नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि आपकी हर परेशानियों को दूर करती हैं। जानिए, मां कालरात्रि की पूजा की सही विधि (vidhi), मंत्र (mantra), आरती (aarti) और महत्व…
आज नवरात्रि का सातवां दिन है। इसे महासप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सातवे रूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि नकारात्मक ऊर्जाओं का विनाश कर आपकी समस्त परेशानियों को दूर करती हैं।
यहां जानें माता कालरात्रि की उत्पत्ति, स्वरूप, उनकी पूजा करने की सही विधि, आरती (Navratri aarti) और मंत्र (mantra) के बारे में।
कैसे हुई माता कालरात्रि की उत्पत्ति
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस धरा के देव समूहों को जब आदि काल में वरदान प्राप्त कर महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ जैसे महाभयानक राक्षस तरह-तरह के अत्याचारों से पीड़ित करते हैं तो धर्म गायब होने लगता है। यज्ञ, दान, परोपकार, दया, माता-पिता का सम्मान आदि भाव खत्म होने लगते हैं और रक्षसों का बोलबाला होने लगता है। ऐसे में दैत्यों के अत्याचार से बचाने के लिए मां दुर्गा के सप्तम रूप, माता कालरात्रि का जन्म होता है।
एक कथा के अनुसार दैत्यराज शुंग की आज्ञा से चण्ड मुण्ड अपनी चतुरंगी सेना के साथ मां को पकड़ने के लिए गिरिराज पर्वत पर पहुंचते हैं। तभी मां को क्रोध आ जाता है और वे विकराल रूप धारण कर लेती हैं। गुस्से के कारण उनका मुख काला पड़ जाता है और भौहें टेढ़ी हो जाती हैं। इस तरह माता कालरात्रि का जन्म होता है।
बेहद भयानक है माता कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि देखने में बेहद भयानक जान पड़ती हैं। उनके बाल बिखरे हुए हैं। आंखें अंदर की ओर धंसी हुई हैं। माथे पर एक तीसरा नेत्र है। गले में बिजली की तरह कड़कती माला है। उनके चार हाथ हैं। एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा है। बाकि दोनों हाथ अभय मुद्रा और वरमुद्रा में हैं। शरीर पर चमड़े का वस्त्र है। माता कालरात्रि गधे पर सवार हैं।
ऐसे करें माता कालरात्रि की आराधना
माता कालरात्रि की पूजा की सही विधि (vidhi) इस प्रकार है:
- सबसे पहले पूजा स्थल पर माता कालरात्रि की प्रतिमा स्थापित करें।
- उनकी प्रतिमा के आगे घी का दीपक जलाएं।
- अब उन्हें लाल फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं।
- उसके बाद माता कालरात्रि के मंत्र का जाप करें। आप चाहें तो सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
- अब भोग लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बांटे और बाकि का आधा भाग ब्राह्मण को दें।
- नवरात्रि के सातवे दिन काले वस्त्र धारण करें।
- पूजा करते वक्त किसी के प्रति हीन विचार मन में न लाएं।
माता कालरात्रि की उपासना का महत्व
माता कालरात्रि की उपासना करने से आप नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचे रहते हैं। भय, दुर्घटना और रोगों का नाश होता है। इसके अलावा माता कालरात्रि आपको शत्रुओं से भी बचाती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि के प्रकोप को शांत करने के लिए भी माता कालरात्रि की आराधना की सलाह दी गई है।
माता कालरात्रि का मंत्र (mantra)
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे ।
चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
माता कालरात्रि की आरती (mata ki aarti)
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुह से बचाने वाली
दुष्ट संगारण नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पे सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदन्ता और अन्न पूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बिमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली माँ जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि माँ तेरी जय
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।।