टीवी और रेडियों के दुनिया में आने से पहले प्रिंट ही एक ऐसा माध्यम था. जिससे लोगों तक कुछ भी संदेश पँहुचाया जाता था. हालांकि आज के समय में भी प्रिंट मीडिया भी पीछे नही है, आजकल लोग ऑनलाइन लेख और नोवल पढ़ते है. हम इस लेख में आपको बताएंगे कि ऐसे कौन से भारतीय लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास है जिसे आप बेहद ही रूचि के साथ पढ़ सकते हैं.
इंडियन राइटर की नोवल
महात्मा गाँधी – द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ
मोहनदास करमचंद गांधी हमेशा भारतीय इतिहास के एक अभिन्नअंग रहे हैं. अपने प्रेरणादायक साहस के लिए, राष्ट्रपिता के रूप में अपने जीवन तक, गांधी जी का हमेशा एक रोचक, प्रेरक और प्रभावशाली व्यक्तित्व रहा है. यदि आप गांधीजी और उनकी यात्रा के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप ‘सत्य के साथ मेरा प्रयोग’ पढ़ सकते हैं. उनकी आत्मकथा, जो कि उनके बचपन से 1921 तक अपने जीवन के बारे में बताती है.
इसका परिचय बताता है कि कैसे येरवाड़ा केंद्रीय जेल में साथी कैदी के कहने पर उन्होनें अपनी आत्मकथा को साप्ताहिक पत्रिकाओं के रूप में लिखा था. जिसे बाद में संकलित कर एक किताब के रूप में प्रकाशित किया गया. अपने बचपन की यादों से लेकर उनके पिता के निधन, मांस, धूम्रपान, पीने, चोरी आदि, को बताती यह इंडियन राइटर की नोवल, गांधी के जीवन के कई अज्ञात उदाहरणों को दर्शाती है.
सलमान रुश्दी – मिडनाइट चिल्ड्रन
इंडियन राइटर की नोवल मिडनाइट्स चिल्ड्रन, ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता और फिर विभाजन के लिए भारत की यात्रा का चित्रण करती हैं. 1981 में बुकर पुरस्कार और “बुकर ऑफ बुकर” पुरस्कार, दो बार – 1993 और 2008 में, इस पुस्तक को एक महान उपलब्धि हासिल हुई. यह पुस्तक कश्मीर, आगरा और मुंबई सहित देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करती है और कई वास्तविक ऐतिहासिक घटनाओं को शामिल करती है.
झुम्पा लाहिड़ी – द इंटरप्रेटर ऑफ मेलोडीज
झुम्पा लाहिड़ी एक प्रख्यात भारतीय अमेरिकी लेखिका है जिनके द्वारा लिखी गई यह नोवल नौ कहानियों का संग्रह है. कहानियां भारतीयों और भारतीय अमेरिकियों के जीवन पर आधारित हैं, जो दो संस्कृतियों के बीच खो गई हैं. यह किताब 1999 में प्रकाशित हुई थी और वर्ष 2000 में फलीट के लिए पुलित्जर पुरस्कार और हेमिंगवे फाउंडेशन/ पीएएन पुरस्कार जीता कर भारतीय लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास की लिस्ट में आ गई. आपको बता दें, कि दुनियाभर में इस नोवल की 15 मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं.
अमिताव घोष – द ग्लास पैलेस
भारतीय लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास ने साल 2001 में फ्रैंकफर्ट इंटरनेशनल ई-बुक अवार्ड्स में गल्प के लिए ग्रांड पुरस्कार जीता था. यह कहानी बर्मा पर निर्धारित है और 1885 में ब्रिटिश आक्रमण के दौरान विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित है. उपन्यास खुबसूरती से परिस्थितियों और घटनाओं को दर्शाती है जो बर्मा, भारत और मलाया आज क्या हैं साम्राज्य, प्रेम और बदलते हुए समाज की इस कहानी को लेखक ने इतने अच्छे ढ़ग से लिखा है कि यह निश्चित रूप से पढ़ने योग्य है.
