प्याज़ के बाद अब पेट्रोल और डीजल पर होने वाला खर्च आपकी जेब खाली कर सकता है। क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा ये विचार किया जा रहा है कि तेल कंपनियों को कम प्रदूषण वाले ईंधन के लिए प्रीमियम चार्ज वसूलने की मंजूरी दी जाए। इसके लिए ये कंपनियां अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हुए खर्च की भरपाई पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर करेगी। बता दें कि सरकारी और प्राइवेट तेल कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय से ये मांग की है कि वो इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में हुए खर्च में कुछ हिस्से की भरपाई करें।
1.50 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल और डीजल के दाम
अगर सरकार इन कंपनियों का प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो आम जनता को एक लीटर पेट्रोल या डीजल खरीदने के लिए के लिए करीब 80 पैसे से लेकर 1.50 रुपये प्रति लीटर पर खर्च करना पड़ सकता है। दामों की ये बढ़ोतरी अगले पांच साल के लिए जारी रह सकती है।
प्राइवेट तेल कंपनी में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तेल कंपनियों को नए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में आए खर्चे की भरपाई करने के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाना कई विकल्पों में से एक है। पहले मंत्रालय को उन्हें पूरे कॉस्ट के बारे में जानकारी देना होगा और फिर मंत्रालय के निर्देश का इंतजार करना होगा।
तेल कंपनियों का इतना हुआ खर्च
मिली जानकारी के अनुसार सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए करीब 80 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किया है। वहीं प्राइवेट तेल कंपनियों की बात करें तो इन कंपनियों ने भी इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़े स्तर पर खर्च किया है।