जिंदगी अकेले गुजारना ये हर किसी के लिए संभव नहीं है, क्योंकि जीवन के मुश्किल भरें पड़ाव में हमें कभी न कभी, किसी न किसी की तो जरूरत पड़ ही जाती है,पर ऐसे कई लोग भी हैं, जो अकेले रहना पसंद करते हैं। ऐसी ही एक महिला की कहानी हम आपको बताएंगे जो घर-परिवार से दूर अकेले रहना ज्यादा पसंद करती है, लेकिन इसके पीछे की क्या वजह है? इसे सुनकर शायद आप उनकी परेशानी को समझ पाएं। जिस महिला की हम बात कर रहे हैं, वो हैं कुसुम लता जी, जो पुरानी दिल्ली में रहती हैं। घुटनों का दर्द, कमर का दर्द इनके जीवन में कई सारी मुसीबत लेकर आया, लेकिन फिर भी इन्होंने अपने हौसले, हिम्मत को बरकरार रखा। घुटनों और कमर का दर्द जब परेशानी बन जाएं तो बुढ़ापे का शरीर हिम्मत हारने लग जाता है। वैसे तो ये दर्द कई कारणों से हो सकता है। जिसमें आपकी बदलती जीवनशैली का प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसके अलावा मांसपेशियों में अकड़न, चोट लगने या कैल्शियम की कमी के कारण भी घुटनों का दर्द आपको परेशान कर सकता है। आइये जानते हैं कि कुसुम जी ने हकीम जी के कौन-कौन से नुस्खों को अपनाया जिससे आज उनका घुटनों का दर्द पहले से कम हो गया है और वो काफी बेहतर महसूस करती हैं।
पुरानी दिल्ली में स्थित चांदनी चौक के पास छोटी सराई रेलवे कॉलोनी में रहने वाली 78 साल की कुसुम लता जी काफी दयालु स्वभाव की महिला हैं। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उनका सांतवा स्थान आया था। जिसके बाद उन्हें रक्षा मंत्रालय में काम करने का मौका मिला, पर शादी होने के बाद बढ़ती जिम्मेदारियों के प्रति उन्हें अपने सपने को पीछे छोड़ना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने हमेशा घर की जिम्मेदारी उठाई, साथ ही उनके पति भी यही चाहते थे कि वो बच्चों का और घर का ध्यान रखें, क्योंकि एक महिला जिस तरीके से घर संभाल सकती है वैसे शायद ही कोई संभाल सकता हो। अध्यात्मिक चीजों के प्रति कुसुम लता जी का काफी रूझान था वो हमेशा मेडिटेशन करती थी। उनका मानना था कि वो ऐसा करके बेहतर जीवन गुजार सकती हैं। परिवार की बात करें तो उनके परिवार में उनकी दो बेटियां एक बेटा है। बड़ी बेटी सिविल लाइन में रहती है और छोटी बेटी गाजियाबाद में रहती है। कुसुम जी का बेटा बाहर रहता है और उनके पति कई सालों पहले ही गुजर चुके (मृत्यु) हैं। 2021 से वो अपने गुरु का सत्संग और ध्यान करती हैं, जिसकी वजह से उन्हें अकेले रहना ही पसंद है। गुरु जी के मेडिटेशन को करते हुए उन्हें काफी अच्छा लगता है। इसी में उनका पूरा दिन चला जाता है ऐसे में उन्हें समय का भी ध्यान नहीं रहता है। कुसुम जी अकेले रहती हैं जिसकी वजह से उन्हें कुछ मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा।
