आज की दुनिया को देखे तो डिजिटल क्षेत्र में तेज़ी और बढ़ती जरूरत के कारण हर सेक्टर में जल्दी बदलाव आ रहे है. अगर हम बात करें करेंसी की, तो भारत में एक साल पहले हुई नोटबंदी के बाद से ही देश में ऑनलाइन भुगतान को लेकर जागरूकता बहुत बढ़ी है. वैसे तो आज के समय में मुद्रा भी इसी प्रक्रिया से गुजर रही है. अगर इतिहास पर नज़र डाले तो प्राचीन काल में वस्तु की मदद से विनिमय किया जाता था.
लेकिन बाद में इसका स्थान प्रतीक के तौर पर गैर-धातु वाली मुद्रा ने ले लिया. करेंसी का मौजूदा स्वरूप बहुत देर से अस्तित्व में आया. आज के डिजिटल युग में डेबिट और क्रेडिट कार्ड, पेटीएमए भीम एप, मोबाइल वॉलेट आदि के जरिए अधिकतर कंप्यूटर-साक्षर लोग डिजिटल लेन-देन का उपयोग कर रहे हैं. बहरहाल, इसके कारण मुद्रा के भौतिक रूप जैसे नकदी के जरिए किए जाने वाले लेन-देन में उल्लेखनीय कमी आई है.
क्या होती है आभासी या कहे बिटकॉइन मुद्रा ?
आभासी मुद्रा को डिजिटल युग का नया रूप माना जा सकता है, जिसे क्रिप्टो करेंसी भी कहा जाता है. यह बिटकॉइन, इथेरियम, रिपल, लिटेक्वाइन, स्टीम, डैश, डोजेक्वाइन आदि आभासी मुद्रा के रूप में दुनिया में मौजूद है. इसकी भौतिक उपस्थिति नहीं होती, यानी यह सिक्के या नोट के रूप में मौजूद नहीं होता है. इन आभासी मुद्राओं में बिटकॉइन सबसे लोकप्रिय है.
कहा से हुई बिटकॉइन का शुरूआत
बिटकॉइन का आविष्कार किसने किया? इस बात की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका आविष्कार किसी अज्ञात प्रोग्रामर ने किया था, तो कुछ लोगों का कहना है कि सातोशी नाकामोटो नाम के प्रोग्रामरों के समूह ने इसकी शुरूआत की थी. इस आभासी मुद्रा का सबसे पहले उपयोग 3 जनवरी, 2009 को किया गया था, लेकिन इसकी लोकप्रियता में इजाफा होना वर्ष 2012 से शुरू हुआ था.
इस करेंसी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वैंकूवर में वर्ष 2013 में बिटकॉइन के बदले भौतिक मुद्रा देने का दावा करने वाला एक एटीएम लगाया गया था. फिलहाल, यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है और विश्व की विभिन्न करेंसियों की मजबूती के बरक्स इसके मूल्य का आकलन प्रतिदिन किया जाता है.
बिटकॉइन का इतिहास
बिटकॉइन का इतिहास सिर्फ आठ साल पुराना है. सबसे पहले इसकी चर्चा 2008 में हुई थी. शुरुआती दौर में तकनीकी तौर पर इसकी संख्या को लेकर दिक्कतें आई थीं. बिटकॉइन की मौजूदगी 2009 से है, लेकिन 2011 तक यह अपनी पहचान बनाने में सफल नहीं हो पाया था. आज यूरो, अमेरिकी डॉलर आदि की तुलना में बिटक्वाइन के मूल्य में तेजी से इजाफा हो रहा है. भारत की बात करें तो दिसंबर, 2017 में एक बिटकॉइन की कीमत लगभग आठ लाख रुपए थी. डॉलर में इसकी कीमत में हर मिनट बदलाव आता रहता है. जिसके चलते इसकी कीमत कम ज्यादा होती रहती हैं.
भारत में बिटकॉइन अवैध नही है
भारतीय रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन समेत तमाम आभासी मुद्राओं के उपयोग करने वालों, धारकों और कारोबारियों को इनसे जुड़े संभावित वित्तीय, परिचालनात्मक कानूनी, उपभोक्ता संरक्षण और सुरक्षा जोखिमों को लेकर आगाह किया है. साथ ही भारत सरकार ने आभासी मुद्रा पर विशेष सचिव, आर्थिक मामले की अध्यक्षता में एक अंतर-अनुशासनात्मक समिति गठित की है. बावजूद इसके एक अनुमान के मुताबिक भारत में फिलहाल इसके पंद्रह लाख से ज्यादा उपयोगकर्ता हैं.
