पुलवामा के काकापोरा इलाके में रहने वाला आशिक अहमद नेंगरू पीओके में जैश का नया खबरी है। जैश में आतंकवादी बनने से पहले वह भारत की पुलिस को आतंकवाद से जुड़ी गुप्त जानकारियां दिया करता था। भारत सेना के लिए काम करने बाद पहले वह हिज्बुल से जुड़ा गया फिर ISI के लिए काम किया और अब जैश से जुड़ चुका है। आर्टिकल 370 हटने के पश्चात उसने घाटी में लगातार आतंकी हमले करने की कोशिशें की पर हर बार नाकाम रहा।
नई दिल्ली
पैसों के लालच में आकर आशिक अहमद नेंगरू ने आतंकवाद का रास्ता चुना। हमारे गुप्त सूत्रों के मुताबिक, पुलवामा में ट्रक चलाने वाले ड्राइवर नेंगरू को कभी भारत के पक्षधर कश्मीरी के रूप में जाना जाता था। लेकिन आज उसी अहमद ने पैसों के लालच में भारतीय सीमा में हथियार, नशीले पदार्थ आदि भेजने वाले आतंकवादी संगठन से जुड़ गया है।
अहमद ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की मदद से पिछले महीने पंजाब में हथियार भेजने की प्लानिंग की थी। सीमापार से स्मगलिंग के जरिए भारत में घातक हथियार भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था।
कश्मीर में भारत विरोधी नेटवर्क पर नज़र
अहमद पुलवामा के काकापोरा इलाके का निवासी है जो श्रीनगर से 12 किमी की दूरी पर है। उसने अलगाववादी नेताओं और भारत विरोधी ताकतों के बीच अच्छी पोज़िशन बना ली है। इंटेलिजेंस एजेंसियों से पता चला है कि इसी नेटवर्क के दम पर उसने श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में आतंकी गतिविधियों पर गहरी पकड़ बना ली है।
सूत्रों से पता चलता है कि अहमद हिज्बुल मुजाहिद्दीन के एक लीडर के संपर्क में आया है जिसने उसे पुलवामा में पत्थरबाजी करवाने के लिए पैसे दिए थे। भारत के विरोध में कोई भी काम करने के लिए अहमद को कुछ हजार रुपये मिला करते हैं। धीरे-धीरे उसका लालच बढ़ने लगा तो उसने हिज्बुल को छोड़कर आईएसआई से जुड़ गया।
ट्रक से शुरु की स्मगलिंग
बड़े आतंकी संगठनों से अच्छा-खासा पैसा पाकर उसने कुछ ट्रक खरीद लिए और हथियारों की स्मगलिंग शुरू कर दी। आखिर में उसने जैश-ए-मोहम्मद जॉइन कर लिया और पीओके चला गया। सूत्रों से जानकारी मिली है कि अहमद का भाई मोहम्मद अब्बास भी जैश का ही आतंकवादी था, जो कुछ साल पहले एक पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
12 सितंबर को पकड़ा गया ट्रक
सुरक्षा बलों ने 12 सितंबर को JK3E 2000 नंबर के ट्रक को पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर लखनपुर में पकड़ लिया। ट्रक में चार एके 56 और दो एके 47 राइफलें पाई गई। सूत्रों ने बताया कि इन हथियारों की रिकवरी के बाद एजेंसियों ने आईएसआई की एक खतरनाक आतंकवादी योजना का पर्दाफाश कर लिया है। फिलहाल, नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) पंजाब और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर इस पूरे मामले की जांच में जुटी है।