समस्याएँ आखिर किसके जीवन में नहीं आती हैं। लेकिन समस्याओं का डटकर सामना करना और परिस्थितियों के आगे ना झुकना ही जीवन है। अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई छोटी समस्या आ जाती है तो उस समस्या को व्यक्ति विकराल रूप दे देता है। पेरशानी चाहे जो भी हो उस समस्या का सही समय पर सही इलाज करना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब किसी भी समस्या का सही इलाज नहीं हो पाता है तो वह शरीर में अपनी एक स्थायी जगह बना लेती है। फिर इंसान को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको ऐसी ही एक आत्मकथा बताने वाले हैं जिन्होंने अपने जीवन में भी काफी समस्याओं का सामना करा लेकिन कभी हिम्मत ना हारने की वजह से आज वे बहुत खुश हैं। हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ की रहने वाली निर्मला जी की।
निर्मला जी चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। उनका स्वभाव और उनकी प्रवृत्ति उनसे बात करने पर ही पता चलती है। वे काफी सहज और सुलझी हुई महिला हैं। वे अपनी सेहत का शुरू से ही ख्याल रखती हैं। सेहत को लेकर वे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करती हैं। साथ ही परिवार की देखभाल करना और खुशी के साथ रहना काफी अच्छी तरह से जानती हैं। परिवार में छोटे-मोटे झगड़े तो चलते रहते हैं लेकिन वे अपने परिवार में कोई फूट नहीं डलने देतीं। अपने छोटे से परिवार के साथ निर्मला जी काफी खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रही हैं। यह खुशी उनके चेहरे पर ही झलकती है। लेकिन आज से कुछ साल पहले तक वे ऐसी नहीं थीं और ना ही उनका जीवन ऐसा था। वे भी दूसरी महिलाओं की तरह ही खुद को कोसती रहती थीं। दरअसल उन्हें घुटनों में दर्द, सिर दर्द और पेट में दर्द होने की गंभीर समस्या थी। इस समस्या के चलते उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
अपनी समस्याओं के चलते वे काफी दुखी रहने लगीं। यह देख परिवार के लोग भी परेशान रहने लगे। निर्मला जी का पास के ही अस्पताल से इलाज चल रहा था। लेकिन उन्हें बिल्कुल ना के बराबर फायदा लग रहा था। बार-बार डॉक्टर साहब से कहने पर वे दवाई बदलकर फायदा लगने की बात करते लेकिन समस्या का समाधान होने की स्थिति में नहीं था। यह वो वक्त था जब निर्मला जी एक टाइम में खूब सारी गोलियाँ खातीं थीं। कई तरह की गोलियों का इस्तेमाल करने के बाद दिन प्रतिदिन उनका शरीर फूलता चला गया। पहले ही काफी परेशानी थी अब शरीर फूलने से और भी ज्यादा समस्या होने लगी। निर्मला जी के बेटे ने डॉक्टर बदले। बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराना शुरू किया। शुरूआत में तो उन्हें दवाओं के इस्तेमाल से आराम लगता है लेकिन कुछ समय तक ही आराम रहता है। कुछ समय बाद स्थिति वैसी के वैसी दिखाई देती है। निर्मला जी ने मन में ठान लिया था कि यदि इस समस्या से बाहर निकलना है तो यह इलाज नहीं कोई ऐसा इलाज चाहिए जिससे यह समस्या जड़ से ही खत्म हो जाये। लेकिन समस्या को जड़ से खत्म करने वाला इलाज आखिर में जल्दी से मिलता किसे है। लेकिन शायद यह निर्मला जी की ही किस्मत थी जो उनकी मुलाकात माननीय हकीम सुलेमान खान साहब से हुई और आज वे पूरी सेहतमंद हैं।
दरअसल निर्मला जी टीवी देख रही थीं। तभी उनकी नजर साधना चैनल पर चल रहे हकीम जी के बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी पर पड़ी। उन्होंने उस शो को पूरा देखने की कोशिश की लेकिन अपनी समस्याओं के चलते पूरा नहीं देख पाईं। सारी रात बस हकीम जी के बारे में सोचने के बाद उन्होंने सुबह फिर हकीम जी का शो देखना शुरू किया। इसी प्रकार वे हकीम जी से जुड़ीं और धीरे-धीरे उन्होंने हकीम जी को रोजाना देखना शुरू कर दिया। हकीम जी अपने शो में जो भी घरेलू नुस्खे बताते, निर्मला जी ने उन्हें कॉपी में लिखना शुरू कर दिया। साथ ही हकीम जी के घरेलू नुस्खों को अपनाना भी शुरू किया। हकीम जी के घरेलू नुस्खों से जब उन्हें आराम हुआ तो उन्होंने हकीम जी से संपर्क करके अपनी समस्या के लिए यूनानी औषधि जाननी चाही। हकीम जी ने उनकी समस्याओं के लिए दर्द में सबसे कारगर और यूनानी औषधि गोंद सियाह को इस्तेमाल करने की सलाह दी। साथ ही दूसरी समस्याओं के लिए भी सफेद गोंद मोरिंगा और माजून आर. केयर के इस्तेमाल करने को कहा। निर्मला जी ने बिना देरी किये ATIYA HERBS से सभी औषधियों को सफलतापूर्वक मंगा लिया और उन्हें इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। हैरत तो उन्हें तब हुआ जब उन्हें कुछ समय में ही अपनी समस्याओं में आराम दिखाई देने लगा। वे हकीम जी पर भरोसा तो करती हीं थी लेकिन अपनी समस्याओं में फायदा होता देख उनका भरोसा और भी ज्यादा पक्का हो गया। उनके लिए यह काफी खुशी का माहौल था। जिन समस्याओं के चलते वे काफी सारी दवाइयाँ एक साथ खातीं थी और जिनके साइड इफेक्ट भी दिखाई देने लगे थे। आज वे उन सभी से धीरे-धीरे आजाद हो रही थीं। अब वे स्वस्थ हो गयी हैं और उन्होंने एलोपैथिक इलाज पूरी तरह से बंद कर दिया है।
निर्मला जी खुद तो स्वस्थ हुई ही साथ ही अपने परिवार और रिश्तेदारों को भी स्वस्थ बनाने में मदद की। वे हर किसी को हकीम जी के नुस्खों को इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं। साथ में कोई भी दवाई ऑर्डर करने से पहले सावधानी बर्तने की भी सलाह देती हैं। निर्मला जी से एक खास बातचीत में उन्होंने बताया कि मेरे एक बार गोंद सियाह ऑर्डर करने पर कुछ फर्जी कॉल मुझे आने लगे थे। मंहगा गोंद सियाह छूट के नाम पर बेवकूफ बनाकर कम पैसे में देना चाहते थे। लेकिन मैंने केवल और केवल हकीम जी की कंपनी से ही दवा मंगाई। उन लोगों को पहले फटकारा उसके बाद से मुझे कभी कोई फर्जी कॉल नहीं आयाा। वे सभी को बताती हैं कि यदि आपको हकीम जी कोई भी दवा मंगानी हो तो वह हकीम जी की कंपनी से ही ऑर्डर करें। क्योंकि यह पूर्ण रूप से विश्वसनीय है। और ये कभी भी अपने ग्राहक के साथ स्कैम नहीं करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हकीम जी उनकी जिंदगी में भगवान के रूप में बनकर आये हैं। आज हकीम जी की ही मेहरबानी है जो मैं स्वस्थ होकर जिंदगी जी रही हूँ। अब तक मैं अपने कई रिश्तेदारों को हकीम जी की यूनानी औषधि दे चुकी हूं। मुझे हकीम जी से जुड़े हुए करीब 5 साल हो गये हैं और यह मेरे लिए काफी सौभाग्य की बात है। मैं जिंदगी भर हकीम जी की आभारी रहूंग। भगवान हकीम जी को इसी प्रकार खुश रखे और ऐसे ही सेहतमंद रखे।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, यह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, यह बहुत ही पौष्टिक होता है इसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है।