कहते हैं लोग खाने के लिए जीते हैं लेकिन वही खान आपके लिए परेशानी का सबब बन जाए तो? खाने के बाद पेट की समस्या होने लगे तो सब अस्त व्यस्त लगता है । दरअसल हमारे जहनी सुकून, दिमागी सेहत का हमारे पेट से गहरा नाता है । पेट ठीक नहीं रहता तो कुछ भी ठीक नहीं लगता । सोचिए इस पेट की समस्या से कोई 50 साल से जूझ रहा हो तो? किसी को खाना खाना मजा नहीं सजा लगे तो क्या होगा । जाहिर सी बात है इंसान परेशान होगा। ऐसे ही कुछ बीमारी से लखनऊ के रहने वाले आरबी वर्मा पिछले 50 साल से ग्रस्त थे। हालांकि पहले और अब में काफी अंतर है वो अब इससे 99 फीसदी ठीक हो चुके हैं। कैसे? आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी, शायद ये इंसपिरेशनल स्टोरी किसी की जिंगदी बदल दे । https://bit.ly/3TGqQx7
लखनऊ के इंदिरा नगर के रहने वाले आरबी वर्मा, एडिशनल कमिश्नर पद पर तैनात रह चुके है। उम्र 65 साल है। 2016 में वो रिटायर हुए, आरबी वर्मा अपने परिवार और देश से प्रेम करने वाले बेहद सज्जन व्यक्ति हैं। आरबी वर्मा का भरा पूरा परिवार है, परिवार में पत्नी दो बेटे औऱ एक बेटी है। पत्नी हाउस वाइफ हैं। बड़ा बेटा बैंक में मैनेजर है। आरबी वर्मा के तीनों बच्चे अपने अपने परिवार के साथ सेटल हैं । बड़े बेटे और इनकी बहु बैंक में काम करती है। छोटा बेटा पेशे से जज है और छोटी बहु भी जज की पोस्ट पर हैं। बेटी गॉवर्मेंट इंटर कॉलेज में प्रोफेसर है जबकि इनका दामाद तहसीलदार के पद पर है। यही वो लोग हैं जिनके इर्द गिर्द आरबी वर्मा का संसार बसा है। https://bit.ly/3TGqQx7
आर बी वर्मा जितना प्रेम अपने परिवार से करते हैं उससे कहीं ज्यादा उनका प्यार उनके फर्ज और देश से है । वो अपने वक्त के इमानदार और सच्चे ऑफिसर में गिने जाते हैं । जब आरबी वर्मा एडिशनल कमिश्नर के पद पर रहे,इस दौरान इन्होंने अपराध पर बेहतरीन तरीके से काबू किया। आपराधिक गतिविधियों को रोकने, अपराधियों की खोजबीन कर उनको सजा देना बखूबी आता था लेकिन आरबी वर्मा कहीं चूके तो वो अपने पेट के अंदर छुपे अपराधी को पकड़ने में। आरबी वर्मा की ये समस्या दो या चार साल पुरानी नहीं थी बल्कि उन्होंने जब से होश संभाला तब से वो पेट की समस्या से परेशान रहे । वो बताते हैं कि उन्हें याद ही नहीं की इन पचास सालों में उन्होंने कब अच्छा महसूस किया है । खैर बीमारी थी तो झेलना ही था लेकिन उन्होंने इसका प्रभाव अपने काम पर नहीं पड़ने दिया । आरबी वर्मा को हर तीन महीने पर पेट में गैस एसिडिटी, दर्द उलटी औऱ ना जाने कितनी तकलीफ होती थी ।जब तकलीफ बढ़ती आरबी वर्मा दवाई लेते, फौरी तौर बर बीमारी ठीक हो जाती लेकिन जैसे ही दवाई बंद की बीमारी भी लौट आती। ये परेशानी उनके लिए एक चुनौती बन चुकी थी । अपराधियों को अपने एक अवाज से घुटनों पर ला देने वाले आरबी वर्मा अपने पेट की समस्या को चित नहीं कर पा रहे थे । आरबी वर्मा के छोटे भाई बहुत ही आला दर्जे के डॉक्टर हैं उन्होंने भी खूब इलाज किया, लेकिन हर बार की तरह निराशा हाथ लगी। लेकिन वो कहते हैं हिम्मते मर्दा मददे खुदा, साहसी और मेहनती व्यकित की मदद ईश्वर भी करते हैं । आरबी वर्मा के लिए वो मदद बने हकीम सुलेमान खान साहब, लेकिन शुरू शुरू में उन्हें हकीम साहब के नुस्खों पर यकीन नहीं हुआ, होता भी कैसे 50 साल से इलाज के बावजूद जो व्यक्ति ठीक नहीं हुआ उसके लिए ये बेकार की बातों जैसा ही था। ऊपर से पुलिस वाला बैकग्राउंड यकीन करना औऱ भी मुश्किल। हालांकि आगे कुछ महीनों बाद आरबी वर्मा ने कुछ नुस्खे अपनाए औऱ उस नुस्खे ने आरबी वर्मा जी को हकीम साहब के तजुर्बों पर यकीन करने के लिए मजबूर कर दिया । उनकी 50 साल पुरानी बीमारी जड़ से खत्म हो रही थी ये उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था ।
आरबी वर्मा ही नहीं उनकी पत्नी को भी हकीम सुलेमान खान साहब का साथ आशिर्वाद के रूप में मिल गया । दरअसल पिछले कई सालों से आरबी वर्मा की पत्नी कृष्णा वर्मा भी अर्थराइटिस से पीड़ित थीं। वजन में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन कुछ ही नुस्खों के आजमाने के बाद उनकी पत्नी के स्वस्थ में बड़ा बदलाव आया । आरबी वर्मा जितने निष्ठावान अपने प्रोफेशनल लाइफ में रहे उससे कहीं ज्यादा अपने निजी जिंदगी में वो सेवा भाव रखते हैं । उन्होंने ठान लिया की अब कोई भी गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर व्यकित इलाज के अभाव में इधर उधर नहीं भटकेगा । उन्होंने खुद ही हकीम साहब के बताए नुस्खे को बना कर लोगों में बांटना शुरू किया है । इतना ही नहीं उनके दिए गए नुस्खों से 6 लोगों को किडनी की बीमारी में राहत मिला है। हम सलाम करते हैं पूर्व कमिश्नर आरबी वर्मा के सेवा भाव को जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों को घरेलू नुस्खों और आयुर्वेदिक दवाइयों के जरिए ठीक कर रहे हैं ।