शिक्षा के क्षेत्र में विश्व पटल पर भारत की अपनी ही अहमियत हैं. भारत में शिक्षा क्षेत्र के 15 लाख से ज्यादा स्कूल है और 26 करोड़ से ज्यादा छात्र 751 विश्वविद्यालयों और 35 हजार से ज्यादा कॉलेज हैं. दुनिया के परिपेक्ष में देखे तो भारत के पास शिक्षा का बहुत बड़ा सिस्टम हैं. साथ ही भारतीय सिस्टम में विकास की बहुत सारी संभावनाएं भी हैं.
लेकिन उससे पहले कुछ बाते है जो हमें समझनी होगी, कि भारत में शिक्षा की नीतियाँ कौन बनाता हैं. तो आपको बता दें कि भारत में सरकार का इसके लिए एक मंत्रालय होता है जो शिक्षा को लेकर पॉलेसी बनाता है. अगर आसान शब्दों में कहे तो सरकार की तरफ से भी काफी सारे कदम उठाए जाते हैं. नीचे दिए गए कदम उनमें से निम्न हैं.
भारत में शिक्षा क्षेत्र के लिए सरकार के कदम –
नीति आयोग द्वारा मेंटर इंडिया कैंपेन का लॉच होना.
शिक्षा क्षेत्र में बेहतर परिणामों के लिए राज्यों की सरकारों के साथ साझेदार बनना.
नए आईआईटी के लिए सरकार द्वारा भारी निवेश करना.
साथ ही नए केंद्रीय विद्यालयों का खुलना और कौशल विकास के लिए आईटीआई पर बल देना.
बच्चों के साथ-साथ स्कूलों को डिजिटल साक्षरता अभियान से जोड़ना आदि.
भारत में शिक्षा की नीतियाँ
सभी सरकारी स्कूल आदि में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना सरकार की पॉलेसी का ही हिस्सा हैं. ऐसा नोटबंदी के बाद से ज्यादा हुआ हैं.
शिक्षा के अधिकार के बाद पांचवी और आठवी कक्षा में फेल न करके, बच्चों को अगली क्लास में फेल करने की पॉलेसी का होना, लेकिन अभी की सरकार इस नीति पर फिर से विचार कर रही हैं और पांचवी, आठवी क्लास को जरूर पास करने की पॉलेसी पर पुनर्विचार कर रही हैं.
पहले कोई भी विश्वविद्यालय किसी बच्चे का दाखिला बिना डिग्री जमा कराए प्रोविजनल सर्टीफिकेट के आधार पर नही किया करता था. लेकिन भारत में शिक्षा की नीतियों में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर डिग्री जमा करने की मियाद बढ़ा दी गई हैं.
भारत में शिक्षा की नीतियों में बदलाव करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने महिलाओ, ट्रांसजेडर के अलावा पुरूषों को भी शोषण के खिलाफ याचिका डालने की अनुमति दी हैं.
तेलागना राज्य द्वारा स्नातक लेवल पर जेंडर एजुकेशन का जरूरी होना हैं.
आईसीएसई और आईएससी स्कूलों में योग को जरूरी करना, साथ ही छात्रों को नियम से योग की ट्रेनिंग देना.
भारत में शिक्षा क्षेत्र में नए कदम उठाते हुए छात्रों को एक बार में दो रेगुलर डिग्री को मान्यता न देना.
भारत में शिक्षा नीतियों के लिए उदाहरण पेश करते हुए, असम सरकार ने गरीबों के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था की हैं. साथ ही दिव्यागों के लिए कक्षा 9 तक फ्री शिक्षा देने का फेसला लिया हैं.
सरकार का बोर्ड परीक्षा के लिए आधार कार्ड को जरूरी करना भी एक अच्छा कदम हैं. साथ ही सरकारी स्कूल के टीचरों को विदेश में शिक्षा मंत्रालय द्वारा ट्रेनिंग के लिए भेजा जाना भी उठाए गए कदमों में से एक हैं.
मेडिकल छात्रों के लिए सारी सुविधाओं को ऑनलाइन करना.
भारतीय भाषाओं समेत संस्कृत भाषा का नई शिक्षा नीति के तहत फिर से उत्थान करना.
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