कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार स्कूल की किताबों से टीपू सुल्तान का नाम हटाने के बारे में विचार कर रही है। यहां जानिए कि आखिर सीएम ऐसा क्यों चाहते हैं…
हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने एक बेहद विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से टीपू सुल्तान का नाम हटाने के बारे में विचार कर रही है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, “टीपू जयंती के बारे में, हम सब कुछ हटाने जा रहे हैं। हम पाठ्यपुस्तकों में उसके बारे में सब कुछ हटाने के जा रहे हैं। मैं उन लोगों से सहमत नहीं हूं जो टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं।”
क्या है पूरा मामला?
सबसे पहले बीजेपी एमएलए अपाचू रंजन (Appachu Ranjan) ने यह प्रस्ताव रखा था। उनके इस प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने कर्नाटक टेक्टबुक सोसायटी (Karnataka Textbook Society) के मैनेजिंग डायरेक्टर को तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
रंजन ने कुमार को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि पाठ्यपुस्तकों में गलत तथ्यों के आधार पर टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी साबित करने की कोशिश की गई है।
उन्होंने कहा, “कोडागू, मंगलुरु और दूसरे राज्यों में टीपू सुल्तान सिर्फ़ अपने इलाके को फैलाने के मकसद से आया था। वह यहां सिर्फ़ लोगों का धर्म परिवर्तन कराने और अपने राज्य को बढ़ाने के इरादे से आया था।”
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि टीपू ने कभी भी कर्नाटक का सम्मान नहीं किया। उसके राज्य की भाषा पर्शियन थी। उन्होंने कहा, “उसने शहरों के नाम बदले- मेदिकेरी को जाफ़राबाद और मैंगलुरु को जलालाबाद बना दिया। उसने कई मंदिरों और चर्चों को लूटा…”
टीपू सुल्तान के वंशज का क्या कहना है?
इस पर टीपू सुल्तान के वंशजों में से एक मोहम्मद शाहिद आलम की प्रतिक्रिया आई है। शाहिद ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि वोट पाने के लिए पूर्व शासक (टीपू सुल्तान) पर निशाना साधा जा रहा है।