आप दिल्ली (Delhi) को कितना जानते हैं?
आप कहेंगे कि आपने खूब दिल्ली घूमी है। दिल्ली के चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ हैं। क्या पुरानी दिल्ली, क्या लुटयन्स दिल्ली। आपको यही लगता होगा कि आपने दिल्ली में बसी हर दिल्ली को देखा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में पढ़े हैं। पराठे वाली गली में पराठे खाएं हैं। कमला मार्किट और सरोजिनी नगर मार्किट में शॉपिंग की है। लाल किला, पुराना किला, कुतुबमीनार, इंडिया गेट और क्या-क्या नहीं देखा! ऐसी कौन सी ऐतिहासिक दीवार नहीं है जिस पर प्रेमिका का नाम नहीं लिखा! लेकिन दिल्ली में भी एक ऐसी ऐसी दिल्ली है जिसे आपने शायद ही देखा होगा।
यहां जानिए, दिल्ली की ऐसी 4 जगहों के बारे में जो बिल्कुल भी फ़ेमस नहीं हैं लेकिन फिर भी आपको उन्हें देखना चाहिए…
- द्वारका बावली
द्वारका सेक्टर 12 में स्थित यह बावली करीब एक दशक पहले ही खोजी गई है। इससे पहले यह बावली पीपल के पेड़ और झाड़ियों के बीच काफ़ी अरसे तक छुपी रही। खुदाई के बाद साल 2015 में ही इसकी मरम्मत की गई है। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ही इसकी देख रेख कर रहा है।
यह बावली आज़ाद हिंद फौज मार्ग पर स्थित है। इस रोड से गुज़रते हुए एक पल के लिए आपको बावली दिखाई नहीं देगी। इसके बगल में ही गंगोत्री अपार्टमेंट है। पास में ही एक प्राइवेट स्कूल भी है। मगर यहां रहने वाले लोगों से जब बावली के बारे में पूछते हैं तो वे हैरान हो जाते हैं। खुद बावली में तैनात गार्ड कहता है कि पास के गंगोत्री अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी इससे अनजान हैं।
यह बावली दिल्ली (Delhi) की अन्य बावलियों से थोड़ी अलग है। इस आयताकार बावली में एक छोटा गड्ढा है। बावली से सटा एक कुंभ (कूआं) भी है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस कूएं से ही बावली में पानी भरता होगा।
माना जाता है कि यह बावली लोदी काल के समय की है। 16वीं शताब्दी में लोदी वंश के सुल्तानों ने इसे लोहारहेड़ी गांव (जहां अब द्वारका स्थित है) के निवासियों के लिए बनाया था।
- आदिवासी संग्रहालय
हममें से बहुत कम लोग ही हैं जो आदिवासियों की संस्कृति से परिचित हैं। अगर आप भी उनके कल्चर में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको ये म्यूज़ियम ज़रूर देखना चाहिए।
इस म्यूज़ियम में भारत के विभिन्न आदिवासियों की संस्कृति को मूर्तियों और पेंटिंग्स के माध्यम से दिखाया गया है। इसमें आप उनकी ज़िंदगी से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे कि त्योहार, पशुओं की बलि, विवाह और चुनाव के दौरान पोलिंग को देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां उनकी दस्तकारी के नमूने भी देख सकते हैं।
झंडेवालान में अम्बेडकर मार्ग पर स्थित यह म्यूज़ियम ‘भारतीय आदिम जाति सेवक संघ’ द्वारा संचालित किया जाता है। म्यूज़ियम में एक लाइब्रेरी भी है जिसमें बैठकर आप ट्राइबल कल्चर पर लिखी गई किताबें पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप यहां से वन्यजाति नामक त्रैमासिक पत्रिका भी खरीद सकते हैं।
- डियर पार्क
एक पोश इलाके में स्थित होने के बावजूद यह दिल्ली की फ़ेमस जगह नहीं है। लेकिन यहां आपको सुकून महसूस होगा।
दिल्ली में अगर आप पेड़ों की खासी कमी महसूस करते हैं तो यहां जाइए। इस पार्क में एक साथ प्रकृति के सारे दृश्य दिख जाएंगे। एक ही जगह पर मोर कबूतर, कौआ और तोते एक साथ दिख जाएंगे। हिरणों को देख़कर महूसस होगा कि अभी भी सब ख़त्म नहीं हुआ है। पार्क के अंदर ख़त्म हो चुके मुगलकालीन इतिहास की भी झलक मिलेगी। और हां पार्क में एक ख़ूबसूरत झील भी है।
यह पार्क दक्षिण दिल्ली में स्थिति है। इसका पूरा नाम ए.एन. झा डियर पार्क है जो कि पूर्व आसीएस (ICS) अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता आदित्य नाथ झा के नाम पर रखा गया है। घूमने, जॉगिंग और वीकेंड पर सैर करने के लिए यह पार्क बेहद लोकप्रिय है।
यह पार्क कई भागों में विभाजित है जैसे कि डक पार्क, पिकनिक स्पॉट, रोज़ गार्डन आदि शामिल हैं।
- डियर पार्क
साकेत में स्थित चंपा गली दिल्ली की छुपी हुई तमाम गलियों में से एक है। यहां आपके वो सब कुछ मिलेगा जो आप चाहते हैं। कॉफी शॉप, हैंडमेड आर्ट एंड क्राफ्ट की चीज़ें, रीडिंग रूम और डिज़ाइन स्टूडियों आपको यहां पर ये सब कुछ मिलेगा। लैंड खसरा नंबर 258 के नाम से जानी जाने वाली इस गली में आप काओं शेड और उम्दा फर्नीचर शॉप देख सकते हैं जिसमें आपको पर्शियन संस्कृति की झलक मिलेगी। यहां पर आपको वियतनामी रेस्टोरेंट भी मिलेंगे। यह जगह दिन ब दिन बेहतर होती जा रही है।
अगर आप कॉफ़ी के शौक़ीन हैं तो चंपा गली में आपके लिए ये क़ॉफी शॉप्स बेस्ट होंगे
जगमग ठेला (Jugmug Thela)
ब्लू टोकई कॉफी रोस्टर (Blue Tokai Coffee Roasters)
सोहो डिनर एंड कॉफ़ी शॉप (Soho Diner & Coffee Shop)