बिटकॉइन की कार्यप्रणाली
बिटकॉइन डिजिटल टोकन पर चलने वाली आभासी मुद्रा है. यह एक ऐसे ट्रांजेक्शन लेजर पर काम करता है, जिसे इसके उपयोगकर्ता संयुक्त रूप से नियंत्रित करते हैं और इसके बही को क्रिप्टोग्राफिक तकनीक के जरिए जांचा-परखा जाता है. इसकी वजह से इसे क्रिप्टो करेंसी भी कहते हैं. इसके लेन-देन के लिए डिजिटल रूप से हस्ताक्षर किए गए संदेश को प्रसारित किया जाता है, जिसकी सत्यता की जांच विश्व भर में फैले कंप्यूटर के विकेंद्रीकृत नेटवर्क के जरिए की जाती है.
ऐसे रखा जाता है बिटकॉइन में हिसाब
इस आभासी मुद्रा के इस्तेमाल में ट्रांजेक्शन का हिसाब रखा जाता है और लेन-देन को नेटवर्क नोड द्वारा सत्यापित किया जाता है, जिसका विवरण पब्लिक डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर में दर्ज होता है, जिसे ब्लॉक चेन कहते हैं. ब्लॉकचेन का रखरखाव किसी केंद्रीय इकाई द्वारा नहीं, बल्कि कई जगहों पर बंटे कंप्यूटर नेटवर्क द्वारा किया जाता है, जो बिटक्वाइन के क्रिप्टोग्राफिक सूचनाओं को संभाल कर रखते हैं.
पारंपरिक मुद्राओं से कैसे है विपरीत बिटकॉइन
यह पारंपरिक करेंसी के विपरीत है इसे किसी देश या बैंक से कोई लेना-देना नहीं होता है और न ही इसका कोई भंडार होता है. बिटकॉइन का लेन-देन पूरी तरह आपसी समझ और विश्वास पर आधारित है. इसमें किसी बिचौलिए की जरूरत नही होती है और इसका लेन-देन वेबसाइट पर किया जाता है. इसका स्वरूप मोबाइल एप या कंप्यूटर प्रोग्राम की तरह है, जिसके तहत उपयोगकर्ता को बिटकॉइन वॉलेट मुहैया कराया जाता है, जो उपयोगकर्ता को बिटक्वाइन भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है.
बिटकॉइन को रखने के लिए उपयोगकर्ताओं को 27-34 अक्षरों या अंकों के कोड के रूप में अपने पते को निबंधित करना होता है, जिस पर बिटकॉइन भेजे जाते हैं. इस पता को बिटकॉइन वॉलेट में सुरक्षित रखा जाता है, इसी में बिटकॉइन भी रखे जाते हैं. इससे जुड़े लोगों की पहचान को गुप्त रखा जाता है. क्रेडिट या डेबिट कार्ड से लेन-देन करने पर पांच प्रतिशत कर देना पड़ता है.
बिटकॉइन और आज की मुद्रा में अंतर
वर्तमान मुद्रा की तरह बिटकॉइन का मुद्रास्फीति से कोई लेना-देना नहीं होता. बाजार के उतार-चढ़ाव से भी यह मुक्त है. गैरकानूनी तरीके से इसके लेन-देन के कारण इससे जुड़े विवाद में किसी को सजा नहीं दी जा सकती. चूंकि यह किसी बैंक से जुड़ा नहीं है, इसलिए इसका कोई नियामक भी नहीं होता है. इसकी कीमत वितरण में आई बिटकॉइन की संख्या से तय होती है. इसके वितरण की उच्चतम संख्या दो सौ दस लाख तक रखी गई है. वर्तमान में यह करेंसी के लेन-देन का एक आसान और सरल तरीका माना जा रहा है.
बैंकिंग और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
बिटकॉइन के पूरी तरह चलन में आ जाने के बाद निश्चित तौर पर दुनिया की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आएगा. लेकिन इसका स्वरूप कैसा होगा इसकी परिकल्पना करना आसान नहीं है. माना जा रहा है कि बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा के वैध मुद्रा बनने के बाद बैंकों का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा. आर्थिक क्षेत्र के बहुत सारे मानक भी बदल जाने का सवाल भी है. साथ ही जो लोग बिटकॉइन से अनजान हैं वह अपने पैसे कहां रखेंगे, जरूरत पड़ने पर कर्ज कहां से लेंगे, विवाद होने पर निपटारा कौन करेगा आदि सवाल इसके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता हैं.
