सभी जानते है कि एफ़िल टॉवर अपनी सुंदरता के कारण दुनिया भर के लोगों के बीच में अपना आकर्षण बनाए रखने में आज भी सक्ष्म है. उतनी ही उसके पीछे रोचक तथ्य है. एफ़िल टॉवर का निर्माण गुस्ताव एफ़िल द्वारा हुआ था इसलिए इस टॉवर के साथ इनका नाम जुड़ा हुआ है. एफ़िलटॉवर को सीन नदी के तट पर 1887 में बनाना शुरू किया गया था और इसका कार्य 1889 में खत्म हुआ. आज के आर्टिकल में आपको एफ़िलटॉवर के ख़ास तथ्यों के बारे में बताएँगे.
- एफ़िलटॉवर के निर्माण की ख़ास वजह यह थी कि इसे वैश्र्विक मेले में प्रवेश द्वार के रूप में बनाया गया था. जब एफ़िल टॉवर बना था, उस समय की सबसे ऊंची इस्मारत में केवल इसका ही नाम शामिल था. एफ़िल टॉवर पर्यटकों के लिए हर समय खुला रहता है.
- क़रीबन 300 मज़दूर व 2 साल 2 महीनों 5 दिन के समय में एफ़िल टॉवर का निर्माण पूरा हुआ था. हर रात के 1 बजे तक एफ़िल टॉवर दूर से भी देखने के लिए रोशन किया जाता है. जिसमे करीबन 25,000 बल्ब का इस्तेमाल किया जाता है. यदि आज के समय में एफ़िल टॉवर बनवाया जाए तो करीबन 31-32 मिलियन डॉलर लगेंगे.
- इसकी ऊंचाई बिना एंटीने के 300 मीटर है और एंटीने के साथ 334 है. मेटल का होने कारण हर सर्दी में एफ़िल टॉवर 6 इंच तक सिकुड़ जाता है.
- इसे देखने के लिए लगभग 70 लाख लोग हर साल यहाँ जाते है. इसका वजन 700 टन है, और हर 7 साल में एफ़िल टॉवर को पेंट किया जाता है. इसके लिए 10 हाथियों जितने पेंट के ज़रूरत पड़ती है.
- गुस्ताव एफ़िल ने अपने दोस्तों के लिए तीसरी मंजिल मनोरंजन के लिए रखी थी जो आज के वक़्त पर सामान्य जनता के लिए खुला हुआ है. एफ़िलटॉवर के ख़ास तथ्यों में यह बात भी शामिल है कि करीब 90 किलोमीटर की दुरी तक एफ़िलटॉवर की चोटी से देखा जा सकता हैं.
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