घुटने के से परेशान कुसुम जी के लिए घर का काम करना काफी मुश्किल हो रहा था। इसकी वजह से वो नीचे झुक नहीं पाती थी, खुद से उठ नहीं पाती थी, कॉलोनी के बाहर गेट तक जाना भी उनके लिए परेशानी बन गया। साथ ही उन्हें अपना सत्संग करने में भी दिक्कत होती थी, क्योंकि इसके लिए लंबे समय तक बैठना बेहद जरुरी होता है। अपनी समस्याओं से परेशान कुसुम जी ने आयुर्वेदिक, योगा, और डॉक्टर हर जगह से उपचार करवाया पर आराम होता उन्हें नजर नहीं आया। कुसुम जी काफी परेशान रहने लगी की आखिर वो अकेले इस परेशानी का सामना कैसे करेंगी, क्योंकि उनकी बेटी, बेटा तो अलग रहते हैं।
ऐसे में परिवार वालों को भी चिंता बनी रहती है कि आखिर अकेले रहते हुए कुसुम जी कैसे खुद का ध्यान रखती होंगी। बस इन्हीं सब परेशानियों के साथ वो अपना जीवन गुजार रही थी। उन्होंने हर जगह से उम्मीद छोड़ दी थी कि वह कभी स्वस्थ हो पाएंगी पर वो कहते हैं ना जब हर जगह से रास्ता बंद हो जाता है तो भगवान कोई न कोई रास्ता तो जरूर निकाल ही देता है। शायद कुसुम लता जी की भगवान ने सुन ली थी और उन्हें अपनी समस्याओं से राहत पाने के लिए आसान तरीका मिल ही गया।
मेडिटेशन करते समय जब वो ध्यान लगाया करती थी, तभी उनके मन में यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब के बारे में विचार आया कि क्यों न उनके नुस्खों को अपनाया जाएं? कुसुम जी हकीम जी का प्रोग्राम सेहत और जिंदगी देखा करती थी, जिसमें हकीम साहब लोंगों को उनकी समस्याओं के बारें में नुस्खे बताया करते थे। इससे प्रभावित होकर कुसुम जी ने अपना मन बना लिया कि अब वो हकीम जी के घरेलू नुस्खों को अपनाकर देखेंगी, क्या पता इससे उन्हें आराम मिल जाए। इसके बाद कुसुम जी ने दर्द में कारगर बूटी गोंद सियाह को ATIYA HERBS से मंगवाया। हकीम जी के निर्देशअनुसार इसका सेवन करने के बाद उन्हें दर्द में काफी आराम मिलना शुरु हो गया। पहले जहां बैठने के लिए पैरों को मोड़ नहीं पाती थी, झुक नहीं पाती थी न ही साधना कर पाती थी पर आज वो बखूबी ये सारे काम कर लिया करती हैं।
इसके साथ ही उनके बेटे ने जो कुर्सी भेजी थी उसपर वो आसानी से बैठ जाती हैं और साइकिलिंग वाली एक्सरसाइज भी कर लेती हैं। उनकी उम्र को देखकर आप इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि वो 78 साल की हैं। आपको बता दें उन्हें सिर्फ घुटनों और कमर का दर्द नहीं था बल्कि सर्वाइकल का दर्द भी था जिसकी वजह वो सर भी ढ़क नहीं पा रही थी। दर्द से परेशान कुसुम जी ने इसके लिए हकीम जी के कारगर नुस्खों को अपनाया। साथ ही उनका शुगर लेवल भी हमेशा बढ़ा हुआ रहता था, जिसको इन्होंने गोंद जामुन खाकर कंट्रोल किया। अपनी सभी समस्याओं को उन्होंने आसानी से कम कर लिया। जहां डॉक्टर ने ऑपरेशन कराने की सलाह दे दी थी पर आज उनके हौसले, विश्वास की वजह से ही वो पहले से काफी बेहतर हुई हैं।
कुसुम जी को स्वस्थ और खुश देखकर उनके बच्चें काफी खुश हैं। वो आज सभी को यही सलाह देती हैं कि अगर उन्हें जोड़ों की समस्या या और भी कोई परेशानी हो तो एक बार हकीम जी के नुस्खों को जरूर अपनाकर देखें। वो हकीम जी का काफी धन्यवाद करती हैं,क्योंकि उनकी वजह से ही वो अपना पूरा ध्यान सत्संग और साधना में लगा लेती है। आज अपने स्वस्थ होने का सारा श्रेय वो हकीम सुलेमान खान साहब को देती है।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।