उठो यारों, भागो दौड़ो, मरने से पहले, जीना न छोड़ो – ये कहना है 75 वर्षीय दिनेश प्रसाद नौटियाल जी का। दिनेश जी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नेहरू ग्राम वसुंधरा एन्क्लेव में रहते हैं। उनके जीवन में एक बार ऐसा कठिन समय आया जब चार कदम चलने पर ही उनकी सांस फूलने लगती थी। डॉक्टर को दिखाने के बाद उन्हें पता चला की कोलेस्टेरॉल बढ़ने की वजह से सांस फूलने की समस्या हो रही है। उन्होंने कई प्रकार की जाँचे कारवाई दवाइयाँ खाईं लेकिन उन्हें वो राहत नहीं मिल पा रही थी जो वो चाहते थे। एक समय पर कुछ कदम चलने पर ही जिस व्यक्ति की सांस फूलने लगती थी आज वही व्यक्ति रोजाना 5 किलोमीटर चलने की क्षमता रखता है। जी हाँ दोस्तों 75 वर्षीय दिनेश प्रसाद नौटियाल जी ने प्राकृतिक नुस्खे अपनाकर कोलेस्टेरॉल और सांस फूलने की बीमारी को पीछे छोड़ दिया है। उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो बुढ़ापा आने से पहले ही बिस्तर पर पड़े हुए हैं। चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताते हैं दिनेश प्रसाद नौटियाल जी का वो राज जिसके उपयोग से वे बुढ़ापे में भी अपने आप को स्वस्थ और सेहतमंद रख पा रहे हैं।
दिनेश प्रसाद जी की कोलेस्टेरॉल और सांस फूलने की समस्या
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नेहरू ग्राम वसुंधरा एन्क्लेव में रहने वाले 75 वर्षीय दिनेश प्रसाद नौटियाल जी के परिवार में उनकी बीवी, बेटा, बहु और नाती-पोते हैं। दिनेश जी कोलेस्टेरॉल और सांस फूलने की समस्या से राहत पाकर अपने परिवार के साथ स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी जी रहे हैं। अब उनका कहना है कि अगर व्यक्ति अपने आप को क्रियाशील न रखे तो कम उम्र में ही बिस्तर पकड़ लेता है लेकिन अगर वो क्रियाशील रहता है तो जीवन में उम्र कुछ मायने नहीं रखती।
लेकिन कुछ साल पहले दिनेश जी के जीवन में भी एक कठिन समय आया था जब उन्हें सांस फूलने की समस्या और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों ने घेर लिया था। उन्हें कुछ कदम चलने पर उनकी सांस तेज़ हो जाती थी, और चढ़ाई चढ़ने पर तो उन्हें ऐसा महसूस होता था जैसे उनका दम टूट जाएगा। पूरा परिवार चिंतित हो गया था, क्योंकि डॉक्टर को दिखाने के बाद जब जांच आई तो पता चला की उनका कोलेस्ट्रॉल बहुत बढ़ा हुआ है और फेंफड़े संकुचित हो रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि फेंफड़े संकुचित होने की वजह से साँस उखड़ती है। अगर समय रहते सेहत पर ध्यान नहीं दिया गया तो उनका स्वास्थ्य और भी ज्यादा बिगड़ सकता है। उन्होंने पूरी कोशिस कर ली थी की डॉक्टर बदल लिए थे लेकिन कहीं से कोई स्थायी राहत नहीं मिल पा रही थी।
टीवी बना हकीम साहब से जुड़ने का माध्यम
दिनेश जी ने टीवी देखे हुए एक दिन हकीम सुलेमान खान साहब फेमस शो ‘सेहत और जिंदगी’ देखा। जिससे उन्हें हकीम साहब के देसी नुस्खों के बारे में पता चला। उन्होंने हकीम साहब के नुस्खों पर भरोसा किया और हकीम सुलेमान साहब का बताया हुआ देसी नुस्खा घर पर तैयार किया जिसमें उन्होंने लहसुन, अदरक, नीबू और जैतून सिरका , इन चारों के रस को बराबर- बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम खाने के बाद लेना शुरू किया। महज एक महीने में उन्हें इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। लहसुन, अदरक, नीबू तो उन्हें आसानी से मार्केट में मिल गए लेकिन असली जैतून का सिरका नहीं मिल रहा था तो उन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब की ऑफिसियल वेबसाइट ATIYA HERBS से असली जैतून का सिरका मँगा लिया।
