गाँव का जीवन शांत और शुद्ध माना जाता है क्योंकि गाँवों में लोग प्रकृति के अधिक निकट होते हैं। हालांकि, इसकी चुनौतियां भी हैं। गाँव के इलाकों में रहने वाले लोग शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं लेकिन वे कई आधुनिक सुविधाओं से रहित होते हैं, जो जीवन को आरामदायक बनाते हैं। गांवों में रहने वाले लोग ज्यादातर कृषि गतिविधियों में शामिल होते हैं और भीड़भाड़ वाले शहर के जीवन की हलचल से दूर रहते हैं। वे एक साधारण जीवन जीते हैं। एक ग्रामीण के जीवन में एक दिन की शुरुआत सुबह से होती है। गाँवों को उनके खूबसूरत प्राकृतिक परिवेश के लिए जाना जाता है। चारों ओर प्रतिस्पर्धा का इतना अधिक होने पर भी वे आज भी अप्रभावित रहते हैं। आज हम बता रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जो गांव में रहकर ही खुद को स्वस्थ और सेहतमंद बनाये रखते हैं। उन्हें शहर से ज्यादा गांव पसंद है। उनके जीवन में भी कई समस्याएं थीं, लेकिन उन्होंने कभी शहर की तरफ रूख नहीं किया। वे हमेशा से ही गांव में रहे और आगे भी गांव में ही रहना चाहते हैं। हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ के गांव डेरा में रहने वाले प्रेमचंद धीमान जी की।
प्रेमचंद धीमान की उम्र करीब 78 साल है। वे अपने गांव डेरा में ही अपने परिवार के साथ रहते हैं। गांव की खुशहाल जिंदगी और बुढ़ापे में सेहत स्वस्थ हो तो व्यक्ति को और क्या ही चाहिए अपने जीवन में। ये दोनों ही सुख प्रेमचंद जी ले रहे हैं। गांव डेरा में उनकी काफी इज्जत है और लोग उनका काफी सम्मान करते हैं। प्रेमचंद जी का छोटा सा परिवार है जिसके साथ है बहुत ही आनंद के साथ रहते हैं। उनके परिवार में दो बेटे, दो बहु, दो पोते और तीन पोती हैं। सभी बच्चे प्रेमचंद जी की जान बने हुए हैं। प्रेमचंद जी इतनी उम्र में होने के बाद आज भी खुद को सेहतमंद रखते हैं। उसका कारण है हकीम सुलेमान खान साहब।
दरअसल प्रेमचंद जी घुटनों में दर्द, सिर दर्द, चक्कर आना और सोरायसिस जैसी समस्या हो गयी थी। इन समस्याओं के साथ ही प्रेमचंद जी को लग रहा था कि अब वह कभी स्वस्थ नहीं पायेंगे। क्योंकि जिस उम्र में वह इस समय हैं उस उम्र में आकर लोग अक्सर बिस्तर पकड़ जाते हैं। प्रेमचंद जी को भी लगा कि उनका भी बिस्तर पकड़ने का समय अब आ गया है। लेकिन प्रेमचंद जी इतनी जल्दी हार मानने वालों में से कहां थे। उन्होंने हार नहीं मानी और हकीम जी के घरेलू नुस्खों और यूनानी दवाओं से खुद को सेहतमंद कर लिया। एक दिन घर में बैठे हुए ही अचानक टीवी को रिमोट दब गया और सामने साधना चैनल पर हकीम जी का शो चलने लगा। उस शो का नाम था सेहत और जिंदगी। सेहत और जिंदगी प्रेमचंद जी को काफी अच्छा लगा और उन्होंने इस शो को पूरा देखा। वे हकीम जी से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने रोजाना हकीम जी का शो देखना शुरू किया और जो घरेलू नुस्खे हकीम जी बताते थे उन्हें एक कॉपी में लिखना शुरू कर दिया। शुरूआत में तो उन्होंने हकीम जी के नुस्खे ही अपनाये लेकिन जब उनसे फायदा होना शुरू हुआ तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना हकीम जी की यूनानी बूटी भी अपनाई जाये। उन्होंने अपनी समस्या के लिए हकीम जी से संपर्क किया और अपनी समस्याओं के लिए जड़ी-बूटी के बारे में जाना। हकीम जी ने उनके घुटनों के दर्द के लिए यूनानी की सबसे कारगर बूटी गोंद सियाह को इस्तेमाल करने की सलाह दी। गोंद सियाह के साथ ही अन्य कई समस्याओं के लिए भी L. CARE और MAJOON R. CARE इस्तेमाल करने के लिए निर्देश दिये गये। प्रेमचंद जी ने ATIYA HERBS से सभी यूनानी बूटियों को ऑर्डर किया और हकीम जी द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार उपयोग करना शुरू कर दिया।
यूनानी नुस्खों के इस्तेमाल के करीब एक महीने के बाद ही प्रेमचंद जी को आराम लगना शुरू हो गया। इतने कम समय में आराम लगने के बाद प्रेमचंद जी को हकीम जी पर काफी भरोसा हो गया। खुद को आराम लगने के बाद वे अब दूसरों को भी हकीम जी के यूनानी नुस्खों को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। प्रेमचंद जी बताते हैं कि हम लोग गांव में रहते हैं। गांव में रहने के कई फायदे हैं इसलिए हम शहर में रहना नहीं चाहते। उनके अनुसार आज से करीब कई साल पहले भी एलोपैथिक उपचार नहीं था। सभी समस्याओं का हल यूनानी में ही किया जाता था। बीच हम रास्ता भटक गये लेकिन हकीम सुलेमान खान साहब सभी देशवासियों को फिर से उसी राह पर लाना चाहते हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है। धीरे-धीरे उनकी सभी समस्याओं में उन्हें आराम लगना शुरू हो गया।
प्रेमचंद जी आज हकीम जी के यूनानी नुस्खों के इस्तेमाल से काफी खुश हैं और स्वस्थ हैं। उन्होंने हकीम जी की बात करते हुए कहा भी है कि मैं चाहता हूँ जब तक हकीम जी रहें तब तक वे लोगों की सेवा करते रहें रिटायरमेंट ना लें। हकीम जी की मेहरबानी से आज कई लाख लोग स्वस्थ हो गये हैं और हो भी रहे हैं। प्रेमचंद जी के गांव के पास ही एक भव्य मेला लगता है जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। वे हकीम जी के लिए दुआ मांगते हुए कहते हैं कि हकीम जी इसी तरह से स्वस्थ रहे और इसी प्रकार से लोगों का भला करते रहें।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। यह गोंद बहुत पौष्टिक होता है जो सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हमसे दूर रखता है।