पटना के दीवान मोहल्ले की रहने वाली 65 वर्षीय कुमुद बाला जी बड़ी ही सहज और सरल स्वभाव की महिला हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। दोनों बेटे नौकरी के कारण बाहर रहते हैं, जबकि बेटी की शादी हो गई है। उनके पति हाल ही में रेल्वे से रिटायर्ड हुए हैं। कुमुद जी की अच्छी खासी जिंदगी में कब कठिन समय आ गया उन्हें पता भी नहीं चला। अचानक ही एक दिन उनके घुटने में दर्द शुरू हो गया धीरे-धीरे उनका ये दर्द इतना बढ़ गया मानो उनका जीवन लगभग ठहर सा गया था। वह बिस्तर से उठने तक में असमर्थ हो गई थीं। जब डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने उन्हें गठिया की शिकायत बताई और कहा कि ये एक लाइलाज बीमारी है जिसके लिए जिंदगी भर दर्द की दवाई खानी पड़ेगी। डॉक्टर की ऐसी बातें सुनकर कुमुद जी बहुत ज्यादा घबड़ा गईं थीं, उनके दिमाग में बहुत ज्यादा निगेटिव विचार चलने लगे थे। वह पिछले एक साल से हाथ, पैरों, घुटनों, उंगलियों और शरीर के हर एक जोड़ के असहनीय दर्द से परेशान थी। उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि दो-ढाई महीने तक बिस्तर पर ही पड़ी रहीं, वह बिना सहारे के उठने में भी असमर्थ थी। यहाँ तक कि वह घर के ही मंदिर में जाकर पूजा भी नहीं कर पा रही थीं बावजूद इसके आज वह फिर से एक स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी जी रही हैं। चलिए जानते हैं उनकी पूरी कहानी कई डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद कुमुद जी ने जोड़ों के असहनीय दर्द से राहत कैसे पाई?
दर्द की शुरुआत: जब जिंदगी थम सी गई थी
उनके जीवन में सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन अचानक एक दिन उन्हें घुटनों में दर्द महसूस हुआ। उन्हें लग रहा था कि कुछ गलत खान-पान की वजह से दर्द हो रहा है जो एक-दो दिन में अपने आप सही हो जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद जो हुआ वो उनकी सोच से परे था। घुटनों से शुरू होने वाला दर्द धीरे-धीरे उनके हाथ, पैरों, घुटनों, उंगलियों और शरीर के सभी जोड़ों में फैल गया। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था किउनके साथ क्या हो रहा है। शुरुआत में कुछ दिनों तक तो उन्होंने दवाइयाँ खाईं लेकिन जब उन्हें की लगा कि इन दवाइयों का असर जब तक रहता है तभी तक फायदा रहता है, दवाइयों का असर जाते ही फिर से दर्द शुरू हो जाता है। कुछ महीनों में ही दर्द इतना बढ़ गया था कि वे बिस्तर से उठने और चलने में तक असमर्थ हो गई थीं।
कुमुद जी की बिगड़ती हालत देखकर उनके पति ने उन्हें शहर के अच्छे डॉक्टर को दिखाया, डॉक्टर ने अच्छे से चेकप करने के बाद बताया की, कुमुद जी को गठिया की बीमारी हो गई है जो एक लाइलाज बीमारी मानी जाती है। डॉक्टर ने उनसे कहा की अगर दर्द से बचना है तो उन्हें जिंदगी भर दर्द निवारक दवाइयों पर निर्भर रहना होगा। दो महीने तक डॉक्टर कि दी हुई दवाइयाँ खाने के बावजूद उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि उनके घुटने मुड़ने बंद हो गए थे, पैर और उंगलियों में इतनी सूजन आ गई थी कि उन्हें अंगूठियाँ निकालकर फेंकनी पड़ी थी। वह पानी का गिलास तक नहीं उठा पाती थीं। घर के मंदिर तक जाने में असमर्थ हो गई। दर्द भरी समस्याओं की वजह से कुमुद जी खुद को बेबस महसूस कर रही थी। कुमुद जी का जीवन लगभग रुक सा गया था। उन्हें दीवार का सहारा लेकर बाथरूम तक जाना पड़ता था। जब डॉक्टर की दी हुई दवाइयों से भी उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ तो वह यह सोचकर बेहद निराश हो गई कि अब उनकी हालत में कोई सुधार नहीं होगा।
हकीम सुलेमान खान से मिली राहत की उम्मीद
कुमुद जी की जिंदगी में एक नई आशा तब जगी जब उन्होंने हकीम सुलेमान खान का एक खास प्रोग्राम सेहत और जिंदगी जिंदगी’ देखा। इस प्रोग्राम में उन्होंने कई मरीजों को सुना जो सालों से जोड़ों के दर्द से परेशान थे और हकीम साहब द्वारा तैयार की गई जोड़ों के दर्द की सबसे कारगर हर्ब गोंद सियाह का सेवन करने के बाद स्वस्थ जिंदगी जी रहे थे। कई लोगों को फायदा मिलते देख कुमुद जी ने भी हकीम साहब के नुस्खों को अपनाने का विचार बनाया और उनकी ऑफिसियल वेबसाईट ‘अतिया हर्ब्स’ से गोद सियाह मंगाकर सेवन करना शुरू कर दिया।
तीन महीने तक गोंद सियाह का सेवन करने के बाद की स्थिति।
गोंद सियाह का सेवन करने के पहले ही हफ्ते उन्हें लगने लगा की ये हर्ब उनके विश्वास पर खड़ी उतरेगी। हुआ भी कुछ ऐसा ही मात्र 15 दिनों तक गोंद सियाह के सेवन के बाद वह खुद से बिना किसी सहारे के बाथरूम जाने में सहज हो गईं। राहत मिलते देखे उन्होंने गोंद सियाह का सेवन जारी रखा और पूरे तीन महीने तक गोंद सियाह का पूरा कोर्स करने के बाद उनकी हालत में इतना सुधार हुआ कि वे खुद भी विश्वास नहीं कर पाईं। जो घुटने पहले बिल्कुल नहीं मुड़ते थे, अब वे आराम से मुड़ने लगे हैं। कुमुद जी का जीवन अब पूरी तरह बदल गया है। अब वे सीढ़ियां चढ़ने-उतरने लगी हैं इसलिए छत पर बने अपने गार्डन की देखभाल खुद करती हैं। जो महिला पानी का गिलास तक नहीं उठा पाती थीं, अब वह पानी से भरा हुआ तसला और पौधा लगा हुआ वजनदार गमला भी आसानी से उठा लेती हैं। कुमुद जी ने हमें बताया की गोंद सियाह से दर्द में राहत मिलने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ दिल्ली से कश्मीर और वैष्णो देवी की यात्रा का भी प्लान बनाया है। वे फिर से अपने पहले जैसे सामान्य जीवन का आनंद ले पा रही हैं। कुमुद बाला जी अब हर उस व्यक्ति को गोंद सियाह को आजमाने की सलाह देती हैं जो जोड़ों के दर्द से पीड़ित दिखाई देता है। उनका कहना है, “अगर मुझे इतना फायदा हो सकता है, तो दूसरों को भी जरूर मिलेगा।”
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। यह गोंद बहुत पौष्टिक होता है जो सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हमसे दूर रखता है।