लगातार बढ़ते प्रदूषण से जहाँ दिल्ली वालों का जीना मुहाल हो गया है तो दूसरी तरफ़ गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली में ब्लैक कार्बन की मात्रा यूरोपियन देशों के मुकाबले 5 गुना बढ़ गई है. इस समय राजधानी में रहने वाले लोग भारी मात्रा में इसे अपने फेफड़ों में अवशोषित कर रहे हैं. एक तरफ़ जहाँ पीएम 10 और पीएम 2.5 ने लोगों को मुश्किल में डाल रखा है तो दूसरी तरह गाड़ियों की बढ़ती संख्या से लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.
- पूरे मामले पर एक नज़र
आरामदायक जिंदगी जीने की आदतों ने दिल्ली वालों को प्रदूषण की चपेट में लाकर खड़ा कर दिया है. दिल्ली में कारों के इज़ाफे से ब्लैक कार्बन की मात्रा पर्यावरण में लगातार बढ़ती जा रही है. एटमॉस्फिअरिक इन्वाइरनमेंट जर्नल में प्रकाशित एक खबर जिसमें एशियन ट्रांसपोर्ट पर रिसर्च किया है के मुताबिक़ दिल्ली में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पैदल चलने वाले लोग यूरोपियन देशों की तुलना में 2 गुना ज्यादा कार्बन अवशोषित करते हैं.
इसके आलावा साइकिल और टू व्हीलर से चलने वाले लोग भी इसकी चपेट में आते हैं. सर्वे के मुताबिक़ दिल्ली के कार चालक पश्चिमी देशों के ड्राइवरों के मुकाबले 9 गुना ज्यादा प्रदूषण का शिकार होते हैं.
- दिल्ली और एशियाई देशों में ब्लैक कार्बन की स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक़ चीन के पेइचिंग शहर में साल 2000 में करीब 15 लाख कारें थी जो साल 2014 में बढ़कर 40 लाख हो गई. इसके इतर दिल्ली में स्थिति डराने वाली है. सर्वे के मुताबिक़ साल 2010 में यहाँ 47 लाख कारें थी जो साल 2030 तक बढ़कर करीब ढाई करोड़ हो जाएगी.
दिल्ली वालों के लिए यह स्थिति काफी चिंताजनक है. सर्वे के मुताबिक़ यूरोप और उत्तरी अमेरिका के मुकाबले दिल्ली में कारों से औसतन 5 गुना अधिक कार्बन उत्सर्जित होता है. डब्लूएचओ के मुताबिक़ एशिया में समय से पहले होने वाली करीब 85 प्रतिशत मौतें हवा के प्रदूषण की वजह से हो रही हैं.
विश्वभर के प्रदूषण की बात करें तो दिल्ली का नाम इस फेहरिस्त में सबसे ऊपरी कतार में आता है. आए दिन सरकारों ने इससे बचने के लिए तमाम उपाय किए. कारों के लिए ऑड-इवन के नियम से लेकर ट्रकों के संचालन पर रोक तक लगाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता नज़र नही आ रहा है. एक सर्वे के मुताबिक़ दिल्ली में प्रदूषण से हर पांचवां व्यक्ति फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त है. यदि प्रदूषण का स्तर ऐसा ही बना रहा तो आने वाले दिन दिल्ली वासियों के लिए बेहद भयावह हो सकते हैं.
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