जैतून सिरका का प्रभाव
जैतून सिरका का सेवन शुरू करने के बाद केवल एक महीने में दिनेश जी को आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले। दिनेश जी ने महसूस किया कि उनका कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रहा है। जैतून सिरके के सेवन के बाद डॉक्टरों ने जब उनकी रिपोर्ट देखी तो वे हैरान रह गए, क्योंकि फेफड़े अब सही से काम कर रहे थे, जैसे एक जवान व्यक्ति के फेफड़े काम करते हैं। दिनेश जी की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए। उनका कोलेस्ट्रॉल सामान्य स्तर पर आ गया था और सांस लेने में कोई परेशानी नहीं थी। उन्होंने जब दिनेश जी से पूछा कि आखिर ऐसा क्या किया है कि इतनी जल्दी सुधार हुआ, तो दिनेश जी ने बताया कि यह सब हकीम सुलेमान खान साहब के बताए हुए जैतून सिरके और घरेलू नुस्खों का असर है। जैतून सिरका, लहसुन, अदरक और नीबू से बनाए गए नुस्खे ने ने उनके शारीरिक स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार किया, और अब वे बिना किसी परेशानी के रोजाना 5 किलोमीटर तक पैदल चल सकते हैं। जैतून सिरके के सेवन से उनकी ऊर्जा और आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। अब वे रोजाना रात को 9 बजे बिस्तर पर चले जाते हैं और सुबह 4 बजे बिस्तर छोड़ देते हैं
लाखों बुजुर्गों के लिए प्रेरणा है दिनेश जी की कहानी।
दिनेश जी की यह कहानी उन लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा है। जो छोटी-मोटी समस्याओं को लाइलाज मानकर बिस्तर पर ही अपना जीवन बिता रहे हैं। हेकीम साहब के प्राकृतिक नुस्खे अपनाने के बाद दिनेश प्रसाद जी 75 की उम्र में कहते हैं कि “दिल में जज़्बा हो और सही उपाय अपनाए जाएं तो उम्र कोई मायने नहीं रखती।” जैतून सिरके जैसे सरल और प्रभावी उपायों से आप भी दिनेश जी की तरह अपने स्वास्थ्य में बड़े बदलाव ला सकते हैं। एक समय था जब कुछ कदम चलने पर ही दिनेश जी की सांस फूलने लगती थी लेकिन जैतून सिरके के सेवन के बाद अब वह रोजाना 5 किलोमीटर चलने की क्षमता रखते हैं। अगर आप भी कोलेस्ट्रॉल, सांस फूलने की समस्या, या किसी अन्य शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप भी हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खों का सेवन कर सकते हैं। जैसे दिनेश जी ने अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाया, वैसे ही आप भी अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। हकीम सुलेमान खान साहब का कहना है कि हर व्यक्ति को अपनी जीवनशैली को सक्रिय और स्वस्थ बनाए रखना चाहिए, ताकि वह बुढ़ापे में भी तंदुरुस्त और खुशहाल जीवन जी सके।
आप दिनेश प्रसाद जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
जैतून का सिरका क्या है?
हकीम सुलेमान साहब का जैतून का सिरका विभिन्न रोगों जैसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक से संबंधित समस्या, लिवर से संबंधित समस्या, गुर्दे से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। हकीम साहब के अनुसार जैतून का सिरका शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए काफी असरदार है। शुगर के लिए यह सिरका फायदेमंद है। जैतून का सिरका पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है। इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या हकीम साहब की कंपनी के डॉक्टरों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।