लखनऊ के रहने वाले 70 साल के जगजीत सिंह हमेशा से खुशमिजाज, सकारात्मक सोच के मालिक हैं । जिंदगी को जम कर जीना उनकी आदत है और यही सकारात्मकता और बहादुरी उनका शस्त्र बनीं और जो भी बीमारियों परेशानिया उनके जीवन में आई उन्होंने मुकाबला किया और अपनी पुरानी जिंदगी की तर्ज से फिर से सुर ताल बैठा ली। इनकी प्ररेणादयाक कहानी उनलोगों को जरूर जाननी चाहिए जिन्होंने जिंदगी से मुंह मोड़ लिया है। https://bit.ly/3SSJ1zr
70 साल के जगजीत सिंह पेश से बिजनेस मैन हैं। उनका रियल स्टेट का बिजनेस है। इसके अलावा लखनऊ में उनका कल्याण लॉन के नाम से लॉन भी चलता है। बहुत ही छोटी सी फैमिली है,उनके संसार में सिर्फ उनकी पत्नी और एक भतीजा है। जगजीत सिंह और उनकी पत्नी एक दूसरे के पूरक हैं। उम्र का तकाजा ऐसा है कि वो बल्ड प्रेशर की बीमारी से पीड़ित हो गए। घर में अकेले होने के कारण सारा बिजनेस उन्हें ही संभालना पड़ता है। काम के प्रेशर और जिम्मेदारियों ने उनके बल्ड प्रेशर को बढ़ा दिया। इसके साथ ही वो लंबे वक्त से साइनस की बीमारी से भी पीड़ित थे। जैसे जैसे उम्र बढ़ रहा था वैसे वैसे बीमारियों को सहने की ताकत भी खत्म होने लगी थी। अब जगजीत जी ने लखनऊ पीजीआई का रुख किया।पीजीआई से इलाज जारी रहा बीपी कुछ हद तक कंट्रोल रहने लगा लेकिन इन दवाईयों ने अपना साइड इफेक्ट्स भी दिखाना शुरू कर दिया। अंग्रेजी दवाईयों ने उनके लीवर को क्षति पहुंचाना शुरू कर दिया। https://bit.ly/3QYYbkI
एक तरफ जगजीत जी अपनी बीमारियों को लेकर परेशान थे तो दूसरी तरफ उनकी पत्नी के कैंसर ने उन्हें अंदरूनी चोट दिया हुआ था। जगजीत जी बताते हैं कि उनकी पत्नी की हालत ऐसी हो गई थी जैसे अब उनका आखरी समय है।कैंसर की दवाई का साइड इफेक्ट्स किड़नी पर होने लगा था। जगजीत सिंह जी के लिए मोह माया की तृष्णा भी अब कसक बन रही थी उन्हें लगने लगा अब वो किसी काम के नहीं हैं ना ही उनका खुद का सेहत ठीक है ना ही पत्नी ठीक है।लोगों की नजरों में उनके लिए उपजा दया का भाव उन्हें सालता उन्हें लगता की जैसे उपरवाले ने उन्हें दया का पात्र बना कर छोड़ दिया है फिर एक दिन उनके जिंदगी में टीवी के माध्यम से हकीम सुलेमान खान साहब आए।
जगजीत सिंह जी बताते हैं कि हकीम साहब का उन्हें मिलना उनके लिए इश्वर की तरफ से मिला हुआ अमुल्य वरदान है। जगजीत सिंह जिस साइनस की बीमारी के लिए इलाज करा कर थक चुके थे वो घरेलू इलाज से ठीक हो चुका है।बीपी भी अब कंट्रोल में रहता है। वहीं जगजीत सिंह की पत्नी का कैंसर तो खत्म नहीं हुआ लेकिन हालत स्थिर है।हकीम साहब के घरेलू नुस्खों ने जगजीत सिंह जी की पत्नी के अंदर ये एहसास भर दिया कि वो अभी भी जी सकती हैं।
वहीं अब जगजीत सिंह का विश्वास घरेलू नुस्खों और आयुर्वेद पर इस कदर कायम हो चुका है कि वो किसी भी बीमारी में चाहे खुद हो या किसी परिवार वालों को हो आयुर्वेद को ही प्राथमिकता देते हैं। उनका कहना है कि इमर्जेंसी की हालात में ही एलोपैथी का सेवन करना चाहिए। जगजीत सिंह जी का मानना है कि जो लोग भी आगे आने वाले जीवन का सुखद एहसास लेना चाहते हैं तो उन्हें आयुर्वेद और हकीम साहब के नुस्खों को रूटीन में ले आना चाहिए।