घुटनों का दर्द हो या शरीर के किन्हीं दूसरे जोड़ों का दर्द, उम्र बढ़ने के साथ एक कठिन समस्या बन जाती है। वो बात अलग है कि अगर आप अपनी दिनचर्या, खान-पान और फिज़िकल एक्सर्साइज़ पर ध्यान दे तो 80 साल की उम्र में भी आप एकदम फिट और फाइन रह सकते हैं, इस बात को साबित कर दिखाया है पटना के रहने वाले रघुवंश जी ने, रघुवंश जी 80 साल की उम्र में भी वो काम कर जाते हैं जो 40 साल के आदमी को करना भी भारी पड़ जाए। जी हाँ साथियों वह 80 की उम्र में आम तोड़ने के लिए पेड़ पर जाते हैं, बच्चों की तरह दौड़ लगाते हैं, सीढ़ियाँ आसानी से चढ़ जाते हैं, पलंग से कूद जाते हैं, और 80 की उम्र में भी तरह-तरह की एक्सर्साइज़ करते हैं। यकीन नहीं हो रहा ना आपको, हमें भी नहीं हुआ था इसलिए हम खुद उनके घर गए और उनसे ये सभी काम करवाए। उनके द्वारा की जाने वाली सभी क्रियाएं आप आर्टिकल के बाद में दी गई वीडियो में देख सकते हैं। उससे पहले हम आपको बता दें कि एक समय ऐसा भी था जब रघुवंश जी ने भी घुटनों के असहनीय दर्द को झेला है, घुटनों के दर्द की वजह से उनकी हालत बहुत गंभीर हो गई थी, उन्हें उठने-बैठने में भी तकलीफ होती थी। लेकिन एक प्राकृतिक नुस्खे के सेवन से उन्होंने घुटनों के दर्द पर काबू पा लिया है और अब बड़े ही मजे से अपनी जिंदगी जी रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी और उस नुस्खे के बारे में जिसके सेवन से उन्होंने महज 3 महीने में घुटनों के असहनीय दर्द से राहत पायी।
रघुवंश सिंह जी का परिचय
रघुवंश सिंह जी 80 वर्षीय रिटायर्ड आर्मी अधिकारी हैं, उन्होंने 26 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा की और देश की रक्षा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। वह रिटायरमेंट के बाद पटना के दानापुर में सगुना मोहल्ले की जजेस कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटी, दामाद और पोती हैं। रघुवंश जी ने उत्तर भारत से लेकर श्रीलंका तक कई अलग-अलग जगहों पर काम किया और आर्मी के जवानों को प्रशिक्षित किया। आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद वह एक स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और बच्चों को डिसिप्लिन से रहना सिखाते हैं।
आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद भी रघुवंश जी ने अपनी दिनचर्या को डिसिप्लिन में रखा है। उन्होंने अपनी दिनचर्या में नियमित टहलना, अच्छा खान-पान, व्यायाम और एक्सर्साइज़ को शामिल किया है। वह रोजाना सुबह 4 बजे उठ जाते हैं, 2 किलोमीटर से ज्यादा टहलते हैं और एक्सर्साइज़ करते हैं। अगर उन्हें कभी कोई समस्या होती तो वो अस्पताल नहीं जाते हैं, वह प्राकृतिक नुस्खे अपनाते हैं और अंग्रेजी दवाइयों से दूरी बनाकर रखते हैं। उन्हें प्राकृतिक नुस्खों की जानकारी हकीमों के बादशाह कहे जाने वाले हकीम सुलेमान खान साहब का शो सेहत और जिंदगी देखने से मिलती है। वह रोजाना इस प्रोग्राम को देखते हैं,और जब भी कोई समस्या होती है तो उन्हीं के नुस्खे अपनाते हैं।
घुटनों के दर्द की शुरुआत और असहनीय दर्द
घुटनों का दर्द रघुवंश जी के जीवन में तब शुरू हुआ जब एक दिन वह बस से सफर कर रहे थे। सीट न मिलने के कारण उन्हें लंबे समय तक खड़ा रहना पड़ा। उन्होंने कभी इस तरह का सफर नहीं किया था जब भी उन्हें कहीं जाना होता था तो अपनी गाड़ी से जाते थे। लेकिन उस दिन उन्हें बस की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी। जिस वजह से उनके घुटनों में दर्द और जकड़न शुरू होना शुरू हो गई। कुछ ही दिनों में यह दर्द इतना बढ़ गया कि उनकी सामान्य गतिविधियां, जैसे चलना-फिरना, व्यायाम