आपने बहुत से लोग देखे होगें या हो सकता है, आप भी उन्ही लोगों में से हो जो अपने भविष्य को जानने के लिए उत्सुक रहते है. उसके लिए वह रोज़ टीवी पर अलग-अलग प्रकार के एस्ट्रोलॉजी प्रोग्राम पर अपना भविष्यफल देखते है. लेकिन उन्हें यह पता नही होता कि भविष्य बताने वाले यह आंकलन कैसे होते है. आज हम आपको बताएगे कि आप एस्ट्रोलॉजी कैसें सीखे (How to learn astrology)?
हम आपको बताएंगे एस्ट्रोलॉजी स्टेप बाय स्टेप. सबसे पहले याद रहे कि यह ग्रह-नक्षत्रों की गणना की एक पद्धति है. इसी से हिंदू कैलेंडर बनाए जाते है और इसमें पंचाग और नक्षत्र आदि होते है. जिनके आधार पर देश में धार्मिक पर्व और त्यौहार मनाए जाते है. एस्ट्रोलॉजी में सारा खेल गणित का है, जैसे कुण्डली निर्माण आदि में गणित का ही उपयोग होता है.
बहुत से लोगों को ज्योतिष सीखने की इच्छा होती है, लेकिन उनके सामने समस्या यह होती है कि एस्ट्रोलॉजी कैसें सीखे और इसकी शुरूआत कहाँ से करें. अगर हम कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें, तो हम आसानी से एस्ट्रोलॉजी स्टेप बाय स्टेप याद कर गहराइ से सीख सकते है. उसके लिए हमें कुछ विशेष बातो का ध्यान रखना होगा.
एस्ट्रोलॉजी सीखने के लिए जरूरी बातें –
-शुरूआत में थोड़ा पढ़ें
-पहला पाठ समझ में न आने पर, दूसरे पाठ या पुस्तक पर न जाए
-जो कुछ भी पढ़ें, उसे ठीक से याद कर लें
-बिना टीचर की सलाह के अन्य ज्योतिष पुस्तक को न पढ़ें
-शुरूआत में कुण्डली-निर्माण की ओर ध्यान न लगा, उसके विश्लेषण पर ध्यान दें
-जहाँ तक हो सके हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी शब्दों को भी समझें
वैदिक एस्ट्रोलॉजी के मुख्य विभाग-
हम में से बहुत से लोग सोचते है कि एस्ट्रोलॉजी कैसे सीखे, लेकिन उसके लिए बेसिक्स का पता होना जरूरी है. जिससे एस्ट्रोलॉजी स्टेप बाय स्टेप याद रहे. आपको बता दें कि वैदिक एस्ट्रोलॉजी में चार्ट उत्तर, दक्षिण और पश्चिमी रूप में भी होता हैं. इसके अलावा एस्ट्रोलॉजी दो भागों में बंटी हुई हैं. जिसमें पहला है गणित और दूसरा है फलित भाग जो इस प्रकार है :
गणित- इसमें समय और स्थान के हिसाब से ग्रहों की स्थिति की गणना की जाती है. जिससे कुण्डली बनाई जा सकें.
फलित- इसमें किसी जीव के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति का एक नक्शा बनाया जाता है. जिसे जन्म कुण्डली कहते हैं.
एस्ट्रोलॉजी स्टेप बाय स्टेप याद करने में सबसे जरूरी है. नौ ग्रहों, बारह राशियों, सत्ताईस नक्षत्रों और बारह भाव, पूरी एस्ट्रोलॉजी इसी पर टिकी हुई है. सारे भविष्यफल का मूल आधार इनका आपस में संयोग है.
एस्ट्रोलॉजी स्टेप बाय स्टेप में याद रखे और यह न भूले कि भारतीय एस्ट्रोलॉजी पृथ्वी को केन्द्र में मानकर चलती है. राशिचक्र वह वृत्त है जो 360 डिग्री पर बँटा होता है, जिसपर नौ ग्रह घूमते हैं.
नौ ग्रह और राशि इस प्रकार हैं –
ग्रह | राशि | मालिक ग्रह |
सूर्य | मेष | मंगल |
चंद्र | वृषभ | शुक्र |
मंगल | मिथुन | बुध |
बुध | कर्क | चन्द्र |
गुरू | सिंह | सूर्य |
शुक्र | कन्या | बुध |
शनि | तुला | शुक्र |
राहु | वृश्चिक | मंगल |
केतु | धनु | गुरू |
मकर | शनि | |
कुम्भ | शनि | |
मीन | गुरू |