बढ़ती हुई उम्र के साथ तकलीफों का बढ़ना एक आम बात है पर ऐसे में घुटनों का दर्द, मांसपेशियों में होने वाली समस्या आपके जीवन में परेशानी की वजह बन सकती है। उम्र के इस पड़ाव में आमतौर पर व्यक्ति के अंदर कैल्शियम की कमी होने लगती है, जो हड्डियों के कमजोर होने का कारण भी हो सकता है। घुटनों के दर्द, कमर दर्द, और जोड़ों के दर्द से जुड़ी परेशानियों में व्यक्ति बुढ़ापे में दूसरों का सहारा लेने का मोहताज हो जाता है। ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश की रहने वाली प्रवेश जी की जो घुटनों के दर्द से बेहद लाचर थी जिसकी वजह से उन्हें उठने-बैठने और चलने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था। तो चलिए जानते हैं इनकी पूरी आत्मकथा के बारे में कि आखिरकार इनका घुटनों का दर्द कैसे कम हुआ और इन्होंने हकीम जी के कौन से नुस्खों को अपनाया?
उत्तर प्रदेश के अभनपुरा में नरौली गांव की रहने वाली प्रवेश जी जिनकी उम्र 50 साल है। वह काफी दयालु स्वभाव की महिला है, जो हमेशा लोगों की मदद करने के लिए आगे रहती हैं। गांव में रहने वाली ये महिला अपने जीवन का गुजारा बेहद ही साधारण और सरल तरीके से कर रहीं थी पर अचानक से इनके घुटनों में दर्द शुरु होने लगा जिसकी वजह से इन्हें चलने-फिरने में काफी तकलीफ होती थी। घर का काम करना भी इनके लिए बेहद मुश्किल होता जा रहा था साथ ही ऐसे में परिवार का ख्याल रखना प्रवेश जी के लिए चुनौती बन गया। एक तो घुटनों का दर्द ऊपर से भारी शरीर की दिक्कत लगातार बढ़नी शुरू हो गई। उनके खुशहाल परिवार को न जानें किसकी नजर लग गई जिसकी वजह से आज प्रवेश जी को चिंता में देखकर परिवार वाले भी परेशान रहने लगे। उनके पति गिरीराज जी उन्हें परेशानी में देख काफी चिंतित रहने लगे क्योंकि उनका घुटनों का दर्द धीरे-धीरे बढ़ना शुरु हो गया था जिसकी वजह से वो गाय को चारा डालना, पशुपालन करना, लंबे समय तक खड़े रहना जैसे कामों को करने के लिए उन्हें कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
प्रवेश जी का बढ़ता हुआ घुटनों का दर्द इस कदर परेशान करने लगा कि उनके लिए इसे सहन करना भी मुश्किल होता जा रहा था। सर्दियों में घुटनों का दर्द काफी बढ़ जाता था जिसकी वजह से दिक्कत होती थी। ऐसे में उन्होंने कई जगह से उपचार कराया कई डॉक्टरों को दिखाया पर दवा लेने पर थोड़ा आराम मिल जाता लेकिन दर्द फिर वैसा का वैसा ही हो जाता। नौबत ये आ गई कि उन्हें अपने काम को करने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ता था। जब दिनों दिन उनकी हालत बिगड़ने लगी तो कई डॉक्टरों ने भी उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह भी दी। प्रवेश जी ऑपरेशन नहीं कराना चाहती थी वह एक ऐसा तरीका ढूंढ़ रही थी जिससे उन्हें ज्यादा तकलीफों का सामना न करना पड़े। हर जगह से हार मान चुकी प्रवेश जी ने उम्मीद ही छोड़ दी थी की वह कभी फिर से बेहतर हो पाएंगी पर उनके पति उन्हें इस हालत में देखकर काफी परेशान थे। उनकी मदद करने के लिए प्रवेश जी के पति ने उन्हें हकीम सुलमान खान साहब के बारे में बताया। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद प्रवेश जी ने सोच लिया था की क्यों न एक बार हकीम जी के घरेलू नुस्खों को भी आजमा लिया जाए क्या पता उनकी यूनानी बूटी से घुटनों के दर्द में फायदा दिखने लगे। फिर क्या था बिना किसी देरी के प्रवेश जी ने पति के कहने पर ATIYA HERBS से मंगाई गई घुटनों के दर्द में कारगार जड़ी-बूटी गोंद सियाह का सेवन करना शुरु कर दिया। हकीम जी के बताए हुए निर्देश अनुसार इसका सेवन करने के बाद कुछ ही दिनों में उन्हें फर्क दिखने लगा। हकीम जी के प्रोग्राम सेहत और जिंदगी के जरिए वो कई तरह के घरेलू नुस्खे भी जान गई हैं।
घुटनों के दर्द में गोंद सियाह से काफी आराम मिला जो काम पहले वो नहीं कर पाती थी आज बड़ी ही फुर्ती के साथ इसे आसानी से कर लेती हैं। सीढ़ियां चढ़ना, उठना-बैठना, 10 किलों तक का वजन उठाना, सुबह-शाम पशुओं को चारा डालने जैसे काम अब उनके लिए आसान बन चुके थे। अब जो फुर्ती और जोश उनके शरीर में है वो सिर्फ और सिर्फ हकीम जी की बूटी गोंद सियाह की वजह से ही संभव हो पाया है। आपको बता दें प्रवेश जी के पति गिरीराज जी ने भी हकीम जी के नुस्खों को अपनाया है दरअसल उन्हें पेट की दिक्कत बनी रहती थी जिसके लिए उन्होंने नमक जैतून का सेवन किया और कुछ ही दिनों में उन्हें इसमें आराम मिलना शुरु हो गया।
प्रवेश जी स्वस्थ होने के बाद हकीम सुलेमान खान साहब का तहे दिल से शुक्रिया करती हैं,क्योंकि जब घुटनों का दर्द उनकी परेशानी बन गया था तब हकीम साहब के नुस्खे उनका सहारा बने। आज जो वो एक बेहतर और स्वस्थ जिंदगी जी रही हैं वो सिर्फ हकीम साहब की वजह से ही संभव हो पाई है। प्रवेश जी आज दूसरी महिलाओं को भी यूनानी नुस्खों को अपनाने की सलाह देती हैं वह कहती हैं कि अगर वो बेहतर हो सकती हैं तो कोई भी महिला स्वस्थ हो सकती है, बस जरुरी है नुस्खों को सही तरीके से अपनाने की। प्रवेश जी और उनके परिवार की सेहतमंद और बेहतर जिंदगी का सारा श्रेय हकीम सुलेमान खान साहब को जाता है क्योंकि आज उनकी वजह से ही सभी की सेहत में काफी सुधार देखने को मिला है।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।