किरण देसाई – द इन्हेरिटेंस ऑफ लॉस
इंडियन राइटर की नोवल उनकी पहली पुस्तक के सात साल बाद लिखी किताब, पूर्व और वर्तमान में, विभिन्न भारतीय समूहों के बीच विभिन्न संघर्षों को दर्शाती है. यह दिखाता है कि लोग अंग्रेजी जीवन शैली कैसे आकर्षक लगते हैं और यूएस में विभिन्न अवसरों की धारणा को भी कैप्चर करते हैं. भारतीय लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास की बात करें तो इस नोवल ने साल 2006 में मैन बुकर पुरस्कार और नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल फिक्शन पुरस्कार सहित कई पुरस्कार अपने नाम किए.
मुल्कराज आनंद – द प्राइवेट लाइफ ऑफ एन इंडियन प्रिंस
साल 1953 में प्रकाशित इंडियन राइटर की नोवल को लेखक आनंद के बेहतरीन कार्यों में से एक माना जाता है. यह कहानी भारत के रियासतों के उन्मूलन के आसपास घूमती है, जो कि राजा के जीवन पर ध्यान केंद्रित करती है. कहानी में कुछ वास्तविक जीवन की घटनाएं हैं जिन्हें सुंदर रूप से कल्पना में बदल दिया गया है.
सुकेतु मेहता – मैक्सिमम सिटी
लेखक सुकेतु मेहता का जन्म भारत में हुआ था और फिलहाल वह न्यूयॉर्क में रहते है. इंडियन राइटर की नोवल में लेखक ने अपने अविश्वसनीय काम मैक्सिमम सिटी में शुरुआती वर्षों में मुंबई के अनुभव को लिखा हैं. साल 2004 में प्रकाशित इस नोवल ने 2005 में पुलिट्जर पुरस्कार फाइनलिस्ट में जगह बनाई. यह पुस्तक यात्रा लेखन, एक पत्रिका, लोगों के सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषण और मुंबई के आश्चर्यों का मिश्रण है. इसने 2005 में वोडाफोन क्रॉसवर्ड बुक पुरस्कार जीता था. अर्थशास्त्री ने इस नोवल को 2004 में बुक ऑफ द ईयर घोषित किया. इसे 2005 में शमूएल जॉनसन पुरस्कार के लिए भी चुना गया था.
रबिन्द्रनाथ टैगोर – गीतांजली
भारतीय लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास की जब भी बात होती है तो उसमें शीर्ष पर रबिन्द्रनाथ टैगोर का नाम आता है. उनके द्वारा कविताओं का यह संग्रह मूल रूप से अगस्त 1910 में बंगाली में प्रकाशित हुआ था, जिसमें 157 कविताएं और अंग्रेजी संस्करण में 103 कविताएं, इस संग्रह में 53 मूल बंगाली कविताओं और 50 अन्य कविताओं का उनके नाटक अचलायतन से टैगोर का अनुवाद शामिल है. इंडियन राइटर की नोवल में कविताओं में मुख्य रूप से एक आध्यात्मिक झुकाव हैं. हालांकि कुछ टुकड़ों में भी प्रकृति का एक संकेत है. इस संग्रह के लिए वर्ष 1913 में टैगोर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
मित्रा फुकन – द कलेक्टरस् वाइफ
इंडियन राइटर की नोवल असम की उग्रवादियों के खिलाफ स्थापित की गई है और उत्तर-पूर्व भारत के एक लेखक द्वारा प्रकाशित होने वाली पहली अंग्रेजी नोवल है. यह कहानी आतंकवादियों द्वारा असम के एक छोटे शहर में रहने वाले लोगों के जीवन में हुए परिवर्तनों के बारे में बताती है. यह साजिश एक लड़की के जीवन के चारों ओर घूमती है जो एक जिला कलेक्टर से शादी कर रही है. इस उपन्यास में प्राकृतिक परिवेश और पात्रों को बहुत अच्छी तरह से वर्णित किया गया है. इसमें असम के एक छोटे से शहर में रहने वाले लोगों की जिंदगी और नजरिया दिखाती है.
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