अक्सर आपने लोगों को मक्का-मदीना का नाम लेते हुए सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं की यह सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि सऊदी अरब स्थित दो अलग-अलग शहर हैं. मुसलमानों के लिए जन्नत का दरवाज़ा माने जाने वाले मक्का-मदीना का धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्व है.
मक्का और मदीना का इतिहास भी काफी रोमांचक है.
तो आइए डालते हैं एक नज़र मक्का-मदीना के इतिहास पर –
मक्का का इतिहास –
कहा जाता है की इस्लाम का जन्म सऊदी अरब के एक शहर मक्का की पाक धरती पर हुआ है. मक्का शहर समुद्र सतह से 277 मीटर ऊपर सऊदी अरब के हेज़ाज क्षेत्र में बसा है. अपनी हज की यात्रा पूरी करने के लिए हर वर्ष लाखों लोग मक्का जातें हैं. धर्म तथा व्यापर का केंद्र रह चुका मक्का शहर, बलुई और अनुपजाऊ घाटी में बसा है. कहा जाता है कि मक्का की शुरुआत इस्माईल वंश के द्वारा की गई थी. साथ ही इस शहर को पैगम्बर मोहम्मद का जन्मस्थल भी माना जाता है.
आखिर क्यों खास है ये शहर, जानने के लिए आगे जरुर पढ़ें –
पैगम्बर मोहम्मद – 570 ई. पू. पैगम्बर मोहम्मद का जन्म भी मक्का में ही हुआ था. मक्कावासियों से मतभेद के बाद मोहम्मद साहब 622 ईसवी में अपने अनुयायियों के साथ मक्का छोड़ मदीना की ओर चले गये थे.
काबा– एक मुस्लिम व्यक्ति को दिन में पांच बार नमाज़ अदा करना होता है, नमाज़ अदा करते वक़्त विश्व के सभी मुसलमान चाहे कहीं भी क्यों ना हों काबा की और मुहँ कर के नमाज़ पढ़ते हैं. काबा, मक्का में स्थित एक विशाल मस्जिद का हिस्सा है जो कि ग्रेनाईट पत्थरों से बना हुआ 40 फीट लम्बा और 33 फीट चौड़ा ईमारत है. यह काले पत्थरों और सोने से बना है जो मस्जिद के मध्य भाग में आयताकार स्वरूप में स्थित है. यह पूरी तरह से बंद है केवल इसमें केवल एक दरवाज़ा है. मुस्लिम यात्री मक्का आकर काबा के 7 चक्कर लगाने के बाद इसे चूँमते हैं.
हजयात्रा– मोहम्मद साहब के अनुसार किसी व्यक्ति को अपनी ज़िन्दगी में एक बार मक्का जाना जरुरी बताया है. इस्लाम का जन्म सऊदी अरब की धरती पर हुआ है. इसीलिए पूरे विश्व से लोग लाखों लोग यहाँ पर हज के लिए आते है.
मस्जिद-हरम-अल- ‘मस्जिद-हरम-अल’ नाम से मक्का में एक बहुत प्रसिद्ध मस्जिद है. इस मस्जिद के चारों ओर प्राचीन महत्व के खंभे मौजूद हैं. कहा जाता है कि हजरत इब्राहीम द्वारा बनाई गई ये ‘‘मस्जिद-हरम-अल’ 356 हज़ार 800 वर्ग मीटर में फैली हुई है. किन्तु अब इस मस्जिद के पूर्वी भाग के खम्भों को गिराया जा रहा है. यह स्थान इतिहास की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ पैगम्बर हजरत मुहम्मद एवं उनके साथियों के खास पलों को अरबी भाषा में अंकित किया गया है.
मदीना का इतिहास –
मदीना शहर सऊदी अरब के पश्चिमी हेज़ाज़ क्षेत्र में स्थित है. इसे सम्मानपूर्वक अल-मदीना अल-मुनव्वरा भी कहा जाता है. मदीना एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ “नगर” या “शहर“ होता है. इस्लाम में इसे मक्का के बाद दूसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. मदीना का महत्व इसलिए भी है क्यूंकि यहाँ पैगम्बर मोहम्मद के शरीर को दफनाया गया था.
इस्लाम धर्म की शुरुआत से पहले मदीना शहर कों “’यसरिब’” नाम से जाना जाता था. मदीना में इस्लाम धर्म के तीन प्राचीन मस्जिद “मस्जिद अल नबवी (पैगंबर की मस्जिद), मस्जिद ए क़ुबा(इस्लाम धर्म के इतिहास में पहली मस्जिद) और मस्जिद अल क़िब्लतैन” (ऐसी मस्जिद जिसमें दो क़िब्लओं की ओर मुंह करके नमाज़ अदा की गयी) मौजूद हैं.
मूल रूप से इस्लाम धर्म का कैलेंडर, मोहम्मद साहब और उनके अनुयायियों के मक्का से मदीना हिजरह कर जाने की घटना पर बना है जिसकी शुरुआत सन् 622 ई से हिजरी के रूप में होती है. मक्का से मदीना जाने का रास्ता केवल मुसलमानों के लिए खुला होता है, गैर मुसलमानों का यहाँ पर आगमन प्रतिबंधित है.
मक्का-मदीना को इस्लाम का पांचवा स्तम्भ माना जाता है इसीलिए इसे पूरी दुनिया बहुत महत्व दी जाती है.