जम्मू कश्मीर की युवतियों ने अनुच्छेद 370, 35ए हटाने के समर्थन में अपनी पीठ पर टैटू बनवाए।
भारत से निकलकर न्यू जर्सी भी जाकर देखिए। जवान तो जवान, बूढ़े भी गरबा के गानों (Garba songs) पर थिरक रहे हैं।
गरबा में इंडो-वेस्टेर्न का क्रेज़
डांस के साथ साथ लोग गरबा के पहनावे को लेकर भी प्रयोग कर रहे हैं। वैसे तो आमतौर पर चनिया-चोली ही गरबा की पारंपरिक पोशाक है लेकिन आजकल बैकलेस चोली और इंडो वेस्टर्न पहनावा काफी पॉपुलर हो रहा है। युवतियां अपने शरीर पर ‘से नो टु प्लास्टिक’, ‘पानी बचाएं’, ‘ट्रैफिक रूल्स फॉलों करें’ जैसे सामाजिक संदेश देने वाले टैटू बनवा रही हैं।
तो अगर आप भी कोई सामाजिक संदेश औरों तक पहुंचाना चाहती हैं तो सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ पहन लीजिए बैकलेस चोली और अपनी पीठ पर बनवा लीजिए एक शानदार टैटू।