“क्यों डरें जीवन में क्या होगा कुछ ना होगा तो तजुर्बा होगा।” साथियों कई बार हमारी समस्याओं का हल हमारे सामने होता है लेकिन हम जीवन में कुछ नया करने से घबराते है। कभी-कभी हमारे जीवन में ऐसी स्थिति आती है, जब हमें कुछ भी समझ नहीं आता कि क्या करें और क्या न करें। अपने परिवार के साथ द्वारिका पुरी के इंजीनियर एन्क्लेव में रहने वाली कुसुम जी के जीवन में भी ऐसी स्थिति आई जब उन्हें घुटनों, कमर और एड़ी के दर्द से जूझते हुए पूरे पाँच साल गुजर गए। उनकी हालत ऐसी हो गई थी वह 2 मिनट तक एक जगह खड़ी नहीं हो पा रही थी। घुटनों में दर्द और पैरों में सूजन बढ़ती ही जा रही थी। डॉक्टरों के चक्कर लगाते-लगाते पूरे पाँच साल गुजर गए थे लेकिन कहीं से कोई फायदा मिलता दिखाई नहीं दे रहा था। उनकी जिंदगी एक ऐसे मोड पर आकर खड़ी हो गई थी जहां उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब जिंदगी में क्या होगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नए-नए तरीके अपनाती रहीं यही वजह है कि 2 मिनिट के लिए खड़ी न हो पाने वाली कुसुम जी अब 5 किलोमीटर दूर सत्संग में पैदल ही चली जाती हैं। कुसुम जोशी जी की कहानी भी ऐसी ही एक जद्दो-जहद की कहानी है, जो आज ऐसे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है जो सालों से जोड़ों का दर्द झेल रहे हैं।
चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि कुसुम जी के पाँच साल कैसे गुजरे, उन्होंने कितनी तकलीफ को झेला और उनके जीवन में बदलाव कैसे आया?
कुसुम जी की दर्द भरी कहानी : दर्द के अंधेरे में गोंद सियाह से मिली राहत की उम्मीद
कुसुम जोशी जी पिछले पाँच सालों से घुटनों, कमर और एड़ी के दर्द से जूझ रही थीं। शुरुआत में यह दर्द हल्का था, लेकिन समय के साथ दर्द बढ़ता गया। घुटनों में सूजन और पैरों में लगातार दर्द ने उनकी ज़िन्दगी को बुरी तरह प्रभावित किया। कुसुम जी की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनका सीढ़ियाँ चढ़ना-उतरना और दो मिनट के लिए खड़े रहना भी मुश्किल हो गया था। इतना ही नहीं पैरों में सूजन आना, बॉडी में कंपन होना, ब्लड प्रेशर और एसिडिटी जैसी समस्याएं उन्हें रोज़ाना परेशान करती थीं। ये शारीरिक दर्द उनके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत बड़ा बोझ बन चुका था। उनके चेहरे का रंग तक काला पड़ गया था उन्हें ऐसा लगने लगा था जैसे जीवन से जुड़ी हर खुशी उनसे दूर हो गई थी।
कुसुम जी के पति ने उनको कई जगह दिखाया लेकिन कहीं भी कोई फायदा नहीं मिला। जिस वजह से उनका पूरा परिवार बहुत चिंतित रहने लगा था। लेकिन वो कहते हैं न कि भगवान अगर परीक्षा लेते हैं तो रास्ता भी वही दिखाते हैं कुछ ऐसा ही हुआ कुसुम जी के साथ। एक दिन उन्हें एक पार्सल मिला जब उन्होंने पार्सल खोलकर देखा तो उसमें गोंद सियाह था। कुसुम जी के पूछने पर उनके पति ने बताया कि उन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब का फेमस शो ‘सेहत और जिंदगी’ देखकर इसे मंगाया है। यह उनके द्वारा तैयार कि गई जोड़ों के दर्द में सबसे असरदार हर्ब है। गोंद सियाह का सेवन करके लाखों लोग सालों पुराने जोड़ों के दर्द से राहत पा चुके हैं। कुसुम जी कई अस्पतालों में दिखा चुकी थी उसके बावजूद भी उन्हें कोई राहत नही मिल पा रही थी इसलिए वह गोंद सियाह को लेकर काफी चिंतित थीं। लेकिन पति के कहने पर कुसुम जी ने सुबह-शाम गोंद सियाह का सेवन करना शुरू किया।
गोंद सियाह के असर से आया कुसुम जी की जिंदगी में बदलाव।
गोंद सियाह के सेवन से कुछ ही हफ्तों में कुसुम जी की जिंदगी में बदलाव आना शुरू हो गया। उन्होंने गोंद सियाह का सेवन जारी रखा। तीन महीने तक गोंद सियाह का पूरा कोर्स पूरा करने के बाद अब आलम यह है कि कुसुम जी को उठने-बैठने और झुककर काम करने में कोई परेशानी नहीं होती। अब वह अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहने लगी हैं। उन्होंने सत्संग जॉइन कर लिया है और सुकून से अपनी जिंदगी काट रही हैं। एक समय था जब उनकी बेटी पूछती थी कि मम्मी कैसी हो तो कुसुम जी के मुह से केवल इतना ही निकलता था की बहुत तकलीफ में हूँ बेटा।लेकिन अब मुस्कुराकर जवाब देती हैं की गोंद सियाह के इस्तेमाल से उन्हें बहुत राहत मिल गई है। दो मिनट भी खड़ी न हो पाने वाली कुसुम जी अब 5 किलोमीटर पैदल चलकर सत्संग जाती हैं। वहाँ पर वह किसी को जोड़ों के दर्द की तकलीफ में देखती है तो हकीम सुलेमान खान साहब और गोंद सियाह के बारे में जरूर बताती हैं।
अपनी बहन के लिए मंगाकर दिया गोंद सियाह
कुसुम जी की बहन भी हाथ-पैरों की असहनीय तकलीफ से परेशान थी, उनके जोड़ों में दर्द होता रहता था।जब कुसुम जी को गोंद सियाह के सेवन से राहत मिल गई तो उन्होंने अपनी बहन के लिए भी गोंद सियाह मंगाकर दिया। उनकी बहन भी गोंद सियाह के इस्तेमाल के बाद अब सुकून से अपनी जिंदगी काट रही हैं। कुसुम जी कहानी उन लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक मिसाल है जो कई सालों से जोड़ों के दर्द में ही जिंदगी काट रहे हैं और उन्हें अब तक कोई फायदा नहीं मिल पाया है। साथियों अगर आप भी किसी तरह के दर्द से जूझ रहे हैं और कई तरह की दवाओं का उपयोग कर-करके थक चुके हैं, तो हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खे आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह न केवल प्राकृतिक है, बल्कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। कुसुम जी की तरह आप भी दर्द से राहत पा सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। यह गोंद बहुत पौष्टिक होता है जो सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हमसे दूर रखता है।