अंधविश्वास के नाम पर देश और दुनिया में ऐसे कई निराधारा काम किए जाते हैं जिनके ना तो कोई मतलब हैं ना ही फायदा फिर भी लोग करते हैं. लोगों की मान्यता होती है कि खुद को तकलीफ देने से ईश्वर खुश होता है और उनकी मनोकामना पूरी करता है. ऐसी ही अंधविश्वास से जुडी एक खबर ओड़िसा के एक गाँव से आई है. यहाँ लोग अपने ईश्वर को खुश करने के लिए नागफनी के पौधे पर सोते हैं. ऐसा करने में उन्हें दर्द तो बहुत होता है. लेकिन फिर भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके इस कदम से भगवान खुश होगा और उनकी मनोकामना पूरी करेगा.
ओड़िसा स्थित मयूरभंज जिले में ररुअन ब्लॉक है. यहाँ बंजकिया नाम के एक गाँव में आदिवासी रहते हैं. यह जगह सिमिलिपाल जंगल के आस-पास पड़ती है. यहाँ लोग आज भी भगवान को खुश करने के लिए पुरानी परम्पराओं पर विश्वास करते हैं. वो काँटों पर लेटने के अलावा खुद को कोड़े से मारते हैं साथ ही अंगारों पर भी चलते हैं.
ऐसा काम वो अकेले नहीं करते बल्कि उनके साथ-साथ बाहर से भी आए लोग ऐसा काम करते हैं. वहां इस परंपरा को करने वाले एक व्यक्ति से जब इसके बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि सालों से बिहार और झारखण्ड के लोग यहाँ आकर इस परंपरा को निभाते हैं. शामिल लोगों में पुरुषों के अलावा बच्चे और महिलाएं भी होती हैं. खबरों के मुताबिक ऐसा करने से उनकी मन्नत पूरी होती है और साथ ही बरसात के मौसम में अच्छी बारिश भी होती है.