साथियों, सोचिए कितना दिल दुखता होगा उस महिला का जिसके पति को गुजरे हुए 22 साल हो गए हों और बेटा शादी करने के बाद माँ को छोड़कर बीवी के साथ अलग रहने लगा हो। एक तो बुढ़ापा और ऊपर से घुटनों और जोड़ों का दर्द उस महिला को धरती पर ही नरक के दर्शन करा देता है। कुछ ऐसी ही कहानी है गुजरात के अहमदाबाद में नरोड़ा इलाके के पास सुमतिनाथ प्रभु सोसाइटी में रहने वाली 65 वर्षीय ज्योति बेन की। 22 साल पहले पति के गुजर जाने के बाद वह सोचती थी कि बेटा बड़ा होकर बुढ़ापे का सहारा बनेगा लेकिन शादी होने के बाद ही बेटा माँ से अलग हो गया और अपनी बीवी के साथ कहीं दूर जाकर रहने लगा। ज्योति बेन ने हमें बताया कि उनका बेटा कभी-भी उनके हाल-चाल पूछने भी नहीं आता। वह जैसे-तैसे अपनी जिंदगी का गुजारा करती हैं। शुरुआत में उन्होंने शादियों में खाना परोसने का काम किया और दूसरों के घरों में बर्तन धुलकर अपनी जिंदगी जीती रही। लेकिन कोरोना आने के बाद उनकी जिंदगी और भी ज्यादा कठिन हो गयी। दरअसल अचानक ही उन्हें घुटनों में दर्द के साथ-साथ कमर के नीचे से लेकर पैरों के पंजों तक जोड़-जोड़ में असहनीय दर्द होने लगा था। ये दर्द इतना बढ़ गया था कि थोड़े समय के लिए भी खड़ा होना दुर्लभ हो गया था, उन्हें चलने-फिरने, उठने-बैठने में तक दिकक्त होने लगी थी लेकिन अब वह फिर से पहले जैसी जिंदगी जी रही हैं, चलिए जानते हैं कि इतनी समस्याओं के बाद ज्योति बेन अपनी जिंदगी किस तरह से काट रही हैं?
अकेलेपन और कठिनाई का दौर
ज्योति बेन के दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की । लड़की की शादी होने के बाद वह ससुराल चली गयी और लड़के ने भी शादी करने के बाद घर छोड़ दिया। वह अपनी बीवी के साथ कहीं दूर जाकर रहने लगा। कोरोना महामारी के बाद जब घुटनों और जोड़ों के दर्द ने ज्योति बेन के जीवन में दस्तक दी तो उनकी परिस्थितियां और भी चुनौतीपूर्ण हो गईं। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे किसी प्राइवेट अस्पताल में खुद को नहीं दिखा पायीं। वह सरकारी अस्पताल से दर्द की दवाइयाँ लेकर खाती रहीं और काम करती रहीं जिस वजह से उनकी शारीरिक हालत धीरे-धीरे बिगड़ती चली गयी। कमर से लेकर पैरों तक का दर्द इतना बढ़ गया कि वे बिस्तर से उठ भी नहीं पा रही थीं। ज्यादा देर तक खड़े रहने पर पैरों में सूजन आ जाती थी जिस वजह से घुटनों को मोड़ना उनके लिए लगभग असंभव सा हो गया था। सरकारी दवाइयों से थोड़ी देर के लिए राहत तो मिलती थी लेकिन दवाइयों का असर खत्म होते ही दर्द फिर से लौट आता था। उनकी जिंदगी बद से बदतर होती चली जा रही थी और उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या करें और क्या नहीं?
हकीम सुलेमान खान साहब बने ज्योति बेन का सहारा
इन कठिन परिस्थितियों के बीच, एक दिन ज्योति बेन ने टीवी पर हकीम सुलेमान खान साहब का शो सेहत और जिंदगी देखा। उनके पास पैसे तो नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने दिए गए नंबर पर कॉल करके जोड़ों के असहनीय दर्द और घुटनों के दर्द की समस्या साझा की। साथ ही साथ अपनी आर्थिक स्थिति से भी रूबरू कराया।
हकीम साहब की टीम ने उनकी स्थिति को समझा और उन्हें मुफ्त में गोंद सियाह और फ़ीना ब्राह्मी प्लस दो यूनानी नुस्खे भेजे और सुबह-शाम एक-एक चुटकी गोंद सियाह का सेवन करने की सलाह दी। ज्योति बेन ने यूनानी विशेषज्ञों के बताए अनुसार नुस्खों का सेवन करना शुरू कर दिया।
यूनानी नुस्खों के असर से जीवन में आया नया सवेरा
हकीम साहब के यूनानी नुस्खों से ज्योति बेन की सेहत में बड़ा बदलाव आया। उनके घुटनों का दर्द कम हो गया है, सूजन में कमी आई और पैरों का भारीपन भी कम हो गया है। अब वे घर की साफ-सफाई, झाड़ू-पोंछा, और कपड़े धोने जैसे काम आसानी से कर लेती हैं। वे सीढ़ियां चढ़ सकती हैं, खाना बनाने के लिए बाहर काम पर जाती हैं और सुबह-शाम टहलने के लिए भी निकल जाती हैं। एक समय था जब ज्योति बेन पालथी मारकर बैठने में असमर्थ थीं, अब वे आसानी से पैरों को मोड़कर बैठ जाती हैं। वह एक बार फिर से अपने दैनिक कार्यों को सहजता से करने लगी हैं।
उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। अब वे पेंशन लेने के लिए पोस्ट ऑफिस तक आसानी से पैदल चली जाती हैं। एक समय पर उनकी जिंदगी कठिन दौर से गुजर रही थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यही वजह है कि ज्योति बेन की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में आयी कठिनाइयों से हार मान लेते हैं।
ज्योति बेन कि कहानी से सबक
ज्योति बेन की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक सबक है, जो छोटी-मोटी मुश्किलें जीवन में आते ही उनके सामने घुटने टेक देते हैं और अपनी किस्मत का रोना रोते रहते हैं। उनका साहस, आयुर्वेद पर विश्वास और जिजीविषा हमें यह सिखाते हैं कि कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे हल नहीं किया जा सकता। जीवन में यदि सकारात्मकता और प्रयास जारी रखें, तो हर समस्या का कोई न कोई रास्ता जरूर मिलता है। हकीम साहब की टीम की मदद से न केवल ज्योति बेन की शारीरिक स्थिति में सुधार हुआ बल्कि उनके अंदर एक नया जीवन जीने का आत्मविश्वास भी आया। अब वह न केवल आसानी जिंदगी जी रही हैं बल्कि दूसरों को भी हकीम साहब और उनके नुस्खों के बारे में बताती रहती है। काफी लोग उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर हकीम साहब से जुड़ रहे हैं और अपनी वर्षों पुरानी जोड़ों के दर्द की समस्याओं से राहत पा रहे हैं। अगर आप भी किसी दर्दनाक समस्या से जूझ रहे हैं तो एक बार हकीम साहब के नुस्खे अपनाकर जरूर देखें, आपको भी फायदा मिलना मुमकिन है।
आप ज्योति बेन के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, यह बहुत ही पौष्टिक होता है और सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या उनकी संस्था के यूनानी विशेषज्ञों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा या कम मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।