एक समय था जब महिलायें बुढ़ापे में भी बड़े आसानी से जीवन व्यतीत करती थी लेकिन आज के इस बदलाव भरे दौर में 40-45 की उम्र तक आते-आते ही महिलायें किसी न किसी तरह के जोड़ों के दर्द की शिकार हो जाती हैं। कोई घुटने के दर्द से परेशान है तो कोई कमर के दर्द से, किसी को सर्वाइकल है तो किसी को साइटिका, कोई गठिया के दर्द से जूझ रहा है तो कोई पूरे शरीर में दर्द से परेशान है। ऐसे कई उदाहरण आपको अपने आसपास ही देखने को मिल जाएंगे। ऐसी ही एक कहानी है 50 वर्षीय रेखा जी की जो सहारनपुर जिले के एक छोटे से गाँव सापली में रहती हैं। वह लगभग दो साल से साइटिका के असहनीय दर्द से परेशान थीं। एलोपैथिक, होम्योपैथिक सभी तरह की दवाइयाँ खा चुकी थीं लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिल पा रही थी। दो साल तक दर्द झेलने के बाद जब वह हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़ी तो इतना फायदा मिल गया है कि बिना सहारे के न उठ पाने वाली रेखा जी अब सीढ़ियाँ भी आसानी से चढ़ जाती हैं। रेखा जी की ये कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो कमर, घुटने या फिर किसी भी तरह के जोड़ों के दर्द से जूझ रही हैं। चलिए आपको बताते हैं उनकी पूरी कहानी।
50 वर्षीय रेखा जी की दर्द भरी कहानी
रेखा जी सहारनपुर जिले के एक छोटे से गाँव सापली में रहती हैं। तकरीबन 2 साल पहले उनके जीवन में एक कठिन समय आया जब उनकी कमर में अचानक ही हल्का दर्द उठा। रेखा जी दर्द को नजर अंदाज करके काम करती रहीं, उनकी इसी लापरवाही की वजह से दर्द बढ़ता चला गया और कमर से पैरों तक पहुँच गया। धीरे-धीरे दर्द इतना बढ़ गया कि उनके एक पैर को दर्द ने पूरी तरह जकड़ लिया। कमर और पैरों के तीव्र दर्द ने उन्हें झुककर और घुटनों पर हाथ रखकर चलने के लिए मजबूर कर दिया।
कमर दर्द की वजह से उनका चलना-फिरना, खाना बनाना, सीढ़ियाँ चढ़ना और घर के छोटे-मोटे काम करना तक मुश्किल हो गया। दर्द की गंभीरता को समझते हुए रेखा जी ने कई डॉक्टरों को दिखाया, कई प्रकार की दवाइयाँ खाईं लेकिन निराशा ही उनके हाथ लगी। जब एलोपैथिक दवाइयों से उन्हें कोई राहत मिलती दिखाई नहीं दी तो रेखा जी ने होम्योपैथी की तरफ अपना रुख किया। होम्योपैथिक डॉक्टर ने उन्हें बताया कि आपको साइटिका की समस्या हो गई है जो समय के साथ बढ़ती ही जाती है। डॉक्टर के निर्देशानुसार रेखा जी ने 1 साल तक होम्योपैथिक दवाइयाँ खाईं लेकिन कोई उचित फर्क नहीं आया तो उन्हें यह डर सताने लगा था कि क्या वह कभी ठीक से चल-फिर भी पाएंगी या नहीं?
दर्द में राहत की तलाश के बीच रेखा जी का हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़ाव
वो कहते हैं न की हर अंधेरी रात के बाद सुबह जरूर आती है कुछ ऐसा ही हुआ रेखा जी के साथ। एक दिन जब वह अपने पतिदेव के साथ बैठकर टीवी देख रही थी तो चैनल बदलते समय उन्होंने साधना न्यूज पर हकीम सुलेमान साहब का कार्यक्रम सेहत और जिंदगी देखा। इस कार्यक्रम में हकीमों के हकीम, हकीम सुलेमान खान साहब जोड़ों के दर्द में सबसे कारगर हर्ब गोंद सियाह के बारे में बता रहे थे। पूरा कार्यक्रम देखने के बाद रेखा जी को पता चला कि ऐसे लाखों-करोड़ों लोग हैं जो सालों पुराने जोड़ों के दर्द में गोंद सियाह अपनाकर राहत पा चुके हैं। हकीम साहब की बातें सुनकर रेखा जी के पति को हकीम साहब पर विश्वास हो गया उन्होंने टीवी से नंबर लेकर हकीम साहब की संस्था में कॉल किया और रेखा जी की समस्या के बारे में बताया। हकीम साहब के काबिल यूनानी विशेषज्ञों ने रेखा जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद गोंद सियाह का सेवन करने की सलाह दी, रेखा जी के पति ने हकीम साहब की ऑफिसियल वेबसाईट ATIYA HERBS से ऑनलाइन ऑर्डर करके गोंद सियाह मंगा ली।
साइटिका के दर्द से राहत पाकर फिर से सक्रिय जीवन जीने लगीं रेखा जी
रेखा जी ने दो साल तक असहनीय दर्द झेलने के बाद गोंद सियाह का इस्तेमाल किया। जहां एलोपैथिक और होम्योपैथिक दवाइयाँ उन्हें कोई राहत नहीं दे पाईं वहीं सुबह-शाम एक चुटकी गोंद सियाह खाने से रेखा जी को कुछ ही हफ्तों में फर्क महसूस होने लगा। 6 महीने का पूरा कोर्स करने के बाद उनकी ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव आया। सिर्फ 6 महीने के अंदर ही रेखा जी को अद्भुत राहत मिली। उनके दर्द में इतनी कमी आ गई की उनकी जिंदगी फिर से पहले की तरह सामान्य हो गई है। अब वह आसानी से घर के सारे काम करने लगी हैं। चलने-फिरने लगी हैं, बर्तन धुलती हैं, झाड़ू-पोंछा करती हैं, खाना बनाती हैं, यहाँ तक की सीढ़ियाँ भी आसानी से चढ़ जाती वो भी बिना किसी दर्द के। रेखा जी का अनुभव बताता है कि उनकी कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो जोड़ों के दर्द या साइटिका जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।
दर्द में राहत से प्रभावित होकर अपने चाहने वालों को बताती हैं सुलेमान खान साहब के नुस्खों के बारे में
जब रेखा जी को गोंद सियाह के सेवन से दो साल पुराने जोड़ों के दर्द में राहत मिल गई तो अब उन्हें हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खों पर पूरा विश्वास हो गया है। अब उन्हें परिवार, रिश्तेदारी या फिर पड़ोस में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह के दर्द से पीढ़ित मिलता है तो वह हकीम साहब के नुस्खे अपनाने की सलाह जरूर देती हैं और बताती हैं कि “मैं दो साल से साइटिका के दर्द से पीढ़ित थी कई जगह दिखाने के बाद मुझे हकीम साहब के नुस्खों से ही फायदा मिला है।
” साथियों अगर आप भी किसी तरह के दर्द से परेशान हैं तो हकीम सुलेमान साहब के यूनानी नुस्खे जरूर अपनाकर देखें, उनके नुस्खे बहुत ही कारग हैं, लाखों लोग इन नुस्खों का फायदा उठा चुके हैं। इन नुस्खों की सबसे अच्छी बात ये है कि ये नुस्खे प्राचीन और प्राकृतिक हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
आप रेखा जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।