तो आपके घुटनों में दर्द है या कमर में? खैर कहीं भी हो, दर्द तो है न। कितनी उम्र है आपकी ? खैर कितनी भी हो, दर्द में राहत चाहते हो न, मिल सकती है। चिंता मत करो सही जगह आए हो। जब शशि देवी जी को 70 साल की उम्र में राहत मिल सकती है तो आपको भी मिल ही जाएगी। शशि देवी सालों से घुटनों के दर्द और कमर के दर्द में जीवन जी रही थी, ऐसा नहीं है कि उन्होंने कहीं दिखाया नहीं, कई डॉक्टरों को दिखाया। उन्होंने बीसों डॉक्टर बदल दिए लेकिन क्या करें बेचारी दवाइयों को तो खा गई लेकिन ये दवाइयाँ दर्द को नहीं खा पाईं। एक तो बुढ़ापा ऊपर से असहनीय दर्द, दोनों ने शशि देवी जी को तोड़कर रख दिया था और वह इसी दर्द में अपना सम्पूर्ण जीवन बिताने के लिए मजबूर हो गईं थी।
कौन हैं शशि देवी?
शशि देवी उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की रुड़की तहसील के सीकर गाँव में रहने वाली 70 साल की एक ग्राहिणी हैं। उम्र बढ़ने पर उनके हस्ते खेलते जीवन में कमर और घुटनों के दर्द दस्तक दे दी। धीरे-धीरे दर्द की तीव्रता बढ़ती गई जिससे शशि देवी जी उठने-बैठने और झुककर काम करने में असमर्थ हो गई थी। लेकिन अब 70 साल की उम्र में वह घुटनों और कमर के दर्द में राहत पाकर आराम से अपना जीवन जी रही हैं। शशि जी की ये कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो जोड़ों के दर्द से परेशान हैं।
दर्द से कराहती हुई शशि देवी की सच्ची कहानी।
घुटनों और कमर दर्द से परेशान शशि देवी जी की तकलीफ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। जब दर्द असहनीय हो गया तो परिवार वालों ने शहर के एक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने एक्सरे और सीटी स्कैन की जांच का मुआयना करने के बाद कहा कि रीड की हड्डी से तीन नसें दबी हुई हैं, जिसकी वजह से दर्द हो रहा है। डॉक्टरों ने शशि देवी जी को झुकने के लिए मना किया और हिदायत दी कि झुककर कोई काम नहीं करना नहीं तो ऑपरेशन की नौबत या सकती है। शशि देवी जी ने कम से कम 20 डॉक्टर बदले लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था। शशि देवी दर्द से कराहती रहती थी। जिस वजह से उनके चेहरे की रौनक फीकी पड़ गई थी। घर के कामों में भी उन्हें दूसरों का सहारा लेना पड़ता था। यह स्थिति उनके लिए बहुत कठिनाई भरी हो गई थी, क्योंकि वह एक बेहद सक्रिय महिला हैं। जब तक वह घर के कामों हाथ नहीं बटाती तब तक उन्हें खुशी नहीं मिलती थी।
घुटनों और कमर में हो रहे दर्द, दुख और तकलीफ की वजह से न केवल शशि देवी जी परेशान थीं बल्कि उनका परिवार भी बहुत दुखी था। छोटी बहु शशि जी को असहनीय दर्द में देखकर बहुत परेशान थी। उसने एक दिन जोड़ों के दर्द के बारे में यूट्यूब पर सर्च किया। यूट्यूब पर सर्च करने पर हकीम हकीम सुलेमान खान साहब का एक वीडियो मिला जिसमें हकीम सुलेमान खान साहब जोड़ों के दर्द में सबसे कारगर प्राचीन और प्राकृतिक हर्ब गोंद सियाह के बारे बता रहे थे। इतना ही नहीं जब हकीम सुलेमान साहब के ऑफिसियल चैनल ‘हकीम सुलेमान खान’ को एक्सप्लोर करके देखा तो पता चला की ऐसे लाखों लोग हैं जो हकीम साहब के नुस्खे अपनाकर सालों पुराने जोड़ों के दर्द से राहत पा चुके हैं।
हकीम सुलेमान खान साहब कौन हैं?
हकीम सुलेमान खान साहब एक प्रसिद्ध हकीम हैं, जो टीवी पर लाइव आकर लोगों को प्राचीन घरेलू उपचार और यूनानी नुस्खों की जानकारी देते हैं। उनके सभी नुस्खे प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित है। उनके नुस्खों के उपयोग से कई तरह के रोगियों की जिंदगी में बदलाव आया है।
हकीम जी के नुस्खे और उनका असर
हकीम साहब के नुस्खों से लाखों लोगों को राहत मिलते देख, शशि जी की छोटी बहु ने हकीम सुलेमान साहब पर विश्वास किया और उनकी संस्था में कॉल करके शशि जी की परेशानी के बारे में बताया। संस्था में मौजूद यूनानी विशेषज्ञों ने शशि जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद गोंद सियाह का सेवन करने की सलाह दी। छोटी बहु ने हकीम जी की ऑफिसियल वेबसाईट ATIYA HERBS से गोंद सियाह मँगा ली और यूनानी विशेषज्ञों द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार सेवन करना शुरू कर दिया। गोंद सियाह के सेवन से पहले ही हफ्ते शशि देवी जी ने महसूस किया कि उनके शरीर में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। एक महीने में ही उन्हें दर्द में कमी महसूस होने लगी थी, पहले जहां बिस्तर से उठने के लिए सहारे की जरूरत पड़ती थी अब वह आसानी से उठ पा रही थीं और झुक भी सकती थी। उन्होंने गोंद सियाह का सेवन जारी रखा और अब महज दो महीने तक गोंद सियाह के सेवन से उन्हें इतनी राहत मिल गई है कि अब वह अपने सभी काम खुद से करने में सक्षम हो गई हैं। यहाँ तक की अब वह सीढ़ियाँ तक बिना किसी दर्द चढ़ जाती हैं। नीचे से ही सूर्यदेव को जल चढ़ाने वाली शशि देवी जी अब रोजाना सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए सीढ़ियाँ चढ़कर छत पर जाती हैं और खेतों पर घूमने के लिए भी जाती हैं। गोंद सियाह के सेवन से उन्हें शारीरिक मजबूती के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिली है, अब उनके शरीर में एक नई ऊर्जा और चेहरे पर एक नई चमक रहती है। शशि जी की कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी पुराने, पारंपरिक उपाय कभी-कभी आधुनिक चिकित्सा से कहीं अधिक प्रभावी हो सकते हैं। क्योंकि गोंद सियाह के सेवन शशि जी को वो सुकून मिला जो उन्हें 20 डॉक्टरों के चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिला था।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो जोड़ों के दर्द में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो गोंद सियाह आपके लिए एक असरदार उपाय हो सकता है। अपनी सेहत के लिए एक कदम उठायें और आज ही गोंद सियाह मंगायें।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं। यह बहुत ही पौष्टिक होता है और सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है।