साथियों उम्र के एक पड़ाव पर आने के बाद हर व्यक्ति के जीवन में दर्द और तकलीफ शुरू हो जाती है जिसे बुढ़ापा कहते हैं। ये वह उम्र होती है जब शरीर के साथ-साथ हड्डियाँ भी कमजोर हो जाती हैं जिस वजह से व्यक्ति जोड़ों के दर्द जैसे – घुटनों में दर्द, कमर में दर्द, गर्दन में दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल, साइटिका, आर्थराइटिस (गठिया) जैसी असहनीय दर्द वाली बीमारियों की चपेट में आ जाता है। जब कई डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद भी उसे दर्द में फायदा नहीं मिलता तो वह इसी दर्द में बिस्तर पर पड़े-पड़े जिदंगी काटने के लिए मजबूर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ सहारनपुर में रहने वाले कुशवाहा आर्मी पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी के साथ। 75 साल की उम्र होने पर कुशवाहा जी के जीवन का सबसे दर्दनाक समय शुरू हुआ जो पूरे 6 से 7 साल तक चला। दरअसल उन्हें घुटनों के असहनीय दर्द ने जकड़ लिया था। जिस वजह से उनकी हालत ऐसी हो गई थी की उठने-बैठने, चलने-फिरने, यहाँ तक की बैठे रहने में भी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने सहारनपुर से लेकर दिल्ली तक कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन हर डॉक्टर से उन्हें यही सुनने को मिला कि आपको घुटनों का ऑपरेशन कराना पड़ेगा तभी जाकर आपको आराम लग सकता है। एस. एस. कुशवाहा जी ने हार नहीं मानी और नए-नए पैंतरे अपनाते रहे, और 6 से 7 साल तक दर्द सहने के बाद एक ऐसा प्राकृतिक नुस्खा उनके हाथ लगा जिसके सेवन से अब 82 साल की उम्र में भी वह बिना किसी ऑपरेशन के पहले की तरह फिट एण्ड फाइन जीवन जी रहे हैं। चलिए जानते हैं उनकी पूरी कहानी, आखिर कैसे हुई दर्द की शुरुआत और कैसे मिली घुटनों के असहनीय दर्द में राहत?
सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी की उपलब्धियां और तकलीफ
बीएसएफ़ में आई. जी. रह चुके सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी की उम्र लगभग 82 साल है। उन्होंने 1963 में राजपूताना राइफल से कप्तान के रूप में अपनी सेवा शुरू की। और 2004 में आई. जी. के पद से रिटायर्ड होने के बाद अब सहारनपुर के अंबाला रोड पर कुशवाहा आर्मी पब्लिक स्कूल चलाते हैं और बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। कुशवाहा जी का परिवार भी उनके जैसे ही देश सेवा में योगदान देने वाला है। उनके दो बेटे और एक बेटी है, जिनमें से बेटा कर्नल के रूप में रिटायर हो चुका है, जबकि उनका एक पोता डॉक्टर है और दूसरा वकील है। उनका पूरा परिवार समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है।
वैसे तो सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी के जीवन में सबकुछ सही चल रहा था। वह बीएसएफ़ में उच्चतम पदों पर रहने की वजह से एक अनुशासित और स्वस्थ जीवन जीते आ रहे थे, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर के कमजोर होने की वजह से एस.एस. कुशवाहा जी के जीवन में एक ऐसा समय आया, जब घुटनों के असहनीय दर्द ने उनकी दिनचर्या को मुश्किल बना दिया था। धीरे-धीरे घुटनों का दर्द इतना बढ़ गया था कि थोड़ी दूर तक चलने के लिए भी उन्हें छड़ी का सहारा लेना पड़ता था। सीढ़ियां चढ़ना तो दूर, वह ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे। जिस स्कूल की जिम्मेदारी उन्होंने गर्व से ली थी, उसे भी वह सही से नहीं निभा पा रहे थे। घुटनों के दर्द ने उनकी जिंदगी की गति को धीमा कर दिया था। कई डॉक्टरों की दवाइयाँ खाने के बाद भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पा रहा था। कुछ समय के लिए तो दवाइयों से आराम मिलता था, लेकिन दवाइयों का असर जाते ही फिर से वही स्थिति हो जाती थी। 4 से 5 साल तक डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बावजूदउनकी ये समस्या उस समय अत्यंत चिंताजनक हो गई जब डॉक्टरों ने घुटनों का ऑपरेशन कराने की सलाह दे दी थी।
टीवी पर प्रोग्राम देखकर जुड़े हकीम सुलेमान खान साहब से