करना और सीढ़ियां चढ़ना कठिन हो गया। रघुवंश जी को लग रहा था कि अचानक शुरू हुआ ये दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा। इसी सोच के साथ उन्होंने बिना कोई दवाई खाए पूरे दो महीने गुजार दिए लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। उनकी हालत और भी ज्यादा बिगड़ गई। घुटने मोड़कर बैठने से घुटने जकड़ जाते थे, पैरों को सीधा करने में बहुत तकलीफ होती थी। इस दर्द ने उनकी दिनचर्या को छह महीने तक पूरी तरह बाधित कर दिया था। जब अंग्रेजी दवाइयों से उन्हें संतोषजनक परिणाम नहीं मिले रघुवंश सिंह जी बहुत परेशान हो गए थे।
इसी बीच कुछ दिनों से वह हकीम सुलेमान खान साहब का प्रोग्राम ‘सेहत और जिंदगी’ देख रहे थे। इस प्रोग्राम में उन्होंने हकीम जी के मुखारबिंद से देसी और यूनानी नुस्खों के बारे सुना। इन्हीं नुस्खों में जोड़ों के दर्द में सबसे कारगर एक हर्ब गोंद सियाह भी थी। जिसका जिक्र हकीम साहब अपने शो में यदा-कदा करते रहते थे। हकीम साहब के नुस्खों और उनकी भाषा ने रघुवंश जी को प्रभावित किया। लाखों लोगों को उनके द्वारा सुझाए गए उपायों से फायदा मिलते देख, उन्होंने भी गोंद सियाह आजमाने का फैसला किया। रघुवंश जी ने हकीम साहब पर विश्वास किया और उनकी ऑफिसियल वेबसाईट ATIYA HERBS से असली गोंद सियाह मंगाकर शाम को दूध के साथ एक चुटकी लेना शुरू कर दिया।
गोंद सियाह से मिला अद्भुत परिणाम
गोंद सियाह का सेवन शुरू करने के केवल 10 दिनों के भीतर ही रघुवंश जी ने अपने घुटनों के दर्द में राहत महसूस की। तीन महीने तक नियमित रूप से गोंद सियाह का सेवन करने के बाद, उनकी स्थिति पूरी तरह से बदल गई। आज 80 वर्ष की आयु में भी रघुवंश जी फिर से सक्रिय जीवन जी रहे हैं। अब वह आसानी से चल-फिर सकते हैं, सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और घुटने मोड़कर बैठ सकते हैं। गोंद सियाह के सेवन के बाद से उन्हें बच्चों जैसी एनर्जी महसूस होती है। वह बच्चों की तरह पलंग से कूद से जाते हैं और आम तोड़ने के लिए पेड़ पर भी चढ़ जाते हैं। गोंद सियाह के सेवन से पहले रघुवंश जी का जीवन दर्द और असहायता से भर गया था। वह न तो व्यायाम कर पाते थे और न ही लंबी दूरी तक चल पाते थे। लेकिन अब, वह रोजाना ढाई किलोमीटर तक चल लेते हैं और अपनी पुरानी दिनचर्या को फिर से जी रहे हैं।
परिवार और रिश्तेदारों पर प्रभाव
रघुवंश सिंह जी ने न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार को भी गोंद सियाह का लाभ पहुंचाया। उनकी पत्नी को भी घुटनों में दर्द की समस्या हो गई थी। उन्होंने गोंद सियाह का सेवन किया और कुछ ही समय में राहत महसूस की। रघुवंश जी ने अपने गोंद सियाह के अनुभव को अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ साझा किया। उन्हें इसे आजमाने की सलाह दी, और उनके कई रिश्तेदारों ने भी घुटनों के दर्द से राहत पाई। रघुवंश जी का यह अनुभव उनके आसपास के समुदाय में एक नई जागरूकता लेकर आया। उनकी सलाह पर कई अन्य लोगों ने भी गोंद सियाह का सेवन किया और सकारात्मक परिणाम पाए। घुटनों के दर्द से परेशान लोगों के लिए रघुवंश सिंह जी की कहानी प्रेरणा का एक स्रोत है। यदि आप भी घुटनों के दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो रघुवंश सिंह जी का अनुभव आपके लिए मार्गदर्शन का काम कर सकता है। हम तो यही कहेंगे कि आप भी गोंद सियाह को आजमाएं और अपने जीवन को फिर से सक्रिय बनाएं।
आप रघुवंश सिंह जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। यह गोंद बहुत पौष्टिक होता है जो सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हमसे दूर रखता है।