बढ़ती उम्र में कभी-कभी घुटनों मे दर्द होना आम बात है लेकिन जब यह दर्द हमेशा रहने लगे या असहनीय हो जाये, तो इसका इलाज होना बहुत जरूरी है। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें कुछ खाते ही अचानक दर्द शुरू हो जाता है। ऐसे में अपने खान पान और दैनिक दिनचर्या का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि घुटनों का दर्द इतनी आसानी के साथ शरीर से बाहर नहीं जाता है। लेकिन फ़ातिमा जी ने काफी उम्र होने के बाद भी खुद को घुटनों के दर्द से दूर कर लिया।
हम बात कर रहे हैं बेंगलुरू में रहने वाली फ़ातिमा जी की। जिनकी उम्र करीब 64 साल है। इतनी उम्र होने के बाद भी वो अपने परिवार का ख्याल काफी अच्छे से रखती हैं। परिवार की देखभाल उन्हीं के कंधो पर है। उनके परिवार में उनके पति और दो बेटे हैं। फ़ातिमा जी काफी सरल और दयालु स्वभाव की महिला हैं। उनकी दयालुता आप उनकी बात करने के लहजे से भी लगा सकते हैं। लेकिन फ़ातिमा जी भी अपने इस जीवन के बुरे दौर से गुजरी हैं। चलिए जानते हैं उनके जीवन का वो दौर।
फ़ातिमा जी वैसे तो बहुत ही मेहनती महिला हैं। लेकिन शरीर के दर्द ने उन्हें काफी तकलीफ पहुँचाई। अचानक उन्हें घुटनों में दर्द, कमर में दर्द और पैरों में दर्द की समस्या हो गयी। पहले तो उन्होंने कई डॉक्टरो से दवा ली लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गया। एक तो बढ़ती उम्र, घर की जिम्मेदारी और ऊपर से शरीर का ये दर्द। फ़ातिमा जी इन सारी समस्याओं से काफी परेशान हो गई थी ।फ़ातिमा जी ने करीब 10 साल पहले हकीम जी को ज़ी सलाम पर देखा था वो उस समय से ही हकीम जी के यूनानी नुस्खों को काफी ध्यान से सुना करती थीं। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी इस समस्या को अब माननीय हकीम सुलेमान खान साहब ही दूर कर सकते हैं।
एक दिन उनके पति घर पर टीवी देख रहे थे। तभी हकीम जी का बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी चल रहा था। लाइव शो देखते ही फ़ातिमा जी ने सीधा हकीम साहब को फोन लगा दिया। उन्होंने हकीम जी से बात की और अपनी सारी समस्या उन्हें बता दी। हकीम जी ने भी उन्हें भरोसा दिया कि वे स्वस्थ हो सकती हैं। उनकी समस्या को देखते हुए हकीम जी ने उन्हें दर्द के लिए सबसे कारगर औषधि गोंद सियाह के सेवन करने को कहा। फ़ातिमा जी ने हकीम जी के निर्देश अनुसार वैसा ही किया। उन्होंने ATIYA HERBS से गोंद सियाह को ऑर्डर किया और उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्हें कुछ ही समय में अपने दर्द में काफी आराम दिखाई देने लगा। वे इस बात से भी काफी खुश थीं कि बिना कहीं जाये और बिना किसी लंबे खर्च के उनके दर्द की समस्या दूर हो रही थी। एक तरफ जहां उन्हें काम करने में समस्या हो रही थी वहीं हकीम जी के गोंद सियाह को इस्तेमाल करने में अब कोई दिक्कत नहीं थी। वे अपने दर्द को अलविदा कह चुकी थीं। साथ ही उन्होंने छोटी मोटी समस्याओं के लिए हकीम जी के घरेलू नुस्खों को भी अपनाना शुरू कर दिया था। फ़ातिमा जी आज बहुत ही सेहतमंद जिंदगी बिता रही हैं। उनकी सेहतमंद जिंदगी का राज है हकीम जी के यूनानी नुस्खे हैं। उन्होंने हकीम जी पर भरोसा किया और हकीम जी के घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल किया। आज आलम यह है कि वे अपने दर्द की समस्या से पूरी तरह से स्वस्थ और सेहतमंद हैं। फ़ातिमा जी को हकीम जी का व्यवहार और बात करने का तरीका बहुत ही अच्छा लगता है। एक खास बातचीत में उन्होंने बताया कि हकीम जी से पहले वे एक दूसरे हकीम के पास गयी थीं। उन्होंने उन्हें घुटनों के दर्द के लिए नुस्खा बताया। लेकिन फ़ातिमा जी उसे भूल गयी। जब फ़ातिमा जी ने उस नुस्खे को दोबारा पूछना चाहा तो उनका व्यवहार बहुत गंदा लगा। फ़ातिमा जी ने दोबारा उस हकीम से कभी कोई इलाज नहीं जाना। लेकिन हकीम जी से बात करने के बाद उन्होंने बताया कि वे बहुत ही प्यार के साथ बात करते हैं। उनसे बात करने में बहुत अच्छा लगा और हकीम जी एक ही नुस्खे को कई बार बताते हैं ताकि कुछ भी छूट ना सके। फ़ातिमा जी हकीम जी की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की दुआएं मांगती हैं। उनका कहना है कि हकीम जी हमारे लिए अल्लाह का दूसरा रूप हैं।
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है।