विश्वभर में इसके नाकारात्मक प्रभाव
विश्व भार में इसके बड़ते चलन के कारण क्रिमिनल और आतंकवाद फैलाने के लिए भी फिरौती में इस आभासी मुद्रा की मांग देखी जाने लगी हैं. हाल ही में ब्रिटेन, अमेरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली आदि दुनिया के कई देशों के कुछ संस्थानों पर रैनसमवेयर नामक वायरस का साइबर हमला हुआ था, जिसके कारण कंप्यूटरों ने काम करना बंद कर दिया. साइबर हमले से प्रभावित संस्थानों से फिरौती के रूप में बिटकॉइन की मांग की गई थी. साइबर हमले के शिकार कंप्यूटरों की फाइलें तलाशने के बदले तीन सौ बिटकॉइन की मांग की गई थी. गौरतलब है कि साइबर हमले मूल रूप से विंडोज एक्सपी कंप्यूटर्स पर हुए थे, क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट ने इसके ऑपरेटिंग सिस्टम को बीते सालों से सपोर्ट देना बंद कर दिया था. गौरतलब है कि वायरस उन्हीं कंप्यूटर्स को अपनी गिरफ्त में लेते हैं, जिनकी सुरक्षा प्रणाली कमजोर होती है.
धनशोधन और काला बाजारी
एफबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि आभासी मुद्रा बिटकॉइन का इस्तेमाल धनशोधन यानी मनी लांड्रिंग के लिए किया जा सकता है. बिटकॉइन की बढ़ती लोकप्रियता ने गैरकानूनी चीजें खरीदने में इसके प्रयोग को बढ़ावा दिया है. ‘द गार्डियन’ के मुताबिक बिटकॉइन का इस्तेमाल गैरकानूनी दवाएं और ऑनलाइन जुए में किया जा रहा है. दरअसल, आज क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कानूनी तरीके से कम, गैरकानूनी तरीके से ज्यादा किया जा रहा है. बिटकॉइन के लेन-देन में उतार-चढ़ाव, कानूनी जटिलताएं और आर्थिक मुश्किलों की अधिकता को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि इसे मौजूदा मुद्रा की जगह लेने में लंबा समय लग सकता है.
किन देश ने दी है कानूनी मान्यता
बिटकॉइन को 1 अप्रैल, 2017 को जापान ने अपने यहां कानूनी मान्यता दी है. इसके जरिए अब वहां सेवाओं और वस्तुओं की खरीद-फरोख्त की जा सकेगी. इसके लिए वहां एक कानून भी बनाया गया है. अर्जेंटीना में भी इसका इस्तेमाल आधिकारिक मुद्रा के विकल्प के तौर पर किया जाने लगा है. लेकिन ईरान में प्रतिबंध से बचने के लिए इस आभासी मुद्रा का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अमेरिका और चीन में बिटकॉइन का वृहत पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. चीन में इस आभासी मुद्रा को आभासी वस्तु मान कर इसे कर के दायरे में रखा गया है. कनाडा में भी इसके जरिए किए जाने वाले कारोबार पर कर लगाया जा रहा है. यूरोपीय संघ में अभी तक इसका इस्तेमाल चोरी-छिपे किया जा रहा है. जर्मनी में इस आभासी मुद्रा को निजी मुद्रा का दर्जा दिया गया है. भारत में बिटकॉइन का उपयोग अपने प्रारंभिक चरण में है. बिटकॉइन की लोकप्रियता उन देशों में बढ़ रही है, जहां की राष्ट्रीय मुद्रा के सामने समस्या है.
कहा हो रहा है इसका प्रयोग
ऐसे में इस आभासी मुद्रा का इस्तेमाल महंगाई, पूंजी नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के जरिए गतिरोध पैदा करने के लिए किया जा रहा है. कहा जा सकता है कि पूरी तरह से बिटकॉइन को विश्वसनीय, स्वीकार्य एवं लोकप्रिय बनने में अनेक मुश्किलें हैं. यह आमजन की समझ से बाहर की चीज है. हां, इसकी महत्ता कारोबारियों और गैरकानूनी कार्य करने वाले लोगों मसलन, अराजक तत्त्वों, तस्करों, सट्टा खेलने वालों आदि के बीच निश्चित रूप से तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि यह उनके लिए हर दृष्टिकोण से मुफीद है.
इसे भी पढ़े: चीनी खेमे में जा रहा है पाक, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट