साथियों शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना उम्र से कहीं ज्यादा मानसिक शक्ति और सही जीवनशैली पर निर्भर करता है। इसे साबित कर दिया है 78 वर्षीय जैस्मिन दुतिया जी ने जो कोलकाता के न्यू अलीपुर में रॉय बहादुर रोड के पास स्नेहा गार्डन सोसाइटी में रहती हैं। जैस्मिन जी 78 साल की उम्र में भी सारे काम खुद से करती हैं चाहे फिर खाना बनाना हो, बर्तन धुलना हो, झाड़ू-पोंछा करना हो, मार्केट से सब्जियां लानी हो या फिर आधा घंटे तक एक जगह बैठकर पूजा करनी हो। जैस्मिन जी का कहना है कि उन्होंने कभी-भी अंग्रेजी दवाइयाँ नहीं खाईं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उनके जीवन में कभी कोई तकलीफ नहीं आई। लगभग एक साल पहले की बात है एक दिन जब वह सोकर उठीं तो उन्हें अचानक ही कमर में दर्द होने लग गया था जो धीरे-धीरे बढ़ता चला गया था। लगभग 76 – 77 साल की उम्र में हुए कमर दर्द की वजह से उनका बुढ़ापा बिगड़ गया था। पहले जो काम वह आसानी से कर पा रही थी अब वो सारे काम उनके लिए मुश्किल हो गए थे। न तो वह खाना बना पा रही थी और न ही बाजार जा पा रही थी। उनकी पूरी दिनचर्या बिगड़ गई थी। कमर दर्द की वजह से वह पूरे एक साल तक परेशान रहीं। बावजूद इसके आज 78 वर्ष की उम्र में वह फिर से अपनी जिंदगी सही तरीके से जी रही हैं। चलिए जानते हैं उनकी सेहत का राज और उस उपाय के बारे में जिससे उन्हें कमर के असहनीय दर्द में फायदा मिला?
जब बुढ़ापे में अचानक शुरू हुआ कमर में दर्द।
एक दिन, सुबह के समय जब वह उठी, तो अचानक उन्हें शरीर में तेज़ दर्द का अहसास हुआ। दर्द इतना ज़्यादा था कि वह उठ भी नहीं पा रही थीं। उन्होंने पहले तो सोचा कि सामान्य दर्द होगा, जिसमें अपने आप आराम मिल जाएगा, लेकिन यह दर्द लगातार बढ़ता ही गया।अचानक हुए कमर दर्द की वजह से वह बहुत परेशान हो गईं थीं। उनके सारे काम और दिनचर्या प्रभावित होने लगी थी। कई तरह के तेल से मालिश करने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो उन्हें लगने लगा था कि ये बुढ़ापे का दर्द है इसमें राहत मिलना मुश्किल है। इस तरह वह कमर के असहनीय दर्द में जिंदगी काटने के लिए मजबूर हो गई थीं।
हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़कर मिली नई दिशा
एक दिन जब वह बेड पर लेटे हुए मोबाईल देख रही थीं तो उन्होंने हकीम सुलेमान साहब के सेहत और जिंदगी प्रोग्राम की एक वीडियो देखी। इस वीडियो में एक महिला की कहानी थी जो कई सालों से घुटनों के दर्द से परेशान थी। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी उस महिला को घुटनों के दर्द में राहत नहीं मिल रही थी। दर्द इतना बढ़ गया था कि घुटनों के ऑपरेशन की नौबत आ गई थी। लेकिन जब वह महिला यूनानी के मशहूर हकीम, हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़ी और उनकी बताई हुई जोड़ों के दर्द की सबसे कारगर हर्ब गोंद सियाह का सेवन किया तो महज तीन महीनों में घुटनों के दर्द से राहत मिल गई। इस महिला की कहानी देखने और सुनने के बाद जैस्मिन जी को राहत की उम्मीद दिखाई दी। उन्होंने दिए गए नंबर पर कॉल करके हकीम जी की संस्था में संपर्क किया और कमर दर्द की समस्या के बारे में बताया।
यूनानी नुस्खों का जैस्मिन जी के जीवन पर असर
हकीम साहब की संस्था में मौजूद यूनानी विशेषज्ञों ने जैस्मिन जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद उन्हें गोंद सियाह और S. CARE कैप्सूल भेजे।
जैस्मिन जी ने यूनानी विशेषज्ञों द्वारा बताए निर्देशों के अनुसार रोजाना सुबह-शाम नुस्खों का सेवन करना शुरू कर दिया। साथ ही साथ हकीम साहब द्वारा बताई गई हाथों और गर्दन की एक्सर्साइज़ को भी अपनी रूटीन का हिस्सा बनाया जिससे उन्हें महज 2 महीने के अंदर ही कमर के असहनीय दर्द में फायदा मिल गया और वह फिर से पहले की तरह अपने सभी काम करने लगी हैं। अब जैस्मिन जी का कहना है कि हकीम साहब के नुस्खों से उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। कमर दर्द की वजह से वह बहुत परेशान हो गई थीं, किसी भी उपाय से उन्हें राहत नहीं मिल रही थी। हकीम साहब के नुस्खों ने उन्हें ना सिर्फ शारीरिक आराम दिया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत किया जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है इसलिए वह हकीम साहब को भगवान के रूप में देखती हैं।
जैस्मिन जी का सभी महिलाओं के लिए संदेश
हर उस महिला को जैस्मिन जी की कहानी से प्रेरणा लेनी चाहिए जो बुढ़ापा आने से पहले ही जोड़ों के दर्द की समस्या की वजह से बूढ़े लोगों की तरह जिंदगी जी रही हैं। जबकि जैस्मिन जी 78 साल की उम्र में भी घर के सभी काम खाना बनाना, बर्तन धोना, साफ-सफाई करना इत्यादि खुद करती हैं। हकीम साहब के यूनानी नुस्खों से कमर दर्द में राहत पाने के बाद वह कहती हैं कि 78 की उम्र उनके लिए महज एक नंबर हैं। वह हर महिला के लिए सलाह देती हैं और कहती हैं कि “अगर कोई महिला किसी भी तरह के दर्द से जूझ रही है तो उसे हकीम सुलेमान खान साहब के यूनानी नुस्खे जरूर अपनाने चाहिए। हकीम जी के सभी नुस्खे प्राकृतिक हैं इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, अगर मुझे 78 की उम्र में फायदा मिल सकता है तो आपको भी फायदा मिलना मुमकिन है।”
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
S. Care क्या है?
S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधन के बाद तैयार किया गया एक यूनानी नुस्खा है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ संबंधी रोगों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देने में सहायक है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं में फायदा पहुंचाने में कारगर है। यह नुस्खा मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत दिलाता है।