मक्का मदीना को इस्लाम का सबसे पाक स्थान माना जाता हैं. मुसल्मान मानते है कि मक्का मदीना जन्नत का दरवाजा हैं. हर एक मुसल्मान वहां जाने की चाहत रखता हैं. ऐसा बहुत से लोगों का कहना है कि मक्का मदीना के अंदर हिंदू रीति-रिवाजों का पालन किया जाता हैं और वहां पर भगवान शिव की पूजा की जाती हैं.
आइए जाने क्या है मक्का मदीना के अंदर :
मक्का की आधारशिला 1400 साल पहले पैगंबर साहब ने की थी.
यह बाहर से दिखने में एक चौकोर कमरे की तरह इमारत हैं जिस पर लिहाफ चढ़ा हुआ हैं.
इसके चारों तरफ मस्जिद बनी हुई हैं.
यहां इस्लाम को मानने वाले लोग अपने बुरे कर्म के लिए माफी मांगते हैं.
मक्का मदीना में पैगंबर साहब के चरण चिन्ह भी हैं.
मक्का में एक कुआ है जिसका पानी कभी नही सूखता हैं.
वहां एक काले रंग का पत्थर है जिसे चूमकर मन्नत मांगी जाती हैं.
क्या है मक्का मदीना में भगवान शिव की कहानी :
मक्का मदीना के अंदर मुसल्मानों द्वारा जिस प्राचीन पत्थर को चूमकर मन्नत मांगी जाती है, उसे ही प्राचीन शिवलिंगम् कहा जाता हैं. इतिहासकारों के अनुसार, प्रथम शताब्दी की शुरूआत में रोम के लेखक ‘द्यौद्रस् सलस्’ ने लिखा है कि ‘यहां इस देश में एक मंदिर है, जो अरब के लोगों के लिए अत्यंत पूजनीय हैं’.
जिसके कारण लोग मानते है कि 1400 साल से पहले वहां पर कुछ था. इसके अलावा लोग यह भी तर्क देते है कि अरब में पैगंबर साहब से पूर्व वहां के लोग शिवलिंगम् को ‘लात’ कहा करते थे और इस्लाम के फैलने से पहले यहूदियों द्वारा वहां पूजा करने के कई प्रमाण भी मिलते हैं.
आपको बता दें कि मक्का मदीना के अंदर किसी भी दूसरे धर्म के लोगों को जाने की अनुमती नही हैं. वहां अंदर जाने के लिए इंसान का इस्लाम धर्म को मानना जरूरी हैं. जबकि जो लोग दावा करते है कि वहां पर पहले मंदिर था वह उसे मक्केश्वर महादेव का मंदिर कहते हैं.