एक दिन, टीवी पर चैनल बदलते समय उन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब का प्रसिद्ध प्रोग्राम सेहत और जिंदगी देखा। हालांकि, पहले तो उन्हें हकीम साहब पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब कुछ दिनों तक हकीम साहब का प्रोग्राम देखा और उनकी बातें सुनी तो उन्हें हकीम साहब में एक समाजसेवी की छवि दिखाई दी। उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि हकीम साहब अपने नुस्खों के जरिए जनसेवा कर रहे हैं, कुशवाहा जी ने हकीम साहब पर विश्वास करके उनकी संस्था में कॉल किया और अपनी वर्षों पुरानी घुटनों के दर्द की तकलीफ के बारे में बताया। हकीम जी के यूनानी विशेषज्ञों ने सुरेन्द्र जी की तकलीफ को ध्यान से सुनने और अच्छे से समझने के बाद S. Care, T. Care और गोंद सियाह, सेवन करने की सलाह दी। यूनानी विशेषज्ञों के निर्देशानुसार उन्होंने हकीम साहब की ऑफिसियल वेबसाईट ATIYA HERBS से तीनों नुस्खे मंगा लिए और सेवन करना शुरू कर दिया।
घुटनों के ऑपरेशन की आ गई थी नौबत लेकिन हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़ने के बाद सुरेन्द्र जी बिना ऑपरेशन के 82 की उम्र में लगाते हैं दौड़
हकीम सुलेमान खान साहब के प्राकृतिक नुस्खों का सेवन करने के 15-20 दिनों के भीतर एस. एस. कुशवाहा जी को दर्द में फर्क महसूस होने लगा। दिनों-दिन उनके दर्द में कमी आ रही थी, जिससे उनका विश्वास बढ़ता चला गया और संस्था के डॉक्टरों द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार पूरा कोर्स कम्प्लीट किया, जिससे 3 महीने में ही कुशवाहा जी के जीवन में एक अद्भुत बदलाव आया। अब वे दिन में 20 बार सीढ़ियाँ चढ़ते और उतरते हैं। पहले जो दर्द हर समय बना रहता था, अब घंटों तक बैठे रहने पर भी कोई दर्द महसूस नहीं होता है। इतना ही नहीं गोंद सियाह के सेवन से अब वह 82 साल की उम्र में भी दौड़ जाते हैं। अगर आप सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी को दौड़ते हुए देखना चाहते हैं तो आर्टिकल के लास्ट में दी गई लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।
स्वस्थ होने के बाद लोगों को देते हैं हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खों का सेवन करने की सलाह
सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा जी हकीम साहब के नुस्खों से स्वस्थ और सेहतमंद होने के बाद अपने परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों को भी इन नुस्खों को अपनाने की सलाह देते हैं ताकि वे भी बेहतर जीवन जी सकें। उनका कहना है कि हकीम साहब के नुस्खों की बदौलत वह स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी जी पा रहे हैं। हकीम साहब से जुड़कर वह अपने आप को बहुत खुशकिस्मत समझते हैं। सुरेन्द्र जी की कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि अगर अंग्रेजी दवाइयों से कोई फायदा नहीं हो रहा है तो हमें एक बार प्राकृतिक और यूनानी नुस्खों की तरफ रुख जरूर करना चाहिए। क्योंकि अगर सुरेन्द्र जी को सालों पुराने दर्द से राहत मिल सकती हैं तो आपको भी फायदा मिलना मुमकिन है। साथियों अगर आप भी किसी तरह की दर्दनाक स्थिति से गुजर रहे हैं तो एक बार हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खे जरूर अपनाएं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं। यह बहुत ही पौष्टिक होता है और सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है।
T. Care क्या है?
T. Care हकीम सुलेमान खान साहब के द्वारा तैयार की गई S. Care और R. Care दवाओं का मिश्रण है, जो ऑर्थोपेडिक्स और मांसपेशियों की समस्याओं से लड़ने और आराम दिलाने में सहायक है। अगर आप शरीर के किसी भी तरह के दर्द से परेशान हैं या फिर जोड़ों में सूजन की वजह से दुखी हैं, और हर तरह का इलाज कर चुके हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा है तो T. Care आपके लिए समाधान हो सकता है इसे एक बार जरूर अपनाएं।
S. Care क्या है?
S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधित है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देती है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कारगर है। यह मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत दिलाता है।