केरला जितना सुंदर है उसका इतिहास भी उतना ही रोमांचक है. आज इस आर्टिकल के ज़रिए केरल की संस्कृति के बारे में आपको जानकारी देंगे.
दक्षिण भारत के केरला क्षेत्र की संस्कृति वास्तव में भारतीय संस्कृति का ख़ास हिस्सा है. भारतीय उपमहाद्वीप की तरह केरल की संस्कृति का भी एक इतिहास है जो अपने आप में ही महत्वपूर्ण है. केरल की संस्कृति में कई लोगों और जातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. केरल का इतिहास, सांस्कृतिक और सामाजिक संश्लेशण की अपनी एक अनोखी प्रक्रिया रही है. यहाँ की संस्कृति रोमांटिक और आकर्षण की कहानी कहती है. केरल ने अपनी पुरानी परंपराओं और नए मूल्यों का मानवीय तथ्यों से मिला दिया है.
केरल के मूर्तिकारों द्वारा पत्थर और लकड़ी पर नक्काशी उनके कला का बेहतरीन परिचायक है. वायनाड में सुल्तान के तोपखाने और एडक्कल गुफाओं में पत्थर पर की गई नक्काशी के आदर्श नमूने देखे जा सकते है. ये गुफाएं मानव-पशुओं के चित्रों के साथ-साथ मानवों के उपयोग की वस्तुओं और प्रतीक चिन्हों को दर्शाती हैं. निश्चित तौर पर यह अनुमान लगाना आज भी मुश्किल है कि यह नक्काशी कब की गई होगी.
- केरल ने संगीत के क्षेत्र में भी कई महान हस्तियों को जन्म दिया है. संस्कृत, मलयालम, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और हिंदी में महानतम संगीतकार स्वाति थिरूनल संगीत की समृद्ध विरासत को छोडकर गए हैं. वह केरल में कर्नाटक परंपरा का बेहतरीन प्रतिनिधित्व किया करते थे. केरल को स्वाति थिरूनल के समकालीन महान संगीतकार देने का श्रेय जाता है. केरल के इतिहास के महान संगीतकार, शदकला गोविंदा मरार, जो स्वाति थिरूनल के समय में के थे जो एक अद्भुत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जिस कारण उनकी प्रशंसा महान त्यागराज ने भी की थी.
- केरल के जीवन और इतिहास के बाद एक और पहलू का उल्लेख आवश्यक है. मलयाली लोगों का महानगरीय चरित्र और विशेषता, जो अपने ऐतिहासिक कारणों की वजह से लोगों का ध्यान आकर्षित करती है. यह माना जाता है कि केरल में ईसाई धर्म के प्रारंभिक काल में संत थामस आए थे. संत थामस को भारत में किसी अन्य धर्म के प्रचार प्रसार की तुलना में ईसाईयत के अधिक प्रचार के लिए को जिम्मेदार ठहराया गया था.
- भारत की प्रारंभिक मस्जिदों में से एक कोडूनगल्लोर के पास पाई गई है. प्राचीन समय में केरल में यहूदियों के आगमन का इतिहास भी सामने आया था जिसके चलते पता लगा कि यहूदियों ने बाद में कोच्चि में उपनिवेश की स्थापना हुई. सदियों से केरल को बाहर की दुनिया से जुड़े होने का कारण सहिष्णुता और सर्वदेशीय दृष्टिकोण मलयालियों की कुछ विशेषताओं को माना गया है.
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