जी हाँ, यह खबर बिल्कुल पुखता है कि पुर्तगाल के अधिकारी यह देखना चाहते है कि 1993 मुंबई बम धमाकों और एक बिल्डर की हत्या का दोषी अबू सलेम किस तहर जेल में रह रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि पुर्तगाल का चाहना कि अबू सलेम जेल में कैसे सज़ा काट रहा है.
अबू सलेम की गिरफ्तारी पुर्तगाल में की गई थी. जहां से भारत की सरकार उसे प्रत्यर्पण के जरिए देश में लाई थी. आपको बता दें कि जब कोई देश किसी दूसरे देश के मुज़रिम को सौपता है तो उसे प्रत्यर्पण कहते है. इसमें काफी सारी शर्तें आदि होती है. जो एक दूसरे देश के बीच होती है जो उनके राजनायिक संबंधों के लिए जरूरी होता है.
इसी संधि के चलते भारत या भारत की न्याया व्यवस्था अबू सलेम को फाँसी की सज़ा नही दे सकती है. साथ ही उसे 25 से ज्यादा साल की कैद नही दी जा सकती है. जिसके तहत पुर्तगाल के अधिकारी यह सुनिश्चित करने आने वाले है कि भारत संधि की शर्तों को निभा रहा है या नहीं.
दरअसल हुआ यह था कि अबू सलेम के वकील मैनुएल लुईस फेरेइसा ने पुर्तगाल के विदेश मंत्री अगस्त सैंटोस सिल्वा को एक लेटर लिखकर भारत जाने की मांग रखी. फेरेइसा ने अपने लेटर में इस बात की जानकारी दी कि सलेम को भारत सरकार ने नवी मुंबई के तलोजा जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा है. इस लेटर को पुर्तगाली राजदूतों को भी भेजा गया है.
जनसत्ता डॉट कॉम पर छपि खबर के मुताबिक फेरेइसा ने लेटर में अपने क्लाइंट अबू सलेम से मिलने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा है कि वह उनसे मिलकर इस बात की तसल्ली कर लेना चाहते हैं कि जेल में उन्हें किस तरह से रखा जा रहा है. सलेम के वकील ने भारत यात्रा के लिए विदेश मंत्री से एक निश्चित तारीख देने की भी मांग की है.
आपको बता दें कि अबू सलेम को साल 2002 में लिस्बन के पास चेलस से गिरफ्तार किया गया था और 2005 में आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए प्रत्यर्पण किया गया था. पिछली जनवरी में जिस वक्त भारत में 1993 मुंबई बम ब्लास्ट मामले की सुनवाई हो रही थी सलेम ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में केस दायर कर वापस पुर्तगाल लौटने की इच्छा जताई थी. सलेम के वकील तारक सईद की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उनकी भारत में उनकी सुनवाई अवैध है, क्योंकि पुर्तगाल कोर्ट द्वारा प्रत्यर्पण आदेश की अवधि को 2014 में ही समाप्त कर दिया गया था.
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