यह सच्ची कहानी है 70 साल के नरेश कुमार सहगल जी की, जो दिल्ली के जहांगीरपुरी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। नरेश जी के जीवन में एक समय ऐसा आया जब वह पैरों और घुटनों में हो रहे असहनीय दर्द कि वजह से बिस्तर से उठने में असमर्थ हो गए थे। अगर कभी उठने की कोशिस करते थे तो तेज दर्द कि वजह से बिस्तर से उठने में उन्हें 5 से 7 मिनट लग जाते थे। ऑपरेशन के बाद शुरू हुई इस समस्या में डॉक्टरों की दी हुई अंग्रेजी दवाइयाँ भी उतने ही समय के लिए दर्द में फायदा पहुंचा पाती थी जब तक दवाइयों का असर रहता था। दवाइयों का असर जाते ही फिर से दर्द शुरू हो जाता था। लेकिन समय कभी एक जैसा नहीं होता, जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। नरेश जी के जीवन में बदलाव उस समय आया जब उन्होंने हकीम सुलेमान साहब के प्राकृतिक नुस्खों का सेवन किया। हकीम साहब के बताए हुए घरेलू नुस्खे अपनाने के बाद नरेश जी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। बिस्तर से उठ पाने वाले नरेश जी अब 70 साल की उम्र में भी साइकिल ऐसे साइकिल चलाते हैं जैसे जवानी में चलाते थे। चलिए जानते हैं उनके जीवन में आए बदलाव की सच्ची कहानी।
नरेश कुमार सहगल जी की पीड़ादायी की कहानी
दरअसल उम्र बढ़ने के साथ-साथ नरेश जी के फेफड़े कमजोर हो गए थे। जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि फेफड़ों में पानी भर गया है जिसके लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। डॉक्टर ने ऑपरेशन किया जिससे उन्हें कुछ राहत मिली लेकिन इस ऑपरेशन के बाद अचानक ही उनके पैरों में बहुत तेज दर्द शुरू हो गया। जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने दर्द की दवाइयाँ दी। 6 महीने तक नियमित दवाइयाँ खाने के बाद भी नरेश जी का दर्द कम नहीं हुआ बल्कि समय के साथ असहनीय होता चला गया। इस दर्द की वजह से उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि उनका चलना-फिरना, खड़ा होना, और दैनिक जीवन के छोटे-छोटे काम करना भी एक बड़ी चुनौती बन गया था। वह बिस्तर से पर लेटे रहने के लिए मजबूर हो गए थे। बिस्तर से आसानी से उठ भी नहीं पा रहे थे अगर कभी उठने की कोशिस करते थे तो 5 से 7 मिनट तक मसक्कत करनी पड़ती थी। बुढ़ापे में हुई इस हालत ने नरेश जी को अंदर से तोड़कर रख दिया था।
किन नुस्खों से आया नरेश जी के जीवन में बदलाव?
छः महीने तक लगातार डॉक्टर की दी हुई अंग्रेजी दवाइयाँ खाने के बावजूद भी जब उन्हें कोई फायदा होता दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने यूनानी कि तरफ अपना रुख किया। दरअसल नरेश जी काफी समय से हकीम सुलेमान खान साहब का फेमस शो सेहत और जिंदगी देखते आ रहे थे। उन्होंने अनेक ऐसे लोगों को सुना जो हकीम साहब द्वारा तैयार की गई गोंद सियाह का सेवन करके पुरानी से पुरानी दर्द की समस्या से राहत पा चुके थे। जब उन्होंने देखा कि अंग्रेजी दवाइयाँ असर नहीं कर रही हैं तो उन्होंने हकीम साहब की संस्था में कॉल करके अपनी पूरी समस्या बताई।
संस्था में मौजूद यूनानी विशेषज्ञों ने उनकी समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद उन्हें जोड़ों के दर्द में सबसे कारगर हर्ब गोंद सियाह के साथ-साथ अलसी पाउडर, तुलसी कैप्सूल और जैतून सिरके का सेवन करने की सलाह दी। नरेश जी ने हकीम साहब कि ऑफिसियल वेबसाइट अतिया हर्ब्स से ऑनलाइन ऑर्डर करके नुस्खे मंगा लिए और सेवन करना शुरू कर दिया।
बिस्तर पर पड़े रहने वाले सहगल जी यूनानी नुस्खों के असर से रोजाना दौड़ाते हैं साइकिल।
यूनानी नुस्खों के बारे में नरेश जी ने जैसा सुन रखा वैसा ही असर उन्हें देखने को मिला। महज 15 दिनों में ही उन्हें राहत मिलना शुरू हो गई। न केवल उनका दर्द कम हुआ, बल्कि उन्हें शरीर में एक नई ऊर्जा और ताकत का एहसास होने लगा। जैसे-जैसे पैरों के दर्द में कमी आती गई धीरे-धीरे नरेश जी की सक्रियता बढ़ने लगी। उन्होंने चलना-फिरना शुरू कर दिया। एक समय ऐसा था जब नरेश जी अपने बेड से नीचे उतरने में हिचकिचाते थे लेकिन 3 महीने तक हकीम सुलेमान साहब के नुस्खों का सेवन करने से यह है कि वह बिना किसी तकलीफ के सीढ़ियाँ तक आसानी से चढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं अब वह साइकिल भी इस तरह से चलाने लगे हैं जैसे जवानी मे चलाते थे। अब वह रोजाना एक्सरसाइज और व्यायाम करने लगे हैं। हकीम साहब के नुस्खों के असर से अब वह एक बार फिर से खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
नरेश जी का संदेश
नरेश जी का कहना है कि इस पूरे दुख और तकलीफों के दिनों में उनकी पत्नी और बेटे ने हमेशा उनका साथ दिया, उनकी मदद की और उनका हौसला बढ़ाया। नरेश जी की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो लंबे समय से दर्द और परेशानी से जूझ रहे हैं। किसी भी तरह के दर्द से परेशान लोगों के लिए नरेश जी कहते हैं कि हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खे सच में बहुत कारगर हैं। अगर कोई भी किसी भी तरह के दर्द से जूझ रहा है और अंग्रेजी दवाइयों से राहत नहीं मिल पा रही है तो एक बार यूनानी नुस्खे आजमाकर जरूर देखें।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो जोड़ों के दर्द में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो गोंद सियाह आपके लिए एक असरदार उपाय हो सकता है। अपनी सेहत के लिए एक कदम उठायें और आज ही गोंद सियाह मंगायें।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, यह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, यह बहुत ही पौष्टिक होता